उत्तर प्रदेश महिला कॉन्ग्रेस की मध्य जोन इकाई की उपाध्यक्ष और विवादित शायर मुनव्वर राणा की बेटी उरूसा राणा ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है। उन्होंने बीते दिन कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा के लखनऊ में धरने के दौरान दुर्व्यवहार किए जाने की बात की हैं।
लल्लू पर उरूसा ने बेइज्जती का लगाया आरोप
उरूसा ने आरोप लगाया कि जब वह गाँधी प्रतिमा के सामने धरना प्रदर्शन से पहले प्रियंका का अभिवादन करने उनके नजदीक पहुँचीं तो लल्लू ने उन्हें बेइज्जत करके वहाँ से चले जाने को कहा।
CAA-NRC के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान लल्लू सहयोग माँगते थे: उरूसा
उरूसा ने कहा कि जब लखनऊ में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ प्रदर्शन की बारी थी तब लल्लू उनसे सहयोग माँगते थे। आज जिस तरह उन्होंने बर्ताव किया, उससे वह बहुत ‘आहत’ हैं।
लल्लू ने आरोपों को बताया गलत
उधर, प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष ने उरूसा के आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। अजय कुमार लल्लू के अनुसार उरूसा पार्टी की सम्मानित पदाधिकारी हैं और उनका अपमान करने का कोई सवाल ही नहीं उठता। लल्लू ने कहा कि बल्कि खुद उन्होंने ही प्रियंका से उरूसा का परिचय कराया था। उरूसा खुद को जहाँ से हटाए जाने की बात कर रही हैं, वहाँ प्रियंका गाँधी के अलावा किसी और को नहीं बैठना था।
बता दें कि अक्टूबर 2020 में उरूसा राणा ने कॉन्ग्रेस का दामन थामा था। शायर मुनव्वर राणा की बेटियाँ फौजिया, सुमैया और उरूसा ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। तब से ये तीनों चर्चा में आई थीं। फौजिया राणा तो शाहीन बाग भी पहुँची थीं, जो सीएए विरोध का प्रमुख केंद्र रहा। फौजिया ने लखनऊ में भी घंटाघर पर सीएए के विरोध में धरना दिया था। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
उरूसा राणा ने अपनी बहन सुमैय्या और फौजिया राणा का खुलकर समर्थन किया था। साथ ही, पीएम मोदी और यूपी की योगी सरकार को खुली चुनौती देते हुए घंटाघर पर कई दिनों तक सरकार के खिलाफ चले महिलाओं के प्रर्दशन में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी।
गौरतलब है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में चल रहे सीएए, एनआरसी के विरोध प्रदर्शन के दौरान मुनव्वर राणा की बेटी सुमैया राणा ने कहा था, “हमें ध्यान रखना है कि हमें इतना भी न्यूट्रल (तटस्थ) नहीं होना है कि हमारी पहचान ही खत्म हो जाए। पहले हम मुस्लिम हैं और उसके बाद कुछ और हैं। हमारे अंदर का जो दीन है, जो इमान है, वह जिंदा रहना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि हम अल्लाह को भी मुँह दिखाने लायक न रह जाएँ।”