Sunday, November 17, 2024
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PM मोदी ने की G20 के समापन की घोषणा, ब्राजील को सौंपी अध्यक्षता: डिजिटल पेमेंट्स से लेकर ‘चंद्रयान 3’ तक की बात, UNSC में बदलाव पर भी बोले

"आज G-20, वन अर्थ, वन फैमली और वन फ्यूचर को लेकर आशावादी प्रयासों का प्लेटफ़ॉर्म बना है। यहाँ हम ऐसे फ्यूचर की बात कर रहे हैं, जिसमें हम ग्लोबल विलेज से आगे बढ़कर ग्लोबल फैमिली को हकीकत बनता देखेंगे।"

दिल्ली में दो दिन तक चले G-20 शिखर सम्मेलन के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 समिट की अध्यक्षता ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा को सौंप दी। इसके साथ ही PM ने समिट के समापन का ऐलान किया। ब्राजील अगले साल होने वाली G20 समिट का आयोजन करेगा। इस दौरान PM मोदी ने इस समिट के दौरान लिए गए फैसलों की समीक्षा के लिए नवंबर में जी-20 वर्चुअल समिट का भी सुझाव दिया।  

समिट के समापन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि कल हमने वन अर्थ और वन फैमली सेशन में व्यापक चर्चा की। उन्होंने कहा, “मुझे संतोष है कि आज G-20, वन अर्थ, वन फैमली और वन फ्यूचर को लेकर आशावादी प्रयासों का प्लेटफ़ॉर्म बना है। यहाँ हम ऐसे फ्यूचर की बात कर रहे हैं, जिसमें हम ग्लोबल विलेज से आगे बढ़कर ग्लोबल फैमिली को हकीकत बनता देखेंगे। एक ऐसा फ्यूचर, जिसमें देशों के केवल हित ही नहीं जुड़े हों, बल्कि हृदय भी जुड़े हों।  समापन का ऐलान करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि संपूर्ण विश्व में आशा और शांति का संचार हो। 140 करोड़ भारतीयों की इसी मंगलकामना के साथ आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।”

प्रधानमंत्री मोदी ने समापन के इस अवसर पर कहा, “जैसा आप सब जानते हैं भारत के पास नवंबर तक G 20 की अध्यक्षता है।अभी ढाई महीने बाकी है।  इन दो दिनों में आपने कई बातें और प्रस्ताव रखे हैं। हमारी ज़िम्मेदारी है कि जो सुझाव आए और देखा जाए कि उनकी प्रगति में गति कैसे लाई जा सकती है। मेरा प्रस्ताव है कि हम नवंबर के अंत में G-20 का एक और वर्चुअल सेशन रखें। इसमें हम इस समिट के दौरान लिए गए निर्णयों की समीक्षा कर सकते हैं। इस सबका ब्योरा हमारी टीम आपके साथ साझा करेगी। मैं उम्मीद करता हूँ कि आप सब इससे जुड़ेंगे।”

पीएम मोदी के समापन स्पीच की खास बातें

  1. मैंने GDP सेंट्रिक अप्रोच के बजाय ह्यूमन सेंट्रिक विजन पर निरंतर आपका ध्यान आकर्षित किया है।आज भारत जैसे अनेक देशों के पास ऐसा कितना कुछ है, जो हम पूरे विश्व के साथ साझा कर रहे हैं। भारत ने चंद्रयान मिशन के डेटा को मानव हित में सबके साथ शेयर करने की बात की है। ये भी ह्यूमन सेंट्रिक ग्रोथ को लेकर हमारे कमिटमेंट का प्रमाण है।
  2. भारत ने टेक्नॉलॉजी को इंक्लूसिव डेवलपमेंट के लिए, लास्ट माइल डिलिवरी के लिए, उपयोग किया है। हमारे छोटे से छोटे गाँव में, छोटे से छोटा व्यापारी भी, डिजिटल पेमेंट्स कर रहा है। मुझे खुशी है कि भारत की अध्यक्षता में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए मजबूत फ्रेमवर्क पर सहमति बनी है। इसी तरह, “G20 Principles on Harnessing Data for Development” को भी स्वीकार किया गया है।
  3. ग्लोबल साउथ के विकास के लिए “Data for Development Capacity Building Initiative” को लॉन्च करने का निर्णय भी लिया है। भारत की प्रेसीडेंसी में स्टार्टअप 20 एंगेजमेंट ग्रुप का गठन भी एक बड़ा कदम है।
  4. आज हम न्यू जेनेरेशन टेक्नॉलॉजी में अकल्पनीय स्केल और स्पीड के गवाह बन रहे हैं। आर्टिफीसियल इंटेलीजेन्स का उदाहरण हमारे सामने है। 2019 में G20 ने “Principles on AI” अपनाये थे। आज हमें उससे एक कदम और आगे बढ़ने की जरूरत है। मेरा सुझाव है कि अब हम Responsible Human-centric AI governance के लिये एक फ्रेमवर्क तैयार करें। इस संबंध में भारत भी अपने सुझाव देगा। हमारा प्रयास होगा कि Socio-Economic Development, ग्लोबल वर्कफोर्स और R&D जैसे क्षेत्रों में सभी देशों को AI का लाभ मिले।
  5. आज कुछ अन्य ज्वलंत समस्याएँ भी हमारे विश्व के सामने हैं, जो हम सभी देशों के वर्तमान और भविष्य, दोनों को प्रभावित कर रही हैं। साइबर सिक्योरिटी और क्रिप्टो-करेंसी की चुनौतियों से हम परिचित हैं। क्रिप्टो-करेंसी का क्षेत्र, सोशल आर्डर, मोनेटरी और फाइनेंसियल स्टेबिलिटी, सबके लिए एक नया विषय बनकर उभरा है। इसलिए हमें क्रिप्टो-करेंसी को रेगुलेट करने के लिए ग्लोबल स्टैंडर्ड्स विकसित करने होंगे। हमारे सामने ‘Basel standards on bank regulation’ एक मॉडल के रूप में है।
  6. इस दिशा में जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। इसी प्रकार साइबर सिक्योरिटी के लिए भी वैश्विक सहयोग और फ्रेमवर्क की ज़रूरत है। साइबर जगत से आतंकवाद को नए माध्यम, फंडिंग के नए तौर-तरीके मिल रहे हैं। ये हर देश की सुरक्षा और समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण विषय है। जब हम हर देश की सुरक्षा, हर देश की संवेदना का ध्यान रखेंगे, तभी वन फ्यूचर का भाव सशक्त होगा।
  7. विश्व को एक बेहतर भविष्य की तरफ ले जाने के लिए ये जरूरी है कि वैश्विक व्यवस्थाएँ वर्तमान की वास्तविकताओं के मुताबिक हों। आज “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद” भी इसका एक उदाहरण है। जब UN की स्थापना की गई थी, उस समय का विश्व आज से बिलकुल अलग था। उस समय UN में 51 फाउंडिंग मेंबर्स थे। आज UN में शामिल देशों की संख्या करीब 200 हो चुकी है।
  8. बावजूद इसके, UNSC में स्थाई सदस्य आज भी उतने ही हैं। तब से आज तक दुनिया हर लिहाज़ से बहुत बदल चुकी है। ट्रांसपोर्ट हो, कम्यूनिकेशन हो, हेल्थ, एजुकेशन, हर सेक्टर का कायाकल्प हो चुका है। ये नई  वास्तविकता हमारे नए ग्लोबल स्ट्रक्चर में भी दिखाई देनी चाहिए।
  9. ये प्रकृति का नियम है कि जो व्यक्ति और संस्था समय के साथ स्वयं में बदलाव नहीं लाती है, वो अपनी प्रासंगिकता खो देती है। हमें खुले मन से विचार करना होगा कि आखिर क्या कारण है कि बीते वर्षों में अनेक रीजनल फोरम्स अस्तित्व में आए हैं, और वो प्रभावी भी सिद्ध हो रहे हैं।
  10. आज हर वैश्विक संस्था को अपनी प्रासंगिकता बढ़ाने के लिए सुधार करना आवश्यक है। इसी सोच के साथ हमने कल ही अफ्रीकन यूनियन को G-20 का स्थाई सदस्य बनाने की ऐतिहासिक पहल की है। इसी तरह, हमें Multilateral Development Banks के मैंडेट का विस्तार भी करना होगा। इस दिशा में हमारे फैसले तुरंत होने चाहिए, और प्रभावी भी होने चाहिए।

गौरतलब है कि G20 समिट के दूसरे और आखिरी दिन G20 और मेहमान देश के नेताओं ने राजघाट पहुँचकर महात्मा गाँधी को श्रद्धांजलि दी। राजघाट पर प्रधानमंत्री मोदी ने सभी नेताओं का खादी के शॉल के साथ स्वागत किया। सभी नेताओं को राजघाट के बारे में जानकारी भी दी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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