कॉन्ग्रेस नेता नाना पटोले को महाराष्ट्र विधानसभा का नया स्पीकर चुना गया है। पटोले राज्य के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। वो 1999 से 2014 तक हैट्रिक चुनाव जीत कर लगातार विधायक रहे। हालिया विधानसभा चुनाव में फिर से विधायक बने। 2014 में उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीते। शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन महाविकास अघाड़ी ने उन्हें संयुक्त रूप से स्पीकर पद का उम्मीदवार बनाया था। बीजेपी ने चुनाव से पहले अपने उम्मीदवार किशन कठोरे का नाम वापस ले लिया। इसके बाद पटोले निर्विरोध स्पीकर चुने गए।
ये वही नाना पटोले हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बगावत करने के बाद भाजपा छोड़ दी थी और फिर कॉन्ग्रेस में शामिल हो गए थे। नाना पटोले 2014 में भाजपा के टिकट पर भंडारा-गोंदिया लोकसभा क्षेत्र से जीत कर सांसद बने थे। दिसम्बर 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव से ऐन पहले नाना पटोले ने पार्टी से बगावत कर दी थी। उन्होंने न सिर्फ़ पार्टी की प्राथमिक सदस्यता, बल्कि लोकसभा से भी इस्तीफा दे दिया। महाराष्ट्र के अकोला में भाजपा के एक अन्य बागी नेता यशवंत सिन्हा किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए धरने पर बैठे थे। पटोले ने उनका समर्थन कर के भाजपा को नाराज़ कर दिया था। साथ ही उन्होंने सीधा पीएम मोदी की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे।
विदर्भ में पेस्टिसाइड पॉयजनिंग के कारण किसानों की मौत को मुद्दा बना कर पटोले ने भाजपा से नाता तोड़ा था। उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यप्रणाली के कारण भाजपा में लोकतंत्र नहीं बचा है। 1990 में पहली बार जिला परिषद सीट जीत कर राजनीति में एंट्री लेने वाले पटोले ने भाजपा में ज्यादा भाव न मिलने के कारण दिसम्बर 2017 में पार्टी को अलविदा कह दिया। कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी से उनकी मुलाक़ात हुई और फिर वो कॉन्ग्रेस का हिस्सा बन गए।
Maharashtra has a tradition to elect Assembly Speaker unanimously & not by election.
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) December 1, 2019
Protem Speaker Dilip Walse Patil ji requested for consensus & @BJP4Maharashtra agreed to this.
Congratulated new Assembly Speaker Nana Patole in the house.
भाजपा में शामिल होने से पहले भी नाना पटोले ने लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन असफल रहे थे। 2009 में उन्होंने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा का दामन थामा और सकोली विधानसभा क्षेत्र से विजयी हुए। पटोले को यशवंत सिन्हा के आंदोलन का समर्थन करने के कारण महाराष्ट्र भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष रावसाहब दाणवे ने कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया और यहीं से भाजपा के साथ उनकी नाराज़गी बढ़ती चली गई।
नाना पटोले ने आरोप लगाया था कि एक बैठक के दौरान जब उन्होंने पीएम मोदी के सामने बढ़ते टैक्स और किसानों का मुद्दा उठाया तो उन्होंने कहा कि चुप रहो। पटोले ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री गंभीर मुद्दों पर सवाल पूछने पर आग-बबूला हो जाते हैं।
पटोले पहले भी कॉन्ग्रेस में रह चुके हैं। जनवरी 2018 में उनकी वापसी के बाद अब पार्टी ने उन्हें इनाम दिया है। प्रोटेम स्पीकर दिलीप पाटिल ने नए विधानसभाध्यक्ष के रूप में 57 वर्षीय पटोले के नाम की घोषणा की। इसके साथ ही पिछले 2 दशक में पहली बार विदर्भ क्षेत्र से किसी को स्पीकर का पद मिला। उन्होंने हालिया चुनाव में फडणवीस सरकार में मंत्री रहे परिणय फुके को हराया। फुके पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस के क़रीबी हैं। 1987 में नागपुर यूनिवर्सिटी से राजनीति की शुरुआत करने वाले पटोले अब विधानसभा में स्पीकर हैं। उन्हें इस पद पर निर्विरोध चुना गया।