एक बेहद महत्वपूर्ण घटनाक्रम में भारत सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) और उससे जुड़ी 8 संस्थाओं पर बैन लगा दिया है। प्रतिबंध की अवधि 5 साल रखी गई है। केंद्र सरकार ने PFI को देश विरोधी और गैर कानूनी गतिविधियों में संलिप्त पाया है, जिसके बाद ये फैसला लिया गया है।
अपने आदेश में मोदी सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) और उससे जुड़ी 8 संस्थाओं को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। गृह मंत्रालय द्वारा यह निर्णय मंगलवार (27 सितम्बर 2022) को लिया गया है।
गृह मंत्रालय द्वारा इस आदेश की अधिसूचना जारी करते हुए बताया गया है कि PFI देश के अलग-अलग हिस्सों में देश विरोधी हरकतें कर रही थी। मंत्रालय का मानना है कि इस संगठन के कैडर अपनी गैर-कानूनी हरकतों को दोहराते जा रहे थे।
PFI के साथ उससे जुड़े जिन अन्य संगठनो को बैन किया गया है, वो हैं:
- रिहैब इंडिया फॉउंडेशन (Rehab India Foundation)
- कैम्पस फ्रंट ऑफ़ इंडिया (Campus Front of India)
- ऑल इंडिया इमाम कॉउन्सिल (All India Imams Council)
- नेशनल कंफेडरेशन ऑफ़ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन (National Confederation of Human Rights Organization)
- नेशनल वीमेंस फ्रंट (National Women’s Front)
- नेशनल जूनियर फ्रंट (National Junior Front)
- एम्पावर इंडिया फॉउंडेशन (Empower India Foundation)
- रिहैब फॉउंडेशन केरल (Rehab Foundation Kerala)
गृह मंत्रालय का मानना है कि जाँच के दौरान इन सभी संगठनों के PFI से कनेक्शन पाए गए हैं।
गृह मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा है कि PFI अपनी सहयोगी संस्थाओं की मदद से मुस्लिम छात्रों, महिलाओं, वकीलों और इमामों के बीच अपनी पैठ बनाता था। मंत्रालय का मानना है कि PFI की सहयोगी संस्थाएँ फंड जुटाने में भी उसकी मदद करती थीं।
बैन करने वाले आदेश में PFI को जड़ और बैन की गई अन्य सहयोगी संस्थाओं को सिरा की संज्ञा दी गई है। इसी आदेश में बताया गया है कि PFI के कैडर देश के संवैधानिक ढाँचे के प्रति अनादर का भाव रखते हैं।
PFI के कुकर्मों की लिस्ट:
- PFI और इसके कैडरों के खिलाफ विभिन्न राज्यों में 1300 से ज्यादा आपराधिक केस दर्ज हैं।
- PFI के संबंध अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से रहे हैं। इसके कैडर (खासकर केरल से) ISIS की तरफ से लड़ने के लिए सीरिया, इराक, अफगानिस्तान तक गए हैं।
- PFI और इसके कैडरों के खिलाफ विभिन्न राज्यों में 1300 से ज्यादा आपराधिक केस दर्ज हैं।
- PFI के संबंध अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से रहे हैं। इसके कैडर (खासकर केरल से) ISIS की तरफ से लड़ने के लिए सीरिया, इराक, अफगानिस्तान तक गए हैं।
- PFI खुद को सामाजिक संगठन कहता है लेकिन RSS कार्यकर्ताओं की हत्या तक में PFI कैडरों का हाथ रहा है। इन लोगों ने केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु में कई हत्याएँ की हैं। प्रोफसर का हाथ भी PFI कैडरों ने ही काटा था।
- केरल के जंगलों में PFI कैडरों ने मिलिट्री ट्रेनिंग कैंप बना रखी थी।
- खतरनाक हथियार और गोला-बारूद रखने के मामले में PFI के 41 कैडरों को कोर्ट ने सजा भी सुनाई है।
- भारत के कई राज्यों और विदेशों से PFI को फंडिंग होती है। इसके 100 से अधिक बैंक खाते और खाता-धारकों की आर्थिक स्थिति में गंभीर भिन्नता पाई गई।
- केरल के जंगलों जैसा मिलिट्री ट्रेनिंग कैंप तेलंगाना में भी। गरीब और मध्यम आय वर्ग के मुस्लिम लड़कों को हिंदू-विरोधी मानसिकता के साथ PFI ट्रेनिंग देता है।
PFI के ठिकानों पर रेड से क्या-क्या मिला:
- सुरक्षा एजेंसियों की छापेमारी में उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में मोहम्मद नदीम नाम के आरोपित के घर से IED विस्फोटक बनाने का पर्चा मिला।
- लखनऊ के खदरा से गिरफ्तार किए गए अहमद बेग नदवी के पास से विस्फोटक बनाने की प्रयोग विधि मिली। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक यह विस्फोटक बनाने का शॉर्ट कोर्स था। इस पर्चे की शुरुआत में कुरान की आयत का जिक्र था, जो युद्ध के दौरान लड़ाकों के लिए प्रयोग हुई थी। इसमें मूर्तिपूजकों से उनको देखते ही काट डालने तक की नफरत से शुरुआत की गई है। नीचे विस्फोटक बनाने की पूरी विधि के साथ पर्चे के अंत में PFI का झंडा और दिल्ली के कालिंदी कुंज स्थित मुख्यालय का पता लिखा हुआ था। पर्चे में विस्फोटक बनाने में सभी चीजों और उनके प्रयोग के स्थान भी दर्ज थे।
- तमिलनाडु में बरकतुल्लाह के घर हुई थी। वहाँ से सुरक्षा एजेंसियों ने 2 लॉरेंस डिवाइस बरामद की थी। ये वायरलेस सेट नुमा सामान है। हालाँकि इसके प्रयोग की विधि के बारे में नहीं बताया गया है।
- बंगलौर के शाहिद खान के घर पर रेड के दौरान भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ था। इस कैश में 500 और 2000 की नोट शामिल थे।
- कोलकाता में PFI के ऑफिस पर हुई छापेमारी में गाइडलाइन देती किताबें बरामद हुईं थीं।
- महाराष्ट्र में हुई छापेमारी के दौरान PFI के प्रदेश अध्यक्ष इरफ़ान मिल्ली के घर से PFI की टी शर्ट और उसी से संबंधित किताबें भी मिली थीं।
- इसके अतिरिक्त सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि उन्हें ISIS और गज़वा-ए-हिन्द से जुड़े साहित्य के साथ भड़काऊ CD भी मिली हैं। सुरक्षा एजेंसियों का ये भी मानना है कि छापेमारी की भनक लगते ही आरोपितों द्वारा कई सबूत नष्ट कर दिए गए हैं।