उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अमित शाह को चुनौती दी है कि वो नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बहस करेंगी। जहाँ एक तरफ़ शाह पूरी तैयारी के साथ संसद में जाते हैं और हर एक सांसद के सवालों के जवाब देते हैं, वहीं दूसरी तरफ़ मायावती प्रेस कॉन्फ्रेंस से लेकर रैलियों तक, अपना भाषण कागज़ देख कर पढ़ने के लिए जानी जाती हैं।
मायावती के इस बयान का लाखों ने सोशल मीडिया पर ख़ूब मखौल उड़ाया। बसपा सुप्रीमो ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार पूरे देश भर में चल रहे आन्दोलनों के कारण परेशान हो गई है। बकौल मायावती, पूरे देश में महिला और युवा इस क़ानून के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे हैं।
लखनऊ के रामकथा पार्क में सीएए के समर्थन में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर निशाना साधा था। सीएए का विरोध करने वाले इन सभी नेताओं को उन्होंने ललकारा कि यदि इस कानून की कोई भी धारा से किसी की नागरिकता छीनी जा सकती है तो वह मुझे दिखाइये।
आति-विवादित CAA/NRC/NPR के खिलाफ पूरे देश में खासकर युवा व महिलाओं के संगठित होकर संघर्ष व आन्दोलित हो जाने से परेशान केन्द्र सरकार द्वारा लखनऊ की रैली में विपक्ष को इस मुद्दे पर बहस करने की चुनौती को BSP किसी भी मंच पर व कहीं भी स्वीकार करने को तैयार है।
— Mayawati (@Mayawati) January 22, 2020
उन्हें चुनौती दी कि यदि उनमें हिम्मत है तो इस कानून पर बहस करने के लिए सार्वजनिक मंच ढूँढे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि वो बहस के जरिए सीएए विरोधी नेताओं के साथ मुकाबला करने के लिए तैयार हैं।