Friday, April 26, 2024
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गोरखपुर में बदल गई बिसात, जिसके लिए एक हुए थे सपा-बसपा, वही BJP में शामिल

प्रवीण के पिता व निषाद पार्टी के संस्थापक संजय निषाद ने कहा कि यूपी में रामराज के साथ निषाद-राज होगा। पूरे उत्तर प्रदेश की बात करें तो 14% निषाद, मल्लाह व केवट समाज किसी भी पार्टी की हार-जीत में बड़ी भूमिका निभाते हैं।

गोरखपुर का हाई प्रोफाइल उपचुनाव तो आपको याद ही होगा। वही चुनाव, जिसका मीडिया ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा से जोड़ते हुए विश्लेषण किया था। उस चुनाव में सपा उम्मीदवार प्रवीण कुमार निषाद को जिताने के लिए बसपा ने सपा को समर्थन दे दिया था। उसी के बाद से यूपी महागठबंधन की नींव पड़नी शुरू हो गई थी। अब महागठबंधन का वो सेनानी अपनी पूरी निषाद सेना के साथ भाजपाई हो गया है। गोरखपुर इसीलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह योगी की कर्मभूमि है और वो पाँच बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

1989 के बाद पहली बार 2017 में भाजपा ने इस सीट को खोया था। निषाद पार्टी के प्रवीण को सपा ने गोरखपुर से अपना उम्मीदवार बनाया था। अब निषाद पार्टी का भी भाजपा में विलय हो गया है। ये इसीलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि गोरखपुर में जनसंख्या के मामले में निषाद समाज दूसरे स्थान पर आता है। प्रवीण निषाद ने भाजपा के दिल्ली स्थित मुख्यालय में पार्टी की सदस्यता ली। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने भाजपा में उनका स्वागत किया।

प्रवीण के पिता व निषाद पार्टी के संस्थापक संजय निषाद ने कहा कि यूपी में रामराज के साथ निषाद राज होगा। निषाद पिता-पुत्र ने नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने का संकल्प लिया। प्रवीण निषाद को भाजपा द्वारा गोरखपुर से लड़ाए जाने की उम्मीद है। 3.5 लाख निषाद जनसंख्या वाली गोरखपुर सीट के लिए पार्टी के भाजपा में विलय से पार्टी ने राहत की साँस ली है। अगर पूरे उत्तर प्रदेश की बात करें तो 14% निषाद, मल्लाह व केवट समाज किसी भी पार्टी की हार-जीत में बड़ी भूमिका निभाता है।

इसके अलावा आज उत्तर प्रदेश में विपक्ष के कई नेता भाजपा में शामिल हुए जिनमें निम्नलिखित प्रमुख नाम हैं:

निर्मल तिवारी, पूर्व सांसद प्रत्याशी, बसपा

कन्नौज में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ चुके निर्मल तिवारी ने भाजपा ज्वॉइन कर ली। 2014 आम चुनाव में बसपा ने उन्हें डिंपल यादव से मुक़ाबला करने के लिए उतारा था। हालाँकि, डिंपल ने इस सीट से जीत दर्ज की थी, सवा लाख से भी अधिक वोटों के साथ निर्मल तिवारी तीसरे नंबर पर रहे थे।

मोहम्मद मुस्लिम, पूर्व विधायक, तिलोई

डॉक्टर मोहम्मद मुस्लिम अमेठी ज़िला स्थित तिलोई के विधायक रहे हैं। उन्होंने 2012 में 61,000 से भी अधिक मत पाकर कॉन्ग्रेस पार्टी के टिकट से इस सीट पर जीत दर्ज की थी। 2016 में उन्हें कॉन्ग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार कपिल सिब्बल के विरुद्ध वोट करने के कारण पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में वो दूसरे स्थान पर रहे थे। वो विधानसभा में कॉन्ग्रेस के मुख्य सचेतक भी रहे हैं। तिलोई विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिमों की प्रभावी संख्या होने के कारण उनके जुड़ने से भाजपा को फ़ायदा मिलने की उम्मीद है।

सुरेश पासी, पूर्व सांसद, कौशाम्बी

कौशाम्बी (तब चायल) लोकसभा क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर 1999 में संसद पहुँचे थे। 2014 आम चुनाव में उन्होंने सपा के टिकट पर सांसद का चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें तीसरे नंबर से संतोष करना पड़ा था। उन्हें उस चुनाव में 2 लाख से भी अधिक वोट मिले थे। अंदेशा लगाया जा रहा था कि वह 2019 आम चुनाव में कौशाम्बी से महागठबंधन का चेहरा होते। लेकिन उनके भाजपा में शामिल होने से विपक्ष को इलाक़े में झटका लगा है।

नित्यानंद शर्मा, पूर्व राज्यमंत्री

भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए पूर्व राज्यमंत्री नित्यानंद शर्मा। आपको बताते चलें कि नित्यानंद शर्मा समाजवादी पार्टी मे मुलायम सिंह के बहुत क़रीबी माने जाते थे लेकिन वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा बार-बार नज़रअंदाज़ किए जाने से वह काफी आहत थे।

राम सकल गुर्जर (आगरा), पूर्व मंत्री

आगरा के जाने-पहचाने चेहरे व अखिलेश सरकार में स्वतंत्र प्रभार मंत्री रहे राम सकल गुर्जर ने भी भाजपा का दामन थाम लिया। उनके साथ पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह भी भाजपा में शामिल हुए। सपा शासनकाल में खेल मंत्री रहे गुर्जर की गिनती मुलायम सिंह यादव के करीबियों में होती है। उनके आने से इलाक़े में गुर्जर समाज के भी भाजपा का रुख़ करने की उम्मीद है। सपा सरकार में इन्हें ‘मिनी मुख्यमंत्री’ भी कहा जाता था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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