प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज स्कूल एजुकेशन कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के ज़रिए किस तरह के बदलाव आएँगे। उन्होंने कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 आगामी युग के बीज लगाने का काम करेगी। इस शिक्षा नीति की मदद से भारत को 21वीं सदी में नई दिशा मिलेगी। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चों की शुरूआती पढ़ाई का ज़िक्र करते हुए कहा हमें फन लर्निंग माहौल और एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग की ज़रूरत है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में बच्चों की शिक्षा पर बहुत ज़्यादा ज़ोर दिया गया है। प्री स्कूल में एक बच्चा माता पिता की छत्र छाया और आराम भरे माहौल से बाहर निकलने की कोशिश करता है। यह पहला पड़ाव होता है जब बच्चे अपने ज्ञान और कौशल को ज़्यादा बेहतर तरीके से समझने की शुरुआत करते हैं। इसके लिए ऐसे विद्यालय और ऐसे शिक्षकों की ज़रूरत है जो बच्चों को फन लर्निंग, प्लेफुल लर्निंग, एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग और डिस्कवरी बेस्ड लर्निंग का वातावरण दें।”
#NEP2020 focuses on primary-level education for fun, playful, activity-based and discovery-based learning of the students: Prime Minister @narendramodi #ShikshakParv pic.twitter.com/uS3RKdHiKj
— PIB India (@PIB_India) September 11, 2020
प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक़ फ़िलहाल हमारा ध्यान राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने पर होना चाहिए। अभी सरकार और लोगों का काम शुरू हुआ है, हमारा प्रयास होना चाहिए कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रभावशाली तरीके से और पूरी बराबरी से लागू की जाए। पिछले हफ्ते के दौरान राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के संबंध में 15 लाख सुझाव प्राप्त हुए हैं। सरकार ने उन सभी सुझावों का समुचित मूल्यांकन किया था।
उन्होंने कहा एक बच्चे को कक्षा 5 तक उसकी मातृ भाषा में ही पढ़ाया जाना चाहिए। बच्चों के लिए बहुत ज़रूरी है कि वह एक भाषा को समझने में समय देने की बजाय विषय को समझने में ज़्यादा समय बिताएँ। इसके अलावा बच्चों को अंतर्राष्ट्रीय भाषाएँ, अंग्रेज़ी और भारतीय भाषाएँ भी पढ़ाई जाएँगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पाठ्यक्रम भी कम किया जाएगा और छात्रों को फन लर्निंग का माहौल दिया जाएगा। साल 2022 तक नया पाठ्यक्रम प्रभावी हो जाएगा।
Pre-school is the first outside experience for the children. We need teachers right from the pre-school level who focus on fun-learning, activity based learning and discovery based learning: PM @narendramodi pic.twitter.com/HE6LfYlxIL
— BJP (@BJP4India) September 11, 2020
इसके बाद शिक्षकों की भूमिका का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कई बातें कहीं। उन्होंने कहा शिक्षकों पर यह ज़िम्मेदारी होगी कि वह बच्चों में गहन सोच, रचनात्मकता और संवाद की क्षमता स्थापित करें। 21वीं सदी में बच्चों के पास यह सभी गुण अनिवार्य रूप से होने चाहिए। यह हमारी ज़िम्मेदारी होनी चाहिए कि शिक्षा दीवारों के भीतर सीमित होकर न रह जाए। शिक्षा का दायरा बड़ा होना चाहिए जिससे बच्चों को बाहरी दुनिया जानने और समझने का मौक़ा मिले।
पीएम ने इस दौरान पाँच सी और पाँच ई का मंत्र दिया। पाँच C का मंत्र देते हुए पीएम ने कहा कि हमें अपने छात्रों को 21वीं सदी की स्किल्स के साथ आगे बढ़ाना है। 21वीं सदी के स्किल्स में Critical Thinking (गुण दोष में अंतर करने वाली सोच), Creativity (रचनात्मकता), Collaboration (सहयोग), Curiosity (जिज्ञासा) और Communication (संचार) शामिल है।
वहीं पाँच ई का मंत्र देते हुए पीएम ने कहा कि हमें आसान और नए-नए तौर-तरीकों को बढ़ाना होगा। हमारे ये प्रयोग नए समय की शिक्षा का मूलमंत्र होने चाहिए। पीएम ने कहा कि 5E में Engage, (प्रण करना), Explore, (खोज करना), Experience, (अनुभव करना), Express (प्रकट करना ) और Excel (श्रेष्ठ होना) शामिल है।
फिर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा हमारा लक्ष्य है की साक्षरता की नींव मज़बूत हो। हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि कक्षा 3 का बच्चा 1 मिनट के भीतर 30 से 40 शब्द पढ़ पाए। इसके लिए हमें लर्न टू रीड और रीड टू लर्न (सीखने के लिए पढ़ना और पढ़ने के लिए सीखना) की यात्रा तय करनी पड़ेगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की मदद से बच्चों की वैज्ञानिक मानसिकता का विकास होगा। यह शिक्षा नीति भारत के आने वाले कल की नींव रखेगी। इस कॉन्क्लेव का आयोजन शिक्षा मंत्रालय ने ‘शिक्षा पर्व’ कार्यक्रम के तहत कराया था जो 8 से 25 सितंबर तक चलने वाला है।