प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इस कार्यकाल में यह साबित कर दिया है कि वो हर हाल में जनता के नेता हैं और जब बात राजनीति की आए तो वो मैदान पर 360 डिग्री बल्लेबाजी भी करना जानते हैं। ‘राजनीतिज्ञों’ की तमाम संभावनाओं को इस 5 साल के कार्यकाल में अपने ‘मास्टरस्ट्रोक्स’ से नकार देने वाले नरेंद्र मोदी अब राजनीति में विरोधियों से बहुत आगे निकल चुके हैं।
नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते ही देश की “सवा सौ करोड़” जनता, जिसमें समाज का हर तबका, यानी युवा, बुजुर्ग, गरीब, अमीर, अगड़ा, पिछड़ा, मध्यम वर्ग, किसान, कारोबारी, धर्म, मत, सम्प्रदाय आता है, के प्रति समर्पित होकर काम करने का वायदा किया था।
अपने काम करने के तरीकों से बहुमत की इस सरकार का पूरा फायदा उठाते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन 5 सालों में एक प्रबल राजनीतिक इच्छाशक्ति का उदाहरण पेश किया है। साथ ही यह भी याद रखा जाना चाहिए कि उन्होंने कहा था कि वो 4 साल काम और पाँचवें साल राजनीति करेंगे।
विपक्ष उनके ‘राजनीति करने’ के अलग-अलग आशय निकाल रहा था और उम्मीद कर रहा था कि पाँचवें साल में नरेंद्र मोदी सिर्फ चुनाव प्रचार और रैलियाँ ही करेंगे। लेकिन जिस तरह की घोषणाएँ और उपलब्धियाँ पिछले कुछ दिनों में मोदी सरकार ने हासिल की हैं, वो हर किसी के लिए चौंका देने वाली थी।
सामान्य वर्ग के गरीबों को रोज़गार और शिक्षा में 10% आरक्षण
इसी तरह का चौंकाने वाला कदम था सामान्य वर्ग के लोगों को आरक्षण के दायरे में ले आया। इस क़ानून के अंतर्गत सरकार को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में सामान्य वर्ग के गरीबों को 10% आरक्षण का अधिकार होगा। यह 10% आरक्षण, मौजूदा 50% की सीमा के अतिरिक्त होगा। इसे लोकसभा एवं राज्यसभा- दोनों सदनों में पारित किया जा चुका है। इसके दोनों सदनों में पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ऐतिहासिक बिल और सामाजिक न्याय की जीत बताया था।
5 लाख तक के दायरे को टैक्स मुक्त
बजट के भाषण में शुरुआती चरणों में टैक्स की बात करने के समय पीयूष गोयल ने छूट की कोई बात नहीं की। ट्विटर पर तब तक बवाल हो गया की मोदी सरकार ने दोबारा टैक्सदाताओं की उपेक्षा की है। लेकिन, विपक्ष को लगभग ट्रोल करते हुए स्पीच के अंत में जब घोषणा की तो विपक्ष सन्न रह गया। टैक्स छूट की सीमा ₹2.5 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख की गई। यानी अब आयकर की सीमा ₹5 लाख कर दी गई। 3 करोड़ लोगों को इससे फायदा होगा। एनडीए सरकार ने अपने अंतरिम बजट में आम लोगों को टैक्स में बड़ी रियायत दे दी है। लोकसभा चुनाव से पहले ये आम आदमी को सरकार की तरफ से बड़ा तोहफा है। सरकार आयकर छूट की सीमा ढाई से लाख रुपए से बढ़ाकर सीधे ₹5 लाख कर दिया है।
भगोड़ों की घरवापसी
कई सालों से देश में चाँदी लूट रहे कारोबारी जब अचानक देश छोड़कर जाने लगे तो मोदी सरकार ने तत्परता से भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक पास किया।
सरकार में जनता के विश्वास को हौंसला तब मिला, जब कल यानी सोमवार (फरवरी 04, 2019) को ब्रिटेन के गृह सचिव द्वारा भगोड़े विजय माल्या के प्रत्यर्पण को मंजूरी देने की ख़बरें सामने आई। उम्मीदें हैं कि जल्द ही विजय माल्या और ₹14 हजार करोड़ का PNB घोटाला कर, विदेश भागे हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी भारत की जेल में गुड़ और चना खाते हुए दिखेंगे। विजय माल्या के साथ ही अब भारत सरकार मेहुल चौकसी के प्रत्यर्पण पर जोर दे रही है।
अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआइपी हेलीकॉप्टर घोटाले मामले में दुबई में रहने वाले दो आरोपित राजीव सक्सेना और दीपक तलवार के भारत लाए जाने के बाद भाजपा ने आजकल राजनीतिक बढ़त बनाई है। ₹3600 करोड़ के इस घोटोले में भारत सरकार अभी इसके बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को भारत ला कर पूछताछ कर रही है।
सर्जिकल स्ट्राइक
पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक मोदी सरकार की ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जाएगी। विपक्ष और वामपंथी गिरोहों के लिए तो सर्जिकल स्ट्राइक 2 बार हुई, दूसरी बार तब जब, इसी घटना पर बनी फ़िल्म ‘उरी’ सुपरहिट साबित हुई।
सिंधु जल समझौता
उरी हमले के बाद सिंधु जल समझौते को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते हैं। पाकिस्तान में नई सरकार बनने के बाद भी भारत और पाकिस्तान के बीच पहली द्विपक्षीय वार्ता के रूप में सिंधु जल संधि को ही चुना गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अच्छे से जानते हैं कि भारत अगर इस समझौते को तोड़ देता है तो पाकिस्तान का हलक सूख जाएगा, इसलिए आतंकवाद के मुद्दे पर भारत सरकार के पास सिंधु जल समझौता पर आक्रामक रुख पाकिस्तान को सोचने पर मजबूर करता रहेगा।
सामरिक बढ़त
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़े प्रतिद्वंदी बनकर उभर रहे चीन को मोदी सरकार लगातार कूटनीतिक मात देती आई है। इसका उदाहरण ओमान के दुकम और ईरान में चाबहार बंदरगाह पर चीन को पछाड़ते हुए भारत का अधिकार होना है।
प्रधानमंत्री नहीं, प्रधान सेवक
इनके अलावा भी ऐसे चौंका देने वाले निर्णय नरेंद्र मोदी ने लिए हैं, जो ये बताते उन्होंने जनता के मूड को अच्छे से ‘हैक’ कर लिया है। चाहे वो फैसला नोटबंदी का हो, चाहे पाकिस्तान के ख़िलाफ़ उनकी रणनीति हो या फिर हर नागरिक को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए उनका निजी बैंक खाते का विषय हो, इन सबसे नरेंद्र मोदी ने जो एक छवि बनाई है वो हर हाल में जनता के नेता की है।
ये छवि ऐसे नेता की है, जो तुष्टिकरण की राजनीति को दरकिनार कर कठोर निर्णय लेना जानता है। ये वो नेता है जो राजनीतिक फायदों को नकार कर दूरगामी फायदों के लिए वर्तमान में कष्ट उठा कर लोगों का दिल जीत सकता है। जनता जान चुकी है कि यह वास्तव में प्रधानमन्त्री नहीं बल्कि ‘प्रधान सेवक’ है।