बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत की संपत्ति पर बीएमसी कार्रवाई के खिलाफ़ हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद शिवसेना नेता और मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर ने अभिनेत्री पर हमला बोला है।
मीडिया से बात करते हुए किशोरी ने कहा, “हम लोग भी हैरान हुए हैं कि एक नॉटी (इस शब्द का अर्थ संजय राउत के लिए हरामखोर है) जो रहती हिमाचल प्रदेश में है और यहाँ आकर हमारी मुंबई को पीओके कहती है। ऐसे दो टके के लोग अदालत को भी राजनीति का अखाड़ा बनाना चाहते हैं, वो गलत हैं, क्योंकि ऐसे बेकार व्यक्ति अदालतों को राजनीतिक युद्ध के मैदान में बदलना चाहते हैं।”
बीएमसी मेयर का कहना है कि वो कंगना को जानती तक नहीं हैं और उन्होंने कभी कंगना की फिल्में नहीं देखीं। उन्होंने बीएमसी की कार्रवाई को ‘बदले की कार्रवाई’ होने से नकारा। उन्होंने कहा, “कार्रवाई इसलिए हुई है क्योंकि कार्रवाई लायक कुछ था। मैं व्यक्तिगत रूप से यह भी नहीं जानती कि वह कौन थी। मैंने उसकी फिल्में कभी नहीं देखीं, क्योंकि समय नहीं है।”
#WATCH: Everyone is surprised that an actress who lives in Himachal, comes here & calls our Mumbai PoK… such ‘do takke ke log’ want to make Courts arena for political rivalry, it’s wrong: Mumbai Mayor Kishori Pednekar on Bombay HC setting aside BMC notices to Kangana Ranaut https://t.co/DZi7GVeFI2 pic.twitter.com/UPlLvygIxI
— ANI (@ANI) November 27, 2020
इससे पहले जब कोर्ट का फैसला आया था तब भी पेडनेकर ने बीएमसी का बचाव किया था। उन्होंने कहा था कि बीएमसी की कार्रवाई निगम के नियमों के अनुसार है। उन्होंने कंगना रनौत मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश का आकलन करने के लिए बीएसी लीगल टीम के साथ बैठक की थी।
बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला
यहाँ बता दें कि मुंबई महानगर पालिका (BMC) के खिलाफ लड़ाई में अभिनेत्री कंगना रनौत को बॉम्बे हाई कोर्ट में बड़ी जीत मिली है। हाई कोर्ट ने कंगना के बंगले पर बीएमसी की कार्रवाई को अवैध और दुर्भावना से परिपूर्ण माना है और बीएमसी का नोटिस रद्द कर दिया है।
हाई कोर्ट ने बीएमसी को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि यह बदले की भावना के तहत की गई कार्रवाई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट के जज ने टिप्पणी करते हुए कहा, “कंगना रनौत के मुंबई को पीओके बनाने वाले बयान के अगले दिन एक नेता का बयान आता है और फिर कंगना को नोटिस देकर महज 24 घंटे का समय दिया जाता है। कार्रवाई होने के बाद अखबार में लिखा जाता है कि बदला ले लिया।”
कंगना रनौत और शिवसेना नेता संजय राउत का मामला
याद दिला दें कि गत सितंबर में शिवसेना नेता और कंगना रनौत के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई थी। उस समय राउत ने कंगना को मुंबई में आने से मना किया था, जिस पर कंगना ने कहा था कि वह मुंबई आएँगी और उन्हें वहाँ आने से कोई नहीं रोक सकता। इसके बाद न्यूजनेशन पत्रकार से बात करते हुए राउत ने कंगना के लिए हरामखोर शब्द का इस्तेमाल किया था। बाद में मामला तूल पकड़ने पर उन्होंने तर्क दिया था कि इसका अर्थ उनकी भाषा में नॉटी या बेईमान होता है।
इसके बाद राउत ने कई जगह इस शब्द का इस्तेमाल किया, लेकिन अंत में कोर्ट ऐसे बयान पर संतुष्ट नहीं हुई और शिवसेना नेता की भाषा की निंदा की। आज बीएमसी कार्रवाई पर बॉम्बे हाईकोर्ट के जज जस्टिस एसजे कैथावाला और आरआई छागला की बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा, “जिस तरह से यह तोड़फोड़ की गई वह अनाधिकृत था। ऐसा गलत इरादे से किया गया था। ये याचिकाकर्ता को कानूनी मदद लेने से रोकने का एक प्रयास था।” अदालत ने अवैध निर्माण के बीएमसी के नोटिस को भी रद्द कर दिया है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक समिति बनाने को कहा है जो कंगना रनौत को हुए नुकसान का आँकलन करेगी और फिर BMC से इसकी वसूली की कार्रवाई शुरू की जाएगी। तब तक अदालत ने कंगना को रहने लायक निर्माण कार्य करने की अनुमति दी है। साथ ही बीएमसी को कहा है कि आगे से किसी भी नागरिक पर ऐसी कार्रवाई करने से पहले 7 दिन का नोटिस दिया जाए।