पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में अब बस कुछ ही महीने बाकी हैं। ममता की पार्टी में कई नेताओं की बगावत के बाद अब एक और राजनीतिक दल बंगाल में चर्चा का विषय है। इस राजनीतिक फ्रंट को बनाने वाला कोई नेता नहीं, बल्कि राजस्थान के अजमेर शरीफ के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी सूफी मजार टालटोला स्थित फुरफुरा शरीफ दरगाह के प्रमुख पीरजादा अब्बास सिद्दीकी हैं।
ममता बनर्जी को राज्य की सत्ता तक पहुँचाने वाले सिंगूर और नंदीग्राम आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाली फुरफुरा शरीफ दरगाह के 34 साल के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी उर्फ़ ‘भाईजान’ बंगाल चुनाव के लिए आज बृहस्पतिवार (जनवरी 21, 2021) को ही एक नए राजनीतिक फ्रंट की औपचारिक घोषणा कर सकते हैं। यह एक अहम फैसला हो सकता है क्योंकि उसका मुस्लिम मतदाताओं पर खासा प्रभाव माना जाता है।
समाचार पत्र ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, सिद्दीकी ने कहा कि वो 10 दलों का गठबंधन लेकर चलेंगे, और उन 60 से 80 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे जहाँ उनकी जीतने की अच्छी संभावना होगी।
पीरजादा सिद्दीकी के राजनीतिक गठबंधन में असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हो सकते हैं, जिनकी पार्टी एआईएमआईएम पश्चिम बंगाल चुनावों में उतरने की इच्छा भी जाहिर कर चुकी है। बताया जा रहा है कि ओवैसी ने 3 जनवरी को भाईजान के साथ बैठक में सिद्दीकी के नेतृत्व को स्वीकार भी किया था। सिद्दीकी का 26 वर्षीय भाई पीरजादा नौशाद भी उम्मीदवारों में से एक होगा। नौशाद के पास इतिहास विषय में बीएड और मास्टर डिग्री है।
भाजपा-TMC के खिलाफ माहौल बना रहे हैं ‘भाईजान’
‘भाईजान’ नाम से मशहूर पीरजादा सिद्दीकी इन दिनों राज्य के विभिन्न जिलों का दौरा करते हुए खुद को मुस्लिमों, आदिवासियों और दलितों की आवाज़ के रूप में सामने रख रहे हैं। यही नहीं, ‘भाईजान’ ने मुख्यमंत्री ममता की पार्टी पर भाजपा की मदद करने का आरोप भी लगाया है।
कयास लगाए जा रहे हैं कि सिद्दीकी तृणमूल के बंगाली मुस्लिम वोट का एक बड़ा हिस्सा छीन सकते हैं। ये वो वोट होंगे, जो अब तक दक्षिण बंगाल में तृणमूल के साथ थे और उत्तरी बंगाल में में कॉन्ग्रेस के साथ!
गौरतलब है कि पीरजादा अब्बास सिद्दीकी पश्चिम बंगाल की फुरफुरा शरीफ दरगाह से जुड़े हैं। इस दरगाह का पूरे दक्षिण बंगाल के इलाके में काफी प्रभावशाली माना जाता है। इससे पहले, अब्बास सिद्दीकी काफी समय से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के समर्थक भी रह चुके हैं।
सिद्दीकी ने अपने एक बयान में कहा, “वर्षों तक कॉन्ग्रेस का शासन रहा, फिर बंगाल में सीपीएम और तृणमूल ने मुस्लिमों या गरीबों के लिए कुछ नहीं किया। मैं केवल मुस्लिमों के लिए ही नहीं, बल्कि राज्य के गरीब आदिवासियों और दलितों के लिए भी बोल रहा हूँ। NRC और CAA ने पहली बार मुझे एक राजनीतिक मंच की ओर काम करने के लिए प्रेरित किया। हमें अपने लोगों को विधानसभा में भेजने की जरूरत है, जो सही मुद्दों को उठाएँ और गलतियों पर आपत्ति करें। भाजपा देश की दुश्मन है।”
सिद्दीकी ने कहा कि तृणमूल ने अल्पसंख्यकों और दलितों के मतों के साथ खिलवाड़ किया जिस कारण 2019 के आम चुनावों में भाजपा बंगाल में 18 लोकसभा सीटों के साथ पैठ बनाने में कामयाब रही।
तृणमूल से गठबंधन के बारे में स्पष्ट करते हुए भाईजान ने कहा कि उन्होंने पहले तृणमूल को अपने साथ आने का न्योता दिया लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। भाईजान ने कहा कि कुछ लोग पूछते हैं कि एक पीरजादा राजनीति में क्यों आ रहा है। उन्होंने कहा, “मैं कहता हूँ कि यह मेरा संवैधानिक अधिकार है। यह समय है जब मैं राज्य के वंचित लोगों के लिए कुछ करूँ.. मैं जीवन के आध्यात्मिक पक्ष पर लोगों का मार्गदर्शन करता था, अब समय आ गया है कि मैं उन्हें सांसारिक मामलों में भी मार्गदर्शन दूँ।”
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की 294 विधानसभा सीटों पर चुनाव अगले कुछ महीनों में होने वाले हैं। भाजपा भी पिछले कुछ महीनों से पश्चिम बंगाल में आक्रामक तरीके से प्रचार कर रही है, जिसमें शीर्ष नेता अमित शाह, जेपी नड्डा राज्य का दौरा कर रहे हैं।