मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू में अपने विरोधियों को किनारे करना शुरू कर दिया है। सीएए और दिल्ली चुनाव को लेकर नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ दिया है और जदयू के कई नेताओं ने इस पर आपत्ति जताई थी। पार्टी महासचिव पवन वर्मा ने एक लम्बा-चौड़ा पत्र लिख कर नीतीश से जवाब माँगा था। नीतीश कुमार ने पवन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वो जिस पार्टी में जाना चाहते हैं जाएँ क्योंकि इस तरह की सार्वजनिक बयानबाजी सही नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पवन वर्मा फ़ैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं।
प्रशांत किशोर ने भी नीतीश कुमार की आलोचना की थी और कहा था कि सीएए का समर्थन करना जदयू का सही निर्णय नहीं है। पार्टी में उन्हें भी किनारे लगाए जाने की कवायद शुरू हो गई है। तभी दिल्ली के लिए जदयू की जो स्टार प्रचारकों की सूची आई, उसमें प्रशांत किशोर का नाम कहीं भी नहीं था। उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि प्रशांत किशोर गठबंधन तोड़ने का बहाना खोज रहे हैं। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा है कि अगली बैठक में पवन वर्मा और प्रशांत किशोर के ख़िलाफ़ बड़ी कार्रवाई की सिफारिश की जा सकती है।
नीतीश ने अब बागियों को अल्टीमेटम दे दिया है। मुख्यमंत्री ने मीडिया से कहा कि कुछ लोगों के बयान के आधार पर हंगामा मचाना ठीक नहीं है क्योंकि जदयू ने अपना रुख साफ़ कर दिया है। जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार ने कहा कि वो किसी के भी बयान से प्रभावित होने वाले नहीं हैं। पवन वर्मा ने जदयू में वैचारिक स्पष्टता की कमी की बात करते हुए भाजपा से गठबंधन पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर ‘राष्ट्रव्यापी आक्रोश’ की बात करते हुए नीतीश को पत्र लिखा था।
सियासी हलकों में चर्चा है कि जदयू में प्रशांत किशोर की एंट्री और उनका क़द बढ़ाने को लेकर कई नेता आशंकित थे लेकिन उस वक़्त पवन वर्मा ने उनका साथ दिया था। पवन और प्रशांत के एक सुर में बोलने के पीछे दोनों की इसी जुगलबंदी को देखा जा रहा है। प्रशांत किशोर जदयू में हाशिए पर ढकेले जाने के बाद दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल के चुनावी प्रचार की कमान संभाल रहे हैं। नीतीश की पार्टी पहले ही कह चुकी है कि दोनों जिस भी पार्टी में जाएँ, इससे जदयू पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा।
Bihar CM Nitish Kumar on JDU leader Pawan Verma’s letter to him on CAA and NRC: If anyone has any issues then the person can discuss it within party or at party meetings, but such kind of public statements are surprising. He can go and join any party he likes, my best wishes pic.twitter.com/GjmKOZtquM
— ANI (@ANI) January 23, 2020
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष व वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि पार्टी के निर्माण में पवन वर्मा की कोई भूमिका न होने के बावजूद उन्हें राज्यसभा भेजा गया। उन्होंने अनुमान लगाया कि दोनों नेता किसी और दल के संपर्क में हैं क्योंकि आदमी ऐसी भाषा का प्रयोग तभी करता है।
पवन वर्मा ने नीतीश कुमार के बयान के बाद अपने तेवर ढीले कर लिए हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी सुप्रीमो को ठेस पहुँचाने का उनका कोई इरादा नहीं था। वर्मा ने कहा कि नीतीश ने वैचारिक बहस की बात कही है, जो अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि उनके पत्र का जवाब आने का बाद वो आगे के बारे में सोचेंगे।
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