Monday, December 23, 2024
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PM मोदी की दाढ़ी-मूँछ से नाराजगी: थरूर और बरखा दत्त की गंभीर चर्चा, बताया – ‘ऋषिराज योद्धा के लिए यह सब कुछ’

"दिन पर दिन पीएम मोदी की दाढ़ी-मूँछ बढ़ती ही जा रही है, वो ऐसा कर के दिखाना चाहते हैं कि वो नए भारत के 'ऋषिराज' हैं। पीएम एक राजर्षि की भूमिका में खुद को प्रदर्शित करना चाहते हैं, जो भगवा वस्त्र पहने हुए हैं।" थरूर की इस टिप्पणी के बाद बरखा दत्त ने भी इसे 'मॉडर्न पॉलिटिक्स' बताया।

पत्रकार बरखा दत्त ने कॉन्ग्रेस के ‘रंगीनमिजाज’ नेता शशि थरूर के साथ बातचीत की। हालाँकि, ये बातचीत तो राम मंदिर पर कॉन्ग्रेस के रुख पर हुई लेकिन इसमें ज्यादा चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दाढ़ी को लेकर हुई। इस ‘गंभीर चर्चा’ के दौरान देश की मौजूदा स्थिति पर चर्चा कम हुई और पीएम मोदी की दाढ़ी कितनी बढ़ रही है, इस पर ज्यादा हुई। ‘मोजो’ पर आई इस चर्चा के बारे में आपको बताते हैं।

शशि थरूर ने कहा कि उन्हें अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र द्वारा किए गए राम मंदिर भूमिपूजन से कोई समस्या नहीं है लेकिन जिस तरह से धार्मिक दृश्यों को प्रस्तुत किया गया और जिस तरह से धर्म और राजनीति मिल कर एक हो गए, उससे उन्हें समस्या है। बता दें कि कॉन्ग्रेस के ही नेता दिग्विजय सिंह और प्रमोद कृष्णन भूमिपूजन का विरोध कर रहे थे और अशुभ मुहूर्त की बातें करते हुए हर बुरी घटना को इससे जोड़ रहे थे।

इसके बाद चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दाढ़ी को लेकर होने लगी। शशि थरूर ने कहा कि दिन पर दिन पीएम मोदी की दाढ़ी-मूँछ बढ़ती ही जा रही है, वो ऐसा कर के दिखाना चाहते हैं कि वो नए भारत के ‘ऋषिराज’ हैं। तिरुवनंतपुरम के सांसद ने कहा कि पीएम एक राजर्षि की भूमिका में खुद को प्रदर्शित करना चाहते हैं, जो भगवा वस्त्र पहने हुए हैं। इसके बाद बरखा दत्त ने भी इसे ‘मॉडर्न पॉलिटिक्स’ बताया।

उन्होंने कहा कि आप क्या दिखाना चाहते हैं, क्या सन्देश देना चाहते हैं और कैसी छवि प्रदर्शित करना चाहते हैं- ये सब आजकल की आधुनिक राजनीति का अंग बन गए हैं। इसके बाद शशि थरूर को इस बात से समस्या हो गई कि पीएम मोदी संप्रदाय विशेष की टोपी क्यों नहीं पहनते? उन्होंने दावा किया कि वो हर धार्मिक आयोजन में उनके प्रतीक चिह्नों को अपनाते हैं लेकिन इस्लामी चिन्हों से दूर भागते हैं।

शशि थरूर ने कहा कि ‘ऋषिराज’ वाली छवि दिखाने के पीछे कारण ये है कि वो खुद को एक पवित्र व्यक्ति के रूप में दिखा सकें, जो एक राजा भी है। बकौल थरूर, पीएम मोदी चाहते हैं कि लोग उन्हें एक ऐसे ऋषि के रूप में जानें, जो एक योद्धा भी है। बरखा दत्त ने भी शशि थरूर की बातों का समर्थन किया। इस तरह चर्चा तो राम मंदिर पर थी लेकिन ये पीएम मोदी की दाढ़ी-मूँछ पर आकर रुक गई।

अनुराग दीक्षित ने इस चर्चा पर टिप्पणी करते हुए लिखा कि अगर दिसंबर तक पीएम मोदी की दाढ़ी-मूँछ और बढ़ जाती है तो कहीं ये लोग उनकी तुलना सांता क्लॉज से नहीं करने लगें। कहीं ये लोग ये इल्जाम न लगा दें कि पीएम उन्हीं से प्रभावित हैं। साथ ही कई लोगों ने ये भी पूछा कि भगवा वस्त्रों से किसी को क्या समस्या है? बता दें कि सोशल मीडिया में फैंस पीएम मोदी के लुक्स की तुलना छत्रपति शिवाजी महाराज से भी करते रहे हैं।

हाल ही में बरखा दत्त ने सुशांत सिंह की थेरेपिस्ट के इस बयान से ठीक एक दिन पहले एक ट्वीट किया था। ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि सुशांत सिंह के मामले में जिस तरह निजी जानकारी साझा की जा रही है। जिस तरह उनकी जिंदगी से संबंधित मुद्दों पर बात हो रही है उस पर उन्हें दुःख है। वह इस माध्यम का हिस्सा बन कर निराश हैं। बरखा दत्त ने 1 अगस्त के दिन सुशांत सिंह राजपूत की तथाकथित थेरेपिस्ट सुसैन वॉकर मोफत के साक्षात्कार का एक वीडियो साझा किया था। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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