गुजरात में बीजेपी के सामने कॉन्ग्रेस है, साथ में आम आदमी पार्टी भी। एक तरफ बीजेपी 400+ के लक्ष्य के साथ लोकसभा चुनाव लड़ रही है, तो उसे रोकने की ख्वाहिश पाले कॉन्ग्रेस के प्रत्याशी नामांकन के लिए प्रस्तावक तक नहीं जुुटा पा रहे। गुजरात के सूरत में कुछ ऐसी ही बात सामने आई है कि अब कॉन्ग्रेस की जगहंसाई हो रही है। यही नहीं, कॉन्ग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभाणी का नामांकन भी खारिज हो गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सूरत लोकसभा सीट से कॉन्ग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभाणी का फार्म चुनाव आयोग ने लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम – 1951 के तहत रद्द कर दिया। भाजपा उम्मीदवार मुकेश दलाल के वकील की ओर से कॉन्ग्रेस प्रत्याशी के नामांकन में बताये गए तीन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर फर्जी होने की शिकायत की गई थी। दरअसल, सूरत में कॉन्ग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभाणी के लिए उनके नजदीकी रिश्तेदारों का उनके प्रस्तावक होने का दावा किया गया था, लेकिन कथित प्रस्तावकों ने कहा कि उन्होंने सूरत के कॉन्ग्रेस कैंडिडेट नीलेश कुंभाणी के लिए प्रस्तावक की भूमिका निभाई ही नहीं है।
इसके बाद बीजेपी प्रत्याशी ने कॉन्ग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभाणी के प्रस्तावकों के फर्जी होने की शिकायत चुनाव आयोग में दर्ज कराई। हालाँकि चुनाव आयोग ने कॉन्ग्रेस प्रत्याशी को 24 घंटे का समय दिया था कि वो अपने प्रस्तावकों को पेश करें, लेकिन कॉन्ग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभाणी ऐसा कर पाने में विफल रहे, जिसके बाद अब चुनाव आयोग ने सूरत के कॉन्ग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभाणी का नामांकन खारिज कर दिया है।
सूरत जिले के पीठासीन अधिकारी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि कॉन्ग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी के नामांकन पत्र में बताए गए तीनों प्रस्तावक रमेश भाई पोलरा, जगदीश भाई सावलिया और ध्रुविन धीरूभाई धामेलिया ने उनके समक्ष हाजिर होकर शपथ पत्र देकर बताया है कि नामांकन में अंकित हस्ताक्षर उनके नहीं है।
कॉन्ग्रेस ने सूरत कलेक्टर व पुलिस आयुक्त पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट अपील करने की बात कही है। कॉन्ग्रेस प्रत्याशी के वकील बी एम माँगुकिया का आरोप है कि तीनों प्रस्तावक उनके संपर्क में नहीं हैं, उनके अपहरण की भी आशंका कॉन्ग्रेस ने जताई है। वकील मांगूकिया का आरोप है कि कॉन्ग्रेस की ओर जिला के पीठासीन अधिकारी और पुलिस आयुक्त को इसकी शिकायत की गई लेकिन उस पर कोई जाँच करने की जगह कॉन्ग्रेस प्रत्याशी का नामांकन ही रद्द कर दिया गया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने नीलेश कुंभाणी को मिल रहे जनसमर्थन से घबराकर उनका नामांकन ही खारिज करा दिया है।
क्या कहता है लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951?
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 36 (2) के अनुसार पीठासीन अधिकारी प्रत्याशी के नामांकन पत्र को लेकर उठाई गई सभी तरह की आपत्ति की जाँच करेगा। तथा 36(2) ग के अनुसार नामांकन पत्र की प्रमाणिकता और प्रत्याशी एवं प्रस्तावक के हस्ताक्षर खामीयुक्त अथवा फर्जी पाए जाते हैं तो नामांकन पत्र को रद्द कर दिया जाता है।