मध्यप्रदेश विधानसभा में तीन महीने पहले कॉन्ग्रेस सरकार के विधेयक के पक्ष में मतदान करके खलबली मचाने वाले भाजपा के बागी विधायक नारायण त्रिपाठी दोबारा से पार्टी में लौट आए हैं। मंगलवार (अक्टूबर 15, 2019) को वे पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के साथ भाजपा कार्यालय पहुँचे। यहाँ उन्होंने ऐलान किया कि वह कॉन्ग्रेस में कभी गए ही नहीं। उनके कॉन्ग्रेस में जाने की खबरें झूठी थीं। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह भी मौजूद थे।
कॉन्ग्रेस विधेयक को दिए अपने समर्थन पर उन्होंने अपना पक्ष साफ किया और कहा, “विधानसभा में एक विधेयक को लेकर हमने वोटिंग की थी। हमें लगा था कि सब (भाजपा-कॉन्ग्रेस) वोटिंग में एक साथ हैं। मैं जान नहीं पाया कि भाजपा ने वोटिंग नहीं की। इस दौरान मैं और शरद कौल एक साथ ही थे पर कॉन्ग्रेस ने इसके बाद इस मामले पर भ्रम फैलाया।”
उन्होंने बताया कि विधानसभा क्षेत्र मैहर को जिला बनाने से लेकर स्मार्ट सिटी सहित कई मामलों पर वे मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ संपर्क में थे। इसका मतलब यह नहीं है कि वे कॉन्ग्रेस में चले गए। उन्होंने साफ किया, “मैं भाजपा का था और भाजपा में ही रहूँगा।” उन्होंने कहा “कांग्रेस दिशाहीन पार्टी है। यहॉं कोई नेतृत्व नहीं है, कोई सोच नहीं है। मैं भाजपा से अलग नहीं हुआ था। मैं मैहर को जिला बनाने के लिए सीएम कमलनाथ से संपर्क में था। सरकार किसी की रहे, क्षेत्र विकास के लिए हर नेता को मुख्यमंत्री से मिलना होता है। इसी संबंध में मैं सीएम कमलनाथ के संपर्क में था।”
इस दौरान नारायण त्रिपाठी ने ये भी जानकारी दी कि वे झाबुआ उपचुनाव में प्रचार करने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि आर्टिकल 370 हटने के बाद उन्होंने पीएम की प्रशंसा करते हुए ट्वीट भी किया था। उन्होंने कहा कि अपने विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए वह कमलनाथ से मिलते हैं और हमेशा मिलते रहेगें।
उल्लेखनीय है कि जुलाई के आखिर में विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा के विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कौल ने क्रॉस वोटिंग की थी। जिसके बाद खुद सीएम कमलनाथ ने इन दोनों विधायकों के कॉन्ग्रेस में शामिल होने का दावा किया था और शिवराज सिंह पर गंभीर आरोप लगाए थे। इस दौरान भाजपा के दोनों विधायकों ने भी कॉन्ग्रेस सरकार को समर्थन देने की घोषणा की थी। लेकिन अब नारायण त्रिपाठी की घर वापसी से साफ़ हो गया है कि तीन महीने में ही उनका कॉन्ग्रेस से मोह भंग हो चुका है।