देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। वहीं मोदी सरकार की घोषणा के बाद वन नेशन, वन इलेक्शन पर बहस तेज हो गई है। इस मामले में केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित कमेटी के सदस्यों के नामों का ऐलान कर दिया है। 8 सदस्यीय समिति में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कॉन्ग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नबी आजाद भी शामिल हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर कानून मंत्रालय ने शनिवार (2 सितम्बर, 2023) को नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है।
भारत सरकार ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की जांच के लिए 8 सदस्यीय समिति का गठन किया।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 2, 2023
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, पूर्व राज्यसभा एलओपी गुलाम नबी आज़ाद और अन्य को समिति के सदस्य के… pic.twitter.com/VKvt0VxXOU
8 सदस्यीय समिति में कौन-कौन है शामिल
बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने शुक्रवार (1 सितम्बर, 2023) को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक देश, एक चुनाव (One Nation, One Election) की जाँच के लिए एक कमेटी बनाई थी। वहीं अब कानून मंत्रालय ने समिति के सभी 8 सदस्यों की जानकारी दी है।
इस समिति में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, लोक सभा में कॉन्ग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, पूर्व वित्त आयोग के चैयरमैन एनके सिंह, संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरीश साल्वे, पूर्व चीफ सीवीसी संजय कोठारी सदस्य बनाए गए हैं। वहीं, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को कमेटी में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है।
संसद के विशेष सत्र में पेश हो सकता है विधेयक
गौरतलब है कि जब से केंद्र सरकार ने जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद संसद का विशेष सत्र बुलाया है। तभी से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार एक देश, एक इलेक्शन बिल पेश कर सकती है। संसद का यह सत्र 18 से 22 सितंबर तक चलेगा।
बता दें कि विपक्षी दल मोदी सरकार के एक देश, एक चुनाव (One Nation, One Election) विधेयक के विरोध में हैं। ऐसे में मोदी सरकार के लिए संसद के दोनों सदनों से इस बिल को पारित कराना बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि इसके लिए देश के आधे राज्यों की सहमति जरूरी है। अब तो यह समय ही बताएगा कि संसद के विशेष सत्र में ये विधेयक पेश होगा या नहीं।