जिस कानून के तहत भारतीय नागरिकता मिलने पर पाकिस्तानी हिन्दुओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नई जिन्दगी देने के लिए आभार जताया है, वह कॉन्ग्रेस की सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को रास नहीं आ रहा। CAA के तहत नागरिकता देने को मुस्लिम लीग ने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन बताया है और सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। CAA पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में प्रताड़ित किए गए हिन्दुओं को नागरिकता देने का प्रावधान करता है। मुस्लिम लीग शुरू से ही इसके विरोध करती आई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुस्लिम लीग ने दिल्ली के कुछ वरिष्ठ वकीलों के साथ इस मुद्दे को लेकर बातचीत चालू कर दी है। मुस्लिम लीग इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की याचिका लगाएगी। मुस्लिम लीग के अनुसार, पाकिस्तान से आए प्रताड़ित हिन्दुओं को नागरिकता देना वोटरों को लुभाना है।
इस मामले में मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय महासचिव पी के कुंहलीकुट्टी ने कहा, “केंद्र सरकार ने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि इस कानून को तुरंत ही प्रभाव में नहीं लाया जाएगा। उन्होंने कोर्ट को गुमराह करके नागरिकता दी है। यह वोटरों को लुभाने के लिए किया गया है।”
मुस्लिम लीग के केरल के महासचिव PMA सलाम ने बताया, “हमने CAA के खिलाफ अपनी लड़ाई को आगे ले जाने के लिए वकीलों से बातचीत चालू की है। पार्टी इस मामले में चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट, दोनों के पास जाएगी।”
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने बुधवार (15 मई, 2024) को 300 से अधिक लोगों को नागरिकता दी है। इनमें से 14 लोगों को गृह मंत्रालय बुलाकर उनके नागरिकता प्रमाण पत्र दिए गए। इनमें से अधिकांश हिन्दू हैं, जो कि पाकिस्तान में प्रताड़ना से भाग कर भारत आए थे। CAA कानून के तहत यह 2014 से पहले आए थे, इसलिए इन्हें नागरिकता दे दी गई।
नागरिकता पाने वाले हिन्दुओं ने बताया कि पाकिस्तान में उन्हें लगातार यातनापूर्ण और दोयम दर्जे का जीवन जीना पड़ता था। एक महिला ने बताया, “वहाँ हमें बहुत मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं। लड़कियाँ पढ़ नहीं सकतीं और घरों से बाहर निकलना मुश्किल होता है। मुस्लिम हिंदू लड़कियों को किडनैप कर लेते हैं और उन्हें जबरन इस्लाम कबूल करवाया जाता है।”
इन नागिरकता पाए लोगों के विरुद्ध अब मुस्लिम लीग कोर्ट का रास्ता अपनाएगी। मुस्लिम लीग इससे पहले मार्च 2024 में CAA लागू किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुँची थी। सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम लीग ने इस कानून को लागू किए जाने पर रोक लगाने की माँग की थी। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
गौरतलब है कि भारत सरकार ने सोमवार (11 मार्च, 2024) को CAA (नागरिकता संशोधन कानून) को देश भर में लागू करते हुए इसके नियमों की अधिसूचना जारी कर दी थी। इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में प्रताड़ित हुए अल्पसंख्यकों (हिन्दू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध एवं पारसी) को भारत की स्थायी नागरिकता मिलेगी, जो 31 दिसंबर, 2014 तक विस्थापित होकर भारत आ गए थे।
CAA का विरोध करने वाली मुस्लिम लीग का कनेक्शन भारत का विभाजन करवाने वाले मोहम्मद अली जिन्ना से है। केरल और तमिलनाडु की राजनीति में IUML की मजबूत पकड़ है। इसे केरल में राज्यस्तरीय पार्टी का भी दर्जा प्राप्त है। केरल में वह कॉन्ग्रेस की सहयोगी पार्टी भी है। केरल में केरल विधानसभा में IUML के 15 विधायक और 4 लोकसभा सांसद हैं।