Friday, November 22, 2024
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‘वाल्मीकि डाकू था… तालिबान आज़ादी के लिए लड़े’, मुनव्वर राना ने कहा – यहाँ मुस्लिमों को कातिल बताया जाता है

तालिबान का जो व्यवहार है, उसे आतंकी नहीं कह सकते।, वो बस आक्रामक हैं। हिंदुस्तान में आतंकी की कोई परिभाषा ही नहीं तय की गई है। 'तालिबान' एक 'अच्छा लफ्ज' है, जिसका मतलब होता है 'छात्र', अर्थात पढ़ने वाला।

शायर मुनव्वर राना अक्सर अपने बयानों के कारण चर्चा में रहते हैं। अब उन्होंने तालिबान का महिमामंडन किया है। उन्होंने कहा है कि तालिबान ने अपने मुल्क को आज़ाद कराया। इसके बाद ‘न्यूज नेशन’ चैनल पर दीपक चौरसिया से बात करते हुए मुनव्वर राना ने कहा कि दो बड़े दुश्मनों को, जो रूस और अमेरिका से ज़िंदगी भर लड़े हों, तो उन पर कितने जुल्म हुए होंगे इसका भी हिसाब निकाला जाना चाहिए। उन्होंने भगवान वाल्मीकि से तालिबान की तुलना कर डाली।

मुनव्वर राना ने कहा कि तालिबान के जुल्म को लेकर हमें परेशान होने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन अफगानिस्तान के हजार वर्ष का इतिहास कहता है कि हिंदुस्तान ने उनसे हमेशा मोहब्बत की है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहाँ संसद भवन बनाया और कई परियोजनाएँ चलाई, क्या इसे ‘तालिबान फरामोश’ कह देंगे? उन्होंने कहा कि बंदूक तो हमारे आदमी भी लेकर बैठे रहते हैं।

उन्होंने दावा किया कि बलिया के एक नेता ने कहा कि मुनव्वर राना का एनकाउंटर करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ये समझना पड़ेगा कि आतंकवाद क्या है। साथ ही दावा किया कि तालिबान ने भारतीयों के खिलाफ कोई खराब कदम नहीं उठाया और उन्हें जाने के लिए नहीं कहा, लेकिन हालात बिगड़ने पर लोग आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाद में हिंदुस्तानी वहाँ वापस चले जाएँगे। तालिबानी आतंकी हैं या नहीं, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी तक वो आतंकी ही हैं।

‘न्यूज नेशन’ के दीपक चौरसिया से शायद मुनव्वर राना की बातचीत

लेकिन, साथ ही कहा, “वाल्मीकि रामायण लिख देता है तो वो देवता हो जाता है, उससे पहले वो डाकू होता है। इंसान का कैरेक्टर बदलता रहता है। वाल्मीकि का जो इतिहास था, उसे तो हमें निकालना पड़ेगा न। हमें तो अफगानी अच्छे लगते हैं। वाल्मीकि को आप भगवान कह रहे हैं, लेकिन आपके मजहब में तो किसी को भी भगवान कह दिया जाता है। वो लेखक थे। उनका काम था रामायण निकला, जो उन्होंने किया।”

मुनव्वर राना ने कहा कि अफगानियों पर क्या जुल्म हुआ और क्या नहीं हुआ, इस कहानी को बाद के लिए रख कर मौजूदा हालात में क्या होना है ये सोचना चाहिए। उन्होंने पूछा कि भारत तालिबान को क्यों दुश्मन बना रहा है? उन्होंने तालिबानियों को ‘अफगानी’ कहने की वकालत करते हुए कहा कि कल को वो बादशाह होंगे तो हमारा दूतावास वहाँ खुलेगा और वहाँ हमारे लोग व्यापार करेंगे। उन्होंने ‘तालिबान’ को एक ‘अच्छा लफ्ज’ बताते हुए कहा कि इसका मतलब होता है ‘छात्र’, अर्थात पढ़ने वाला।

मुनव्वर राना ने कहा कि जितनी बहस अफगानिस्तान व तालिबान पर हो रही है, उसे हिंदुस्तान की मॉब लिंचिंग और कानपुर में गुंडागर्दी पर होनी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि भारत में मुस्लिमों को कातिल बोला जाता है। उन्होंने इस पर बहस करने को कहा कि क्या कानपुर की वारदात पर बहस हुई, शर्मिंदगी का इजहार किया गया? उन्होंने दीपक चौरसिया से कहा कि आपकी ड्यूटी भारत के लोगों की हिफाजत है, विदेश की बातें करना नहीं।

मुनव्वर राना ने ये भी कहा कि अभी तालिबान ने आपको नहीं सताया न। 9/11 और कंधार हाइजैकिंग में तालिबान का नाम आने पर उन्होंने कहा कि दुनिया ने कुछ साबित नहीं किया न, ये सब तो इल्जाम हैं और ये भी कहा जा सकता है कि सब मुनव्वर राना ने करवाया है। उन्होंने उदाहरण दिया कि सद्दाम हुसैन को आतंकी बताया गया और उसके मुल्क में परमाणु बम होने की बात कही गई, लेकिन वहाँ से कुछ नहीं निकला।

उन्होंने पूछा कि इस पर अमेरिका की आलोचना क्यों नहीं की गई? वहीं ‘नवभारत टाइम्स’ से बात करते हुए उन्होंने कहा कि अपने मुल्क के लिए लड़ने वाले को आतंकी कैसे कहा जा सकता है? उन्होंने कहा कि इसे समझने के लिए दूर तक जाना पड़ेगा और हिंदुस्तानी होकर नहीं सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि तालिबान ने अपने मुल्क को आज़ाद कराया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान हजारों वर्षों से हिंदुस्तान का दोस्त है और उनका वीजा भी नहीं लगता।

NBT से बात करते हुए मुनव्वर राना का बयान

उन्होंने अमेरिका और रूस पर अफगानों को परेशान करने का आरोप लगाते हुए कहा कि हमें इससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए, हमारा इसमें कोई रोल नहीं। उन्होंने भारत को सही समय का इंतजार करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान कभी हिंदुस्तान का हिस्सा रहा था। उन्होंने कहा कि तालिबान का जो व्यवहार है, उसे आतंकी नहीं कह सकते।, वो बस आक्रामक हैं। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में आतंकी की कोई परिभाषा ही नहीं तय की गई है।

मुनव्वर राना ने कहा, “जो पीड़ित लोग हैं वो यही हैं जो अब तक अशरफ गनी के साथ थे, अमेरिका के साथ लड़ रहे थे। आम अफगानी क्यों वहाँ से भागेगा? जो वहाँ ऐश कर रहे थे, इसीलिए उन्हें भागना पड़ा। हिंदुस्तान जल्दबाजी में फैसले करता है। इससे ताल्लुकात खराब होंगे। अफगानिस्तान में बड़ी फ़िल्में बनीं। ‘काबुलीवाला’ एक कहानी है। हिंदुस्तान से वो क्यों झगड़ा मोल लेंगे? किसी से क्यों झगड़ा मोल ले गए?”

वाल्मीकि पर घटिया कमेंट क्यों?

मुनव्वर राना को शायद कानून का ज्ञान नहीं। शायद वो अखबार भी नहीं पढ़ते होंगे। इसी वजह से ऋषि वाल्मिकी की तुलना तालिबान से कर दी, उन्हें डकैत बोल दिया। ज्ञान होता तो ऐसा नहीं करते। राखी सावंत वाले मामले को जरूर जानते। वो मामला, जिसमें राखी सावंत को पंजाब पुलिस के सामने जाकर सरेंडर करना पड़ा था क्योंकि उन्होंने भी ऋषि वाल्मिकी को डकैत और हत्यारा कह दिया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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