दिल्ली में बुधवार (19 दिसम्बर, 2023) को आयोजित हुई I.N.D.I. गठबंधन की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने DMK सांसद TR बालू को झिड़क दिया। उन्होंने बालू से कहा कि हिंदी राष्ट्रीय भाषा है और सभी को इसे सीखना चाहिए। बालू नीतीश के बयान का अनुवाद अंग्रेजी में करने की माँग कर रहे थे।
दिल्ली में आयोजित इस बैठक में नीतीश कुमार ने अंग्रेजी को एक औपनिवेशिक मानसिकता का परिचायक बताया और साथ ही देश का नाम ‘भारत’ किए जाने की भी माँग रख दी। नीतीश कुमार के हिंदी और भारत नाम को जोर देने पर बैठक में मौजूद बाकी विपक्षी नेता सन्न रह गए। इस बैठक में सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी, लालू प्रसाद यादव, अखिलेश यादव, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री MK स्टालिन और उनके सांसद TR बालू, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, कम्युनिस्ट नेता सीताराम येचुरी और अन्य सभी नेता शामिल हुए थे।
विपक्ष की बैठक में ‘हिंदी बनाम अंग्रेजी’ पर विवाद
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नीतीश कुमार द्वारा इस बैठक में रखी गई बातों का अनुवाद द्रमुक सांसद टीआर बालू ने माँगा। नीतीश कुमार इस बैठक में हिंदी में बातचीत कर रहे थे। इस पर टीआर बालू ने उनकी बातों का अनुवाद अंग्रेजी में उपलब्ध करवाने की बात कही।
बैठक में यह काम राजद के सांसद मनोज झा कर रहे थे। वह हिंदी में बोलने वालों की बातों का अनुवाद अंग्रेजी में करके उन नेताओं को बता रहे थे। उन्होंने लालू प्रसाद यादव की बातों का अनुवाद भी किया। हालाँकि, नीतीश की बातों का अनुवाद TR बालू द्वारा माँगे जाने पर नीतीश भड़क गए।
नीतीश कुमार ने कहा टीआर बालू से कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है और सभी को इसे सीखना चाहिए। उन्होंने अंग्रेजी को औपनिवेशिक मानसिकता का परिचायक बताया और कहा कि यह हम पर अंग्रेजों द्वारा लादी गई थी। उन्होंने मनोज झा से कहा कि वह टीआर बालू के लिए अनुवाद ना करें।
नीतीश कुमार के इस उखड़े रुख के बाद I.N.D.I. गठबंधन की बैठक में सन्नाटा छा गया और कुछ देर तक बाकी नेताओं को नीतीश कुमार की मान-मनौव्वल करनी पड़ी। इसके बाद कई नेताओं ने हिंदी और अंग्रेजी दोनों को मिलाकर अपनी बात रखी।
बैठक में ‘इंडिया बनाम भारत’ पर नीतीश कुमार ने छेड़ी चर्चा
नीतीश कुमार केवल हिंदी के अनुवाद माँगने पर ही नहीं भड़के बल्कि उन्होंने देश के आधिकारिक नाम की भी चर्चा छेड़ दी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने कहा कि देश का नाम इंडिया की बजाय ‘भारत’ ही होना चाहिए। उनके इस कथन से बाकी नेता काफी असहज हो गए। बीते दिनों चली इंडिया बनाम भारत की बहस में कई कॉन्ग्रेस नेताओं ने इंडिया नाम का समर्थन किया था। नीतीश कुमार बैठक के बाद हुई साझा कॉन्फ्रेंस में भी शामिल नहीं हुए।
इस बैठक में सब कुछ ठीक ना रहने के संकेत भी मिले हैं। बैठक से पहले जहाँ कॉन्ग्रेस ने अपनी ही एक चुनाव समिति बना ली तो वहीं बैठक के भीतर प्रधानमंत्री पद के चेहरे को लेकर बड़ा उलटफेर हो गया। बैठक में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2024 में प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रस्तावित कर दिया।
उनके इस प्रस्ताव का दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने समर्थन भी कर दिया। खड़गे ने कहा कि इस पर चुनाव के बाद बात करेंगे। इससे बैठक में भाग ले रहे कई नेता धर्मसंकट में पड़ गए। कॉन्ग्रेस के लिए यह गले की हड्डी वाली स्थिति बन गई।
वह खड़गे के नाम का खुले तौर पर विरोध भी नहीं कर पाए और समर्थन भी नहीं कर सके। कॉन्ग्रेस लगातार राहुल गाँधी को विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर आगे बढ़ाती रही है। वहीं इस गठबंधन के लिए दौड़भाग करने वाले नीतीश कुमार भी इससे असहज हो गए।