महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने अयोध्या के फैसले पर ख़ुशी का इज़हार किया है। पार्टी के मुखिया और शिव सेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वे आज खुश हैं। उन्हें ख़ुशी है कि मंदिर के संघर्ष के लिए बलिदान देने वाले कार सेवकों के बलिदान व्यर्थ नहीं गए हैं।
MNS chief Raj Thackeray: I am happy today. All ‘karsevaks’ who gave sacrifices during the entire struggle..their sacrifice has not gone waste.Ram Temple must be constructed at the earliest. Along with Ram Temple, there should also be ‘Ram Rajya’ in the nation,that is my wish. pic.twitter.com/kUtg2cHTFN
— ANI (@ANI) November 9, 2019
#AyodhyaVerdict
— India Today (@IndiaToday) November 9, 2019
Raj Thackeray welcomed the Supreme Court’s verdict on Ayodhya title dispute case | @Pkhelkar https://t.co/8auvX5Lb8n
गौरतलब है कि राम जन्मभूमि मंदिर के आंदोलन में विश्व हिन्दू परिषद, लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के अलावा शिव सेना (2008 में मनसे के निर्माण से पहले राज ठाकरे की भी पार्टी) का भी बड़ा हाथ था। 1992 में बाबरी ध्वंस मामले में बाला साहेब ठाकरे को भी आरोपित के तौर पर नामजद किया गया था।
राज ठाकरे ने आज (9 नवंबर, 2019 को) राम मंदिर के जल्दी से जल्दी मंदिर निर्माण की माँग की है। उन्होंने साथ ही कहा कि राम मंदिर के अलावा उनकी इच्छा राष्ट्र में राम राज्य की भी है।
बाबरी मस्जिद निर्माण के 491 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुना राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने साफ़ कर दिया कि मुस्लिम पक्ष अयोध्या की विवादित ज़मीन पर अपना दावा साबित करने में विफल रहा। राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट स्थापित कर 3 महीने के भीतर मंदिर निर्माण के लिए योजना शुरू की जाए, ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है।
ट्रस्ट बनाने और मंदिर निर्माण की योजना के लिए तीन महीने का वक्त सरकार को दिया गया है। साथ ही शीर्ष अदालत ने कहीं और मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन देने का भी निर्देश दिया है। यानी, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए अलग से ज़मीन दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि बाहरी हिस्से पर हिन्दुओं द्वारा पहले से ही पूजा की जा रही थी, इसमें कोई विवाद नहीं है। 1857 से पहले यहाँ हिन्दुओं द्वारा पूजा करने के सबूत हैं। मुस्लिम पक्ष को राम मंदिर बनाने के लिए अयोध्या में ही 5 एकड़ ज़मीन दी जाएगी।