उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर में नगरपालिका की बैठक में मुस्लिम पार्षदों पर राष्ट्रीय गीत के अपमान के आरोप लगे हैं। वीडियो में देखा जा सकता है कि जब ‘वन्दे मातरम्’ बजाय जा रहा है, तब सभी पार्षद राष्ट्रगीत के सम्मान में खड़े हैं लेकिन 4 बुर्कानशीं मुस्लिम महिलाएँ बैठी हुई हैं। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इसे राष्ट्रगीत का अपमान करार दिया। बैठक में केंद्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन विभाग मंत्री संजीव बालियान भी मौजूद थे।
संजीव बालियान मुज़फ्फरनगर के स्थानीय सांसद भी हैं। नगरपालिका बोर्ड की बैठक में मुस्लिम महिला पार्षदों द्वारा राष्ट्रगीत के अपमान का मामला तूल पकड़ रहा है। शनिवार (18 जून, 2022) को दोपहर में नगरपालिका सभागार में हुई बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार वोकेशनल एजुकेशन एवं स्किल डेवलपमेंट मंत्री कपिलदेव अग्रवाल भी मौजूद थे, जो मुज़फ्फरनगर नगरपालिका के अध्यक्ष भी रहे हैं। कई वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में ऐसा हुआ।
जिस बैठक में शहर के विकास के लिए 196 करोड़ रुपए का प्रस्ताव पास हुआ, उसमें महिला मुस्लिम सभासदों के अलावा पूरा सदन राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ के सम्मान में खड़ा हुआ। सदन के लोग भी इस हरकत से नाराज़ दिखे। कार्यवाही शुरू होने से पहले राष्ट्रगीत बजाया गया था। केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने सभी को राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत के सम्मान की सलाह दी। पार्षदों ने इस पर चर्चा भी की। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब महिला ही राष्ट्रीय गीत का अपमान करेगी तो समाज को कैसे मजबूत करेगी?
“मुस्लिम महिलाओं ने किया राष्ट्रगीत वंदे मातरम का अपमान”
— Shivam Dixit (@ShivamdixitInd) June 19, 2022
मुजफ्फरनगर नगर पालिका की बोर्ड बैठक में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान व यूपी मंत्री संजीव बालियान के सामने हुआ अपमान हुआ राष्ट्रगीत का अपमान pic.twitter.com/gyRTbHStEr
बता दें कि राष्ट्रगीत को भी राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के समान दर्जा देने का माला अदालत में चल रहा है और मई 2022 के अंतिम हफ्ते में दिल्ली उच्च-न्यायालय ने इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार की राय भी माँगी थी।
भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने इस सम्बन्ध में जनहित याचिका (PIL) दाखिल की है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रगीत को लेकर कोई दिशानिर्देश न होने के कारण असभ्य रूप से इसका इस्तेमाल हो रहा है और फिल्मों-पार्टियों में भी इसका अपमान किया जा रहा है।
उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा के सभापति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि ‘वंदे मातरम’ गीत ने भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष में एक ऐतिहासिक भूमिका निभाई थी और इसे ‘जन-गण-मन’ के साथ समान रूप से सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा सभी संस्थानों में दोनों को समान रूप से बजाने की माँग की है।