बीते छह सालों में 2838 पाकिस्तानी शरणर्थियों को भारतीय नागरिकता मिली है। इस दौरान 948 अफगानी और 172 बंगलादेशी शरणार्थियों को भी नागरिकता दी गई। इनमें मुस्लिम भी शामिल हैं। ये आँकड़े केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को चेन्नई में रखे। वे चेन्नई नागरिक मंच के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं।
इस दौरान उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के नाम पर विपक्ष लोगों को डराने की कोशिश कर रहा है, जबकि यह नागरिकता देने का कानून है न कि छीनने का। उन्होंने कहा कि इस कानून से देश में रहने वाला कोई मुस्लिम प्रभावित नहीं होगा। न ही इस पर राज्य सरकारों द्वारा विधानसभा में पारित किए गए प्रस्ताव का प्रभाव पड़ने वाला है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में केरल और पंजाब विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास किया गया था।
उन्होंने कहा कि हम इस कानून के माध्यम से शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दे रहे हैं। यह कानून किसी की नागरिकता लेता नहीं, बल्कि नागरिकता देता है। यह कानून शिविरों में रह रहे शरणार्थियों के बेहतर जीवन देने का एक प्रयास है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1964 से लेकर 2008 तक श्रीलंका से आए 4,00,000 से अधिक तमिलों को भी भारतीय नागरिकता दी गई है।
FM: In last 6 yrs,2838 Pak refugees,914 Afganistani, 172 Bangladeshi refugees were given Indian citizenship,which include Muslims too.From 1964-’08 over 4,00,000 Sri Lankan Tamils were given citizenship.566 Muslims from Pak, Bangladesh,Afghanistan were given citizenship till ’14. pic.twitter.com/KrgyUPN6d2
— ANI (@ANI) January 19, 2020
वित्त मंत्री ने बताया कि 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के 566 मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता दी गई। उन्होंने पाकिस्तानी गायक अदनान सामी और बांग्लादेश से आईं लेखिका तस्लीमा नसरीन का उदाहरण लोगों के सामने पेश करते हुए कहा कि 2016 से 2018 के बीच 391 अफगान मुस्लिम और 1595 पाकिस्तानी प्रवासियों को भारतीय नागरिकता दी गई है।
सीतारमण ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से आए शरणार्थियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ये सभी शरणार्थी पिछले करीब 50-60 सालों से शिविरों में रह रहे हैं। यदि आप इन शिविरों में जाएँगे तो आपकी रूह काँप उठेगी। उन्होंने कहा, “जो लोग सीएए का विरोध कर रहे हैं, वे शरणार्थी शिविरों की बात क्यों नहीं कर रहे हैं। जो मानवाधिकार की बातें नहीं करते हैं वे ही सीएए के विरोध की बातें कर रहे हैं। श्रीलंका और बंगलादेश के शरणार्थी शिविरों को देखना अति कष्टदायी है। यह आँखों में आँसू ला देगा।”
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