पंजाब के अमृतसर स्थित ऐतिहासिक जालियॉंवाला बाग के प्रबंधन से संबंधित ट्रस्ट अब कान्ग्रेस की बपौती नहीं रही। राज्यसभा ने मंगलवार को जालियॉंवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक-2019 को मंजूरी दी। लोकसभा में यह पहले ही पास हो चुका है। इस संशोधन के बाद ट्रस्ट में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के होने की अनिवार्यता समाप्त हो गई है। अब इसकी जगह लोकसभा में विपक्ष के नेता या सबसे बड़े दल के नेता को सदस्य बनाया जाएगा। सरकार ने बताया है कि 2023 में मौजूदा न्यास का कार्यकाल समाप्त होने पर नए सदस्यों में शहीदों के परिजन भी होंगे।
राज्यसभा में इसे ध्वनिमत से पारित किया गया। विपक्ष ने इस संशोधन पर आपत्ति जताते हुए सरकार पर इतिहास को नए सिरे से लिखने का आरोप लगाया। विधेयक में एक संशोधन भी कॉन्ग्रेस के एस रेड्डी की ओर से लाया गया था। हालॉंकि बाद में उन्होंने इसे वापस ले लिया। सरकार ने विपक्ष के आरोपों को यह कहते हुए नकार दिया कि आजादी की साझा लड़ाई पर किसी एक दल का अधिकार नहीं हो सकता है।
संस्कृति मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि इस बिल का मकसद जालियाँवाला बाग़ प्रबंधक ट्रस्ट को राजनीति से दूर रखना है। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा कि ट्रस्ट का राजनीतिकरण हो गया था जो इस विधेयक से ख़त्म हो गया है।
कॉन्ग्रेस पर तंज कसते हुए पटेल ने कहा कि विपक्षी नेताओं को इस बिल से कोई ऐतराज नहीं है। पटेल ने पूछा कि आज तक कॉन्ग्रेस पार्टी ने ‘जलियाँवाला बाग़ मेमोरियल ट्रस्ट’ को कितने रुपए दिए हैं? पटेल ने कहा कि ट्रस्ट में उन्हीं लोगों को स्थान मिलना चाहिए, जिन्हें जनता ने चुना है। वहीं कम्युनिस्ट पार्टी ने सरकार के इस क़दम का विरोध किया। सीपीआई नेता विनय विश्वम ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गाँधी और जवाहरलाल नेहरू के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। दोनों ही कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष रहे थे। सीपीआई ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इतिहास को फिर से ग़लत तरीके से लिखने का प्रयास कर रही है। कॉन्ग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि केंद्र सरकार को उदारता दिखाते हुए स्वतंत्रता संग्राम में कॉन्ग्रेस के योगदान का सम्मान करना चाहिए।
गौरतलब है कि अप्रैल 13, 2019 को जलियाँवाला बाग़ में जनरल डायर के आदेश पर निर्दोष लोगों पर ताबड़तोड़ गोलीबारी की गई थी। इस नृशंस नरसंहार में सैकड़ों लोग मारे गए थे। इनमें कई बच्चे भी थे। मारे जाने वालों में वृद्ध और महिलाएँ भी शामिल थीं। ख़ुद डायर ने स्वीकार किया था कि उनकी पलटन ने 1700 राउंड फायरिंग की थी। बलिदानियों की याद में बाग का प्रबंधन देखने के लिए ट्रस्ट की स्थापना 1921 में की गई थी। आजादी के बाद 1951 में नए ट्रस्ट का गठन किया गया था।