प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (सितम्बर 27, 2020) को ‘मन की बात’ के जरिए देशवासियों को सम्बोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जहाँ दुनिया अभी परिवर्तन के दौर से गुजर रही है, वहीं संकट काल में लोग परिवार के साथ मिल कर काम भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने जो विधाएँ बनाई थीं, वो आज कितनी महत्वपूर्ण हैं – ये अब पता चल रहा है। इस विधा के अंतर्गत उन्होंने ‘कहानी सुनाने की कला (Story Telling)’ का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग, बड़े व्यक्ति परिवार के, कहानियाँ सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते थे। हमें ज़रूर एहसास हुआ होगा कि हमारे पूर्वजों ने जो विधायें बनाई थी, वो आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और जब नहीं होती हैं तो कितनी कमी महसूस होती है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसी ही एक विधा है, कहानी सुनाने की कला, अर्थात स्टोरी टेलिंग। पीएम मोदी ने कहा कि कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है, जितनी मानव सभ्यता।
‘मन की बात’ में पीएम मोदी ने बताया कि कहानियाँ, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं। कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई माँ अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती है, तब देखें। उन्होंने बताया कि उनके जीवन में बहुत लम्बे अरसे तक एक परिव्राजक (घुमन्तु) के रूप में रहे। घुमंत ही उनकी जिंदगी थी। हर दिन नया गाँव, नए लोग, नए परिवार, लेकिन, जब मैं परिवारों में जाता था, तो वो बच्चों से ज़रूर बात किया करते थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वो कभी-कभी बच्चों को कहते थे कि चलो भाई, मुझे कोई कहानी सुनाओ। वो तब हैरान हो जाते थे, जब बच्चे उनसे कहते थे कि नहीं अंकल, कहानी नहीं, हम चुटकुला सुनाएँगे और उन्हें भी, वो यही कहते थे कि अंकल आप हमें चुटकुला सुनाओ। बकौल पीएम मोदी, उन बच्चों का कहानी से कोई परिचय ही नहीं था। उनमें से ज्यादातर, उनकी जिंदगी चुटकुलों में समाहित हो गई थी।
An inspiring story of Ismail Bhai from Banaskantha in Gujarat. #MannKiBaat pic.twitter.com/qbRJMuJy4m
— PMO India (@PMOIndia) September 27, 2020
पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में कहा कि भारत में कहानी कहने की, या कहें किस्सा-गोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है। उन्होंने इसे गर्व की बात बताते हुए कहा कि हम उस देश के वासी है, जहाँ, हितोपदेश और पंचतंत्र की परंपरा रही है, जहाँ, कहानियों में पशु-पक्षियों और परियों की काल्पनिक दुनिया गढ़ी गई, ताकि विवेक और बुद्धिमता की बातों को आसानी से समझाया जा सके। हमारे यहाँ कथा की परंपरा रही है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि ये धार्मिक कहानियाँ कहने की प्राचीन पद्धति है। इसमें ‘कताकालक्षेवम्’ भी शामिल रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि हमारे यहाँ तरह-तरह की लोक-कथाएँ प्रचलित हैं। तमिलनाडु और केरल में कहानी सुनाने की बहुत ही रोचक पद्धति है, जिसे ‘विल्लू पाट्’ कहा जाता है। इसमें कहानी और संगीत का बहुत ही आकर्षक सामंजस्य होता है। पीएम मोदी ने भारत में कठपुतली की जीवन्त परम्परा की भी चर्चा की। इन दिनों विज्ञान और ‘साइंस फिक्शन’ से जुड़ी कहानियाँ एवं कहानी कहने की विधा लोकप्रिय हो रही है।
पीएम मोदी ने बताया कि उन्हें ‘gaathastory.in‘ जैसी वेबसाइट के बारे में जानकारी मिली, जिसे, अमर व्यास, बाकी लोगों के साथ मिलकर चलाते हैं। अमर व्यास, IIM अहमदाबाद से MBA करने के बाद विदेश चले गए, फिर वापस आए। इस समय बेंगलुरु में रहते हैं और समय निकालकर कहानियों से जुड़ा, इस प्रकार का, रोचक कार्य कर रहे है। प्रधानमंत्री ने जानकारी दी कि कई ऐसे प्रयास भी हैं, जो ग्रामीण भारत की कहानियों को खूब प्रचलित कर रहे हैं। वैशाली व्यवहारे देशपांडे जैसे कई लोग हैं, जो इसे मराठी में भी लोकप्रिय बना रहे हैं।
उन्होंने इस दौरान ‘स्टोरी टेलिंग सोसाइटी’ की अपर्णा ऐतरेय और शैलजा पंत के साथ फोन कॉल पर भी बातचीत की। इस दौरान अपर्णा ने एक कहानी भी सुनाई, जो तेनालीरामन से सम्बंधित थी। पीएम ने लोगो से अपील की कि सभी परिवार में, हर सप्ताह, कहानियों के लिए कुछ समय निकालिए, और ये भी कर सकते हैं कि परिवार के हर सदस्य को, हर सप्ताह के लिए, एक विषय तय करें, जैसे, करुणा है, संवेदनशीलता है, पराक्रम है, त्याग है, शौर्य है – कोई एक भाव और परिवार के सभी सदस्य, उस सप्ताह, एक ही विषय पर, सब के सब लोग कहानी ढूँढेंगे और परिवार के सब मिल करके एक-एक कहानी कहेंगे। पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में कहा:
“एक-सौ-एक साल पुरानी बात है। 1919 का साल था। अंग्रेजी हुकूमत ने जलियाँवाला बाग़ में निर्दोष लोगों का कत्लेआम किया था। इस नरसंहार के बाद एक बारह साल का लड़का उस घटनास्थल पर गया। वह खुशमिज़ाज और चंचल बालक, लेकिन, उसने जलिययाँवाला बाग में जो देखा, वह उसकी सोच के परे था। वह स्तब्ध था, यह सोचकर कि कोई भी इतना निर्दयी कैसे हो सकता है। वह मासूम गुस्से की आग में जलने लगा था। उसी जलियाँवाला बाग़ में उसने अंग्रेजी शासन के खिलाफ़ लड़ने की कसम खाई। क्या आपको पता चला कि मैं किसकी बात कर रहा हूँ? हाँ! मैं, शहीद वीर भगत सिंह की बात कर रहा हूँ। कल, 28 सितम्बर को हम शहीद वीर भगत सिंह की जयन्ती मनाएँगे। मैं, समस्त देशवासियों के साथ साहस और वीरता की प्रतिमूर्ति शहीद वीर भगत सिंह को नमन करता हूँ। क्या आप कल्पना कर सकते हैं, एक हुकूमत, जिसका दुनिया के इतने बड़े हिस्से पर शासन था, इसके बारे में कहा जाता था कि उनके शासन में सूर्य कभी अस्त नहीं होता। इतनी ताकतवर हुकूमत, एक 23 साल के युवक से भयभीत हो गई थी। शहीद भगत सिंह पराक्रमी होने के साथ-साथ विद्वान भी थे, चिन्तक थे। अपने जीवन की चिंता किए बगैर भगत सिंह और उनके क्रांतिवीर साथियों ने ऐसे साहसिक कार्यों को अंजाम दिया, जिनका देश की आज़ादी में बहुत बड़ा योगदान रहा। शहीद वीर भगत सिंह के जीवन का एक और खूबसूरत पहलू यह है कि वे टीम वर्क के महत्व को बख़ूबी समझते थे। लाला लाजपत राय के प्रति उनका समर्पण हो या फिर चंद्रशेखर आज़ाद, सुखदेव, राजगुरु समेत क्रांतिकारियों के साथ उनका जुड़ाव, उनके लिए, कभी व्यक्तिगत गौरव, महत्वपूर्ण नहीं रहा।”
Remembering greats of India- Loknayak JP and Nanaji Deshmukh. #MannKiBaat pic.twitter.com/WNau7Am8gO
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पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में भारत रत्न नानाजी देशमुख को भी याद किया, जिनकी जयंती भी, 11 तारीख को ही है। उन्होंने बताया कि नानाजी देशमुख, जय प्रकाश नारायण जी के बहुत निकट साथी थे। जब जेपी भ्रष्टाचार के खिलाफ़ जंग लड़ रहे थे, तो, पटना में उन पर प्राणघातक हमला किया गया था। तब, नानाजी देशमुख ने वो वार अपने ऊपर ले लिया था। इस हमले में नानाजी को काफ़ी चोट आई थी, लेकिन, वो जेपी का जीवन बचाने में कामयाब रहे थे।
पीएम मोदी ने कहा कि इस 12 अक्टूबर को राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी की भी जयंती है, उन्होंने, अपना पूरा जीवन, लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया। उन्होंने बताया कि वो एक राज परिवार से थीं, उनके पास संपत्ति, शक्ति, और दूसरे संसाधनों की कोई कमी नहीं थी। लेकिन, फिर भी उन्होंने अपना जीवन, एक माँ की तरह, वात्सल्य भाव से, जन-सेवा के लिए खपा दिया। उन्होंने कहा कि राजमाता का ह्रदय बहुत उदार था। इससे पहले ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में डिजिटल गेम्स बनाने पर जोर दिया था।