कोरोना जैसी महामारी के बीच सरकार ने फार्मास्युटिकल घटकों के लिए चीन पर चली आ रही निर्भरता को ख़त्म करने के उद्देश्य से देश में बड़े पैमाने पर दवा निर्माण की मदद के लिए 14 हजार करोड़ रुपए निवेश की घोषणा की है।
सरकार ने शनिवार (मार्च 21, 2020) को यह फैसला अपने ही देश में बड़े स्तर पर ड्रग या दवाओं के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए किया है। इससे देश में सक्रिय फार्मास्युटिकल घटक (एपीआई) के उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही हमारी चीन से आयात निर्भरता भी कम हो सकेगी।
कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते भारत में थोक दवाओं और एपीआई (Active Pharmaceutical Ingredient) के आयात पर पूरी तरह रोक लग गई है। इससे यह डर पैदा हो गया है कि अगर महामारी की समय सीमा और भी लंबी खिंच गई तो देश में दवाओं की कमी हो सकती है।
कैबिनेट के निर्णय के अनुसार, ड्रग्स और एपीआई के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए चार योजनाओं की शुरुआत की जाएगी। पहली योजना के तहत सरकार ने 1,000 करोड़ रुपए का बजट पेश किया है, जो राज्यों में थोक दवाओं को उपलब्ध कराने में मदद करेगा। राज्य सरकारें मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए 1000 एकड़ जमीन उपलब्ध कराएँगी। इसके लिए राज्यों को हर पार्क के लिए अनुदान के रूप में अधिकतम 100 करोड़ रुपए दिए जाएँगे। इससे देश में उत्पादन लागत में कमी आएगी और बल्क ड्रग (एक साथ बड़ी मात्रा में दवा उत्पादन) के लिए अन्य देशों पर निर्भरता भी कम होगी।
इसके साथ ही ड्रग प्रोत्साहन योजना 6,940 करोड़ रुपए के कुल बजट के साथ चलाई जाएगी। यह योजना चार साल के लिए थोक दवा इकाइयों वाले निवेशकों को उत्पादन लागत पर 20% प्रोत्साहन प्रदान करेगी। पाँचवें साल में प्रोत्साहन 15% और छठे साल से 5% हो जाएगा।
कंपनियों द्वारा चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए 3,420 करोड़ रुपए का बजट भी निर्धारित किया गया है। घरेलू विनिर्माण के लिए सभी 53 एपीआई की पहचान की गई है।