प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने से ठीक पहले शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए राममंदिर बनवाने हेतु ‘शहीद’ हुए लोगों के लिए स्मारक बनवाने की अपील की। सामना में लिखा गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अयोध्या में राम मंदिर के कार्य को गाति मिली है। अब 2024 तक इसका काम पूरा हो जाएगा तो इसका सीधा लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिलेगा। उनके मुताबिक राममंदिर के लिए शिवसैनिकों ने भी बलिदान दिया था लेकिन शिवसेना ने इसका कभी फायदा उठाने की कोशिश नहीं की।
मुखपत्र में प्रकाशित संपादकीय के जरिए शिवसेना ने शुक्रवार को उन सभी लोगों के लिए शहीद स्मारक बनवाने के लिए आवाज़ उठाई, जिन्होंने राम मंदिर बनवाने के लिए अपनी जाने गवाईं। उनके अनुसार उन ‘शहीदों’ के लिए श्रद्धांजलि के रूप में सरयू तट पर एक स्मारक बनवाया जाना चाहिए। और अमर जवान की तरह
इन शहीदों के नाम भी अमर जवान ज्योति के समान लिखा जाना चाहिए।
The Shiv Sena has raised its demand of a memorial in its mouthpiece Saamana (@saurabhv99)https://t.co/CCpPn9dtPy
— India Today (@IndiaToday) February 21, 2020
‘सामना’ में आगे कहा गया है कि यह सच है कि शिवसेना, बजरंग दल के अलावे अन्य कुछ हिंदूवादी संगठन भी इस आंदोलन में शामिल हुए थे। ऐसे में इसे कैसे भूला जा सकता है कि कारसेवकों की शहादत से सरयू लाल हो गई थी। उस समय देश भर के शिव सैनिकों का रक्त खौलता दिख रहा था। बीबीसी के मार्क टली ने अयोध्या आंदोलन का जो वीडियो बनाया था, उसमें बाबरी ढाँचा के आस-पास शिवसेना के कई परिचित चेहरे दिखते हैं। लेकिन, शिवसेना ने इसका राजनीतिक लाभ कभी नहीं उठाया।
शिवसेना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया को गति मिली है। एक विश्वास बनाया गया है और 2024 तक मंदिर बनाया जाएगा। इससे भाजपा को निश्चित रूप से फायदा होगा। उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए सामना में लिखा कि पाकिस्तान और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दे 2024 के आम चुनावों के लिए काम नहीं करेंगे, इसलिए, राम मंदिर उस समय एक महत्वपूर्ण बिंदु होगा।
‘सामना’ में शिव सेना की ओर से लिखा गया कि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों पर नजर डाली जाए तो क्या दिखाई देता है? महंत नृत्य गोपालदास ट्रस्ट के अध्यक्ष चुने गए हैं। चंपत राय महासचिव और गोविंद देव गिरि को कोषाध्यक्ष बनाया गया है। जबकि ‘निर्माण’ अर्थात मंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष पूर्व कैबिनेट सचिव नृपेंद्र मिश्रा को बनाया गया है। मिश्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र हैं। राम मंदिर कार्य पर मोदी ने नजर रखी हुई है और इसके लिए कालावधि निश्चित कर ली गई है।
शिवसेना के अनुसार, पीएम मोदी के हाथ से राम मंदिर की भूमि पूजन होगा। ये तो ठीक है लेकिन सोनिया गाँधी, ममता बनर्जी, मुलायम सिंह यादव, नीतीश कुमार और शरद पवार जैसे देश के बड़े नेताओं को भूमि पूजन के कार्यक्रम में नहीं बुलाया जाना गलत है। अगर ऐसा हुआ तो ये एक पार्टा का ही कार्यक्रम होकर रह जाएगा।
बता दें कि शिवसेना प्रमुख महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की गद्दी संभालने के बाद आज पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। इसकी जानकारी खुद शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने ट्वीट के जरिए दी है। शिवसेना ने इस मुलाकात को शिष्टाचार की भेंट करार दिया है।
Uddhav Thackeray will meet PM Modi on Friday, says Sanjay Raut https://t.co/G8JAjubgDT
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) February 20, 2020