प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता ने भारत की तस्वीर को वैश्विक स्तर पर कई मायनों में बदलकर रख दिया है। विपक्ष के तमाम अडंगों के बावजूद पीएम मोदी देश की स्थिति सुधारने पर लगातार काम कर रहे हैं। उनकी योजनाएँ जमीनी हैं जो देश के गरीब तबके की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाई गई हैं। आज पीएम मोदी को इस दिशा में काम करते हुए पूरे 9 साल हो रहे हैं।
26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी देश के पीएम बने थे और 5 साल सफल कार्यकाल के बाद 2019 में फिर से लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करके इस पद पर अब तक हैं। उनके इस कार्यकाल के दौरान शुरू हुई योजनाएँ जनता के जीवन में आमूलचूल बदलाव लेकर आईं। लेकिन इनकी शुरुआत इतनी आसान नहीं थी क्योंकि देश में विपक्ष का सरोकार जनता से न होकर राजनीति से था।
2014 से लेकर अब तक विपक्ष लगातार प्रधानमंत्री की हर पहल पर तंज कसके, उनकी नीतियों और योजनाओं को जमीन पर आने से रोकने की कोशिशें करता रहा। लेकिन उन्हें नजरअंदाज करके आगे बढ़ने का परिणाम देश में यह हुआ कि स्थितियाँ बदलने लगीं, जीवन जीने के तरीके बदलने लगे, लोगों की सोच बदलने लगी।
जिन ग्रामों में कभी शौचालय बनना सपना होता था आज वहाँ ‘हर घर शौचालय’ बन रहे हैं। खुले में शौच को सामान्य समझने वाले इस स्कीम में एप्लाई करके जल्द से जल्द शौचालय चाहते हैं। इसी तरह सुदूर इलाकों में जहाँ पानी के लिए कभी लोगों को लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ता था या फिर कहीं दूर से पानी की जरूरत पूरी करनी होती थी…उनके लिए मोदी सरकार हर घर नल योजना लेकर आ गई।
हर घर नल योजना
हर घर नल योजना हका उद्देश्य देश के प्रत्येक ग्रामीण इलाकों के हर घर में पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध करवाना है। पहले इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक घर तक स्वच्छ पानी उपलब्ध करवाने का लक्ष्य 2030 निर्धारित किया गया था। मगर अब समयसीमा 2024 कर दी गई है। उद्देश्य यही है कि देश के किसी भी नागरिक को पीने के पानी के लिए कहीं भी दूर जाने की आवश्यकता न पड़े और घर में उन्हें स्वच्छ पानी उपलब्ध हो 1 फरवरी 2022 को पीआईबी द्वारा दी जानकारी के अनुसार, इस योजना को सफल करने के लिए सरकार ने 60 हजार करोड़ का बजट पास किया था ताकि 2022-203 में 3.8 करोड़ घरों में इस स्कीम का फायदा पहुँचाया जा सके। साल 2022 तक इस स्कीम का लाम 8 करोड़ 7 लाख लोग लाभान्वित हुए थे जिसमें से 5.5 करोड़ घरों को तो सिर्फ 2 साल के भीतर ही इस योजना का फायदा पहुँचाया गया था।
हर घर शौचालय
इसी तरह प्रधानमंत्री की हर घर शौचालय योजना भी ग्रामीणों के जीवन में बड़े बदलाव लेकर आई। पहले जहाँ शौच के लिए लोग घर से बाहर जाते थे। वहीं अब उनके पास अपने शौचालय हैं और इसके अतिरिक्त गाँवों में सार्वजनिक शौचालयों का भी निर्माण करवाया जा रहा है। 2022 तक के आँकड़ों के अनुसार इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 10 करोड़ 93 लाख से ज्यादा शौचालय अलग-अलग राज्यों में बनवाए जा चुके हैं जबकि शहरी इलाकों में ये आँकड़ा 62 लाख से ज्यादा पार कर गया है। वहीं हाल में पीएम मोदी के दिए बयान के अनुसार, ये संख्या 11 करोड़ पार कर गई है।
तमाम योजनाएँ हैं जिनका फायदा हो रहा
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई ऐसी तमाम योजनाएँ हैं जिनका फायदा जन-जन को हुआ। लोगों ने प्रधानमंत्री के प्रयासों के कारण स्वदेश वस्तुओं के मोल को समझा और विदेशी वस्तुओं की उपयोगिता कम की, कौशल योजना से युवाओं ने अपनी क्षमताओं को उभारा तो ‘मेक इन इंडिया’ मिशन से हिम्मत पाकर अपने स्टार्टअप के जरिए अपनी पहचान बनाई। उज्जवला योजना ने महिलाओं को चूल्हे के धुएँ से राहत दी तो आयुष्मान भारत के कारण गरीबों को इलाज मिल पाया।
इतना ही नहीं दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना से अंधेरे ग्रामों में बिजली पहुँची, पीएम किसान सम्मान निधि योजना से किसानों मदद के तौर पर 6000 रुपए प्रति माह मिलना शुरू हुआ। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लोगों को सिर के ऊपर छत बनाने के लिए 30 हजार रुपए दिए जा रहे हैं। जन-धन योजना का फायदा 31 करोड़ से ज्यादा लोगों को मिल रहा है। मुद्रा योजना के तहत लोन लेकर लोग नए-एन उद्यमों की शुरुआत कर रहे हैं।
विपक्ष के प्रलाप
उल्लेखनीय है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से विपक्ष का प्रलाप लगातार जारी है। पहले सवाल उठता था कि वो चाय वाले होकर पीएम कैसे बन गए और अब उनकी भारत को बेहतर बनाने की योजना सामने आते ही विरोध के स्वर तेज हो जाते हैं। साल 2018 में कॉन्ग्रेस नेता व कॉन्ग्रेस सरकार में पेयजल और स्वच्छता मंत्री रहे जयराम रमेश ने मोदी सरकार में बड़े पैमाने पर बने शौचालयों की बात को हवाई दावा कहा था। इसके अलावा हर घर नल जल योजना पर भी समय-समय पर सवाल उठाए गए। कभी कहा गया कि योजना के तहत पानी बहाया जा रहा है तो कभी ये कहा गया नलों में पानी नहीं आ रहा है।
इतना ही नहीं जन-धन खातों को खोलने की घोषण के वक्त किया गया विरोध, उज्जवला योजना का विरोध, स्वच्छता अभियान का विरोध इनका उदाहरण है। वर्तमान में पीएम मोदी जो नए संसद भवन का उद्घाटन करने जा रहे हैं इससे भी विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई है। इससे पूर्व वो पीएम मोदी के कोरोना महामारी में लिए गए फैसलों पर भी प्रश्न पूछ चुके है जिनकी विदेशों तक में तारीफ हो रही है।