देश में नागरिक (संशोधन) अधिनियम (CAA)-2019 के नियम बनाने के लिए मंगलवार 26 जुलाई 2021 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने छह महीने के समय की माँग की। इस मामले में कॉन्ग्रेस सांसद गौरव गोगोई के एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में बताया कि गृह मंत्रालय ने लोकसभा और राज्यसभा दोनों में अधीनस्थ कानूनों पर समितियों को 9 जनवरी, 2022 तक के लिए नियम बनाने के लिए कहा था।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की सहमति के बाद सीएए को लेकर 12 दिसंबर 2019 को नोटिस जारी कर दिया गया था। इसके बाद इसे 10 जनवरी, 2020 को लागू किया गया था। सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता मिल सकेगी।
Citizenship (Amendment)Act, 2019 has been notified on 12.12.2019 & has come into force w.e.f. 10.01.2020. Committees on Subordinate Legislation, Lok Sabha & Rajya Sabha have been requested to grant further extension of time up to 09.01.2022 to frame rules under CAA: MoS MHA in LS
— ANI (@ANI) July 27, 2021
धार्मिक प्रताड़ना से तंग आकर 31 दिसंबर 2014 तक भारत आने वाले लोगों पर सीएए का कानून लागू होगा। शुरुआती तौर पर उन्हें अवैध अप्रवासी के रूप में माना जाएगा और सरकार उन्हें कानून में उल्लिखित नियमों के अनुसार भारतीय नागरिकता देगी। सीएए कानून में शामिल किए गए धर्म औऱ देशों से धार्मिक उत्पीड़न के शिकार व्यक्ति भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे।
सीएए और दिल्ली दंगा
केंद्र सरकार ने जब देश में सीएए कानून लेकर आई तो विपक्षी दलों समेत कई लोगों ने इसका बड़े पैमाने पर विरोध किया। इन लोगों ने नागरिकता अधिनियम में संशोधन का विरोध किया। विरोधियों ने यह प्रचार करने की कोशिश की थी कि सीएए को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के साथ मिलकर भारत में रहने वाले अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय को टारगेट करने की कोशिश की जा रही है। दिसंबर 2019 में इसके लागू होने के बाद से पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। शाहीन बाग में धरना-प्रदर्शनों ने सभी का ध्यान खींचा। खास तौर पर शाहीन बाग में प्रदर्शन के दौरान यहाँ पर बोलने वाले वक्ताओं के देश विरोधी भाषण चर्चित रहे।
शाहीन बाग के इन विरोधों के बैकग्राउंड में देखें तो देश में शांति व्यवस्था को भंग करने की साजिश रची गई थी। इसी कारण फरवरी 2020 में दिल्ली में दंगे हुए थे। इस मामले में जाँच एजेंसियों ने कई गिरफ्तारियाँ की थी। जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया था उनमें उमर खालिद, शरजील इमाम और ताहिर हुसैन समेत कई अन्य लोग शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने दंगों से जुड़े 700 से अधिक मामले दर्ज किए थे। इस मामले में मार्च 2020 के अंत तक 3,400 लोगों को हिरासत में लिया या गिरफ्तार किया था। दिल्ली के हिंदू-विरोधी दंगों को लेकर ऑपइंडिया की रिपोर्ट यहाँ पढ़ सकते हैं।