Friday, April 19, 2024
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बरखा दत्त ने सुशांत की तथाकथित थेरेपिस्ट का किया साक्षात्कार, जाँच के बीच रिया को क्लीनचिट देने के लिए बताई ‘बीमारी’ से जुड़ी बातें

नेटिज़न्स ने सिर्फ बरखा दत्त की आलोचना ही नहीं की बल्कि प्रशासन से सवाल भी किया कि कैसे सुसैन वॉकर सुशांत सिंह का उपचार कर रही थीं। वॉकर की लिंक्डीन प्रोफाइल और मोजो द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक़ वह लंदन से क्लिनिकल साइकोलॉजी में एमएससी हैं। और एक मनोवैज्ञानिक बाईपोलर बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति का इलाज नहीं कर सकता है।

बरखा दत्त ने 1 अगस्त के दिन सुशांत सिंह राजपूत की तथाकथित थेरेपिस्ट सुसैन वॉकर मोफत के साक्षात्कार का एक वीडियो साझा किया था। जिस पर नेटिज़न्स ने गंभीर सवाल खड़े किए। वॉकर जो खुद एक मनोवैज्ञानिक, साइकोथेरेपिस्ट और हिपनोथेरेपिस्ट हैं। उन्होंने ऐसा दावा किया था कि सुशांत बाईपोलर हैं। जिसके बाद उन पर सुशांत सिंह से जुड़ी इस तरह की जानकारी साझा करने के लिए काफी सवाल उठाए गए थे। 

अपने बयान में उनका कहना था कि यह उनकी ज़िम्मेदारी थी कि वह सार्वजनिक रूप से सामने आएँ। इसके अलावा उनका यह भी कहना था कि रिया चक्रवर्ती सुशांत सिंह की भावनात्मक रूप से मदद ही करती थीं। फिलहाल सुशांत सिंह की मौत के मामले में रिया चक्रवर्ती के खिलाफ़ जाँच जारी है। ख़बरों के मुताबिक़ फिलहाल रिया चक्रवर्ती का कोई अता-पता नहीं है।

साक्षात्कार में बरखा दत्त से बात करते हुए वॉकर ने अपने बयान में कई बातें कहीं। उन्होंने कहा गलत जानकारियों की आड़ में सोशल मीडिया पर कई तरह के झूठ और षड्यंत्र फैलाए जा रहे हैं। मैंने यह फैसला किया है कि इस मामले में बयान दर्ज कराना मेरी ज़िम्मेदारी है। मैं बतौर मनोवैज्ञानिक और फिजियोथेरेपिस्ट सुशांत सिंह और रिया चक्रवर्ती से दिसंबर और नवंबर 2019 में कई बार मिली थी। 

इसके बाद जून में रिया से इस बारे में बात भी की थी। इसके बाद वॉकर ने मानसिक बीमारी के इर्द-गिर्द अपनी बात जारी रखी। फिर उन्होंने कहा सुशांत को बाईपोलर डिसऑर्डर था जो कि एक गंभीर मानसिक बीमारी है। यह एक व्यक्ति के लिए घातक हो सकता है।

सुसैन वॉकर का मोजो को बयान

फिर वॉकर ने मानसिक बीमारी की बात जारी रखते हुए कई बातें बताई। उन्होंने कहा ऐसे में पेशेवर मनौवैज्ञानिक के लिए भी मरीज़ और उसके घरवालों की मदद करना बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसी मानसिक बीमारी कैंसर या डायबटीज़ से कम नहीं है। इससे कोई भी व्यक्ति प्रभावित हो सकता है भले वह किसी भी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि का क्यों न हो। बरखा दत्त ने खुद इस बात की जानकारी दी कि वॉकर ने अपना बयान दर्ज कराने के लिए खुद उनके मीडिया संस्थान मोजो से संपर्क किया था। 

इसके बाद वॉकर ने कहा ऐसी मानसिक बीमारी से जूझ रहे लोगों और उनके परिवार के लिए बहुत ज़रूरी है कि वह भेदभाव से बचे रहें। जिससे उन्हें सही उपचार मिलता रहे और लोग उन्हें स्वीकार करें। मानसिक बीमारी होना कोई शर्म की बात नहीं है। क्या किसी को कैंसर होने पर शर्मिंदा होना चाहिए? मानसिक बीमारी का भी इलाज संभव है। 

बल्कि मानसिक बीमारियों का असर इतना भयावह होता है कि लोग इसके चलते आत्महत्या तक कर लेते हैं। ऐसी मानसिक पीड़ा का सीधा असर लोगों के दिमाग और उनकी भावनाओं पर पड़ता है।” फिर वॉकर ने यह दावा किया कि रिया पूरी तरह निर्दोष हैं। बल्कि रिया ने सुशांत के मुश्किल वक्त में उनका साथ निभाया है। यह रिया के लिए (सुशांत की) मानसिक बीमारी का सामना करना आसान नहीं था। इसके बदले में उसे जिस तरह की नफ़रत का सामना करना पड़ रहा है वह हैरान कर देने वाला है। 

बाईपोलर डिसऑर्डर जिसे manic-depressive illness या manic depression भी कहते हैं। इसके असर के चलते लोगों का मन बहुत जल्दी बदलता है। उनकी ऊर्जा, दिन भर की गतिविधियाँ और ध्यान लगाने की क्षमता भी काफी हद तक प्रभावित होती है। ऐसे तो इस मानसिक बीमारी के लिए कोई तय उपचार या दवाई नहीं है। लेकिन मरीज़ को योग्य मनोवैज्ञानिक के संपर्क में रहने का सुझाव ज़रूर दिया जाता है। मनोवैज्ञानिक (टॉक थेरेपिस्ट) मरीज़ की मदद करते हैं अगर उसमें कोई लक्षण मौजूद होते हैं। 

नेटिज़न्स का कहना था कि थेरेपिस्ट जिन्होंने सुशांत को अपना मरीज़ बताया है। उनकी तरफ से ऐसा बयान नैतिक और वैधानिक रूप से सही नहीं है। मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 की धारा 23 (1) के मुताबिक़ मानसिक रूप से अ-स्वस्थ्य व्यक्ति के पास अधिकार होता है। वह अपने मानसिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल और उसके उपचार को गोपनीय बनाए रखे। नियम यह भी कहता है कि स्वास्थ्य कर्मियों की (मनोवैज्ञानिक भी) ज़िम्मेदारी होती है कि वह उपचार के दौरान मिली जानकारी को सार्वजनिक होने से बचाएँ।

इसके नियम के अगले हिस्से की धारा 24 (1) के मुताबिक़ मरीज़ से संबंधित किसी भी तरह की जानकारी उसकी तस्वीर या कोई तथ्य मीडिया में नहीं लाया जा सकता है। कुछ मामलों में ऐसा किया जा सकता है जिनमें हिंसा की संभावना हो या अदालत से जुड़ा मामला हो। लेकिन सुशांत सिंह के मामले में इतने अहम नियमों की अनदेखी की गई है। ऐसा किसी और ने नहीं बल्कि डॉ. सौमित्रा पथारे (निदेशक, मेंटल हेल्थ लॉ एंड पॉलिसी) और डॉ. हरीश शेट्टी (मनोवैज्ञानिक, मुंबई) ने बरखा दत्त का जवाब देते हुए बताया।

नेटिज़न्स ने सिर्फ बरखा दत्त की आलोचना ही नहीं की बल्कि प्रशासन से सवाल भी किया कि कैसे सुसैन वॉकर सुशांत सिंह का उपचार कर रही थीं। वॉकर की लिंक्डीन प्रोफाइल और मोजो द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक़ वह लंदन से क्लिनिकल साइकोलॉजी में एमएससी हैं। और एक मनोवैज्ञानिक बाईपोलर बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति का इलाज नहीं कर सकता है। विवाद बढ़ने के बाद वॉकर ने अपनी लिंक्डीन प्रोफाइल सुरक्षित कर ली।

इसके अलावा नेटिज़न्स ने वॉकर की मान्यता रद्द करने की माँग भी उठाई। 

बरखा दत्त ने सुशांत सिंह की थेरेपिस्ट के इस बयान से ठीक एक दिन पहले एक ट्वीट किया था। ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि सुशांत सिंह के मामले में जिस तरह निजी जानकारी साझा की जा रही है। जिस तरह उनकी जिंदगी से संबंधित मुद्दों पर बात हो रही है उस पर उन्हें दुःख है। वह इस माध्यम का हिस्सा बन कर निराश हैं। 

बरखा दत्त का ट्वीट

फिलहाल बिहार पुलिस इस मामले की जाँच कर रही है और वह मुंबई में ही मौजूद है। बिहार पुलिस ने रिया चक्रवर्ती के खिलाफ़ मामला भी दर्ज कर लिया है। इसके अलावा बिहार पुलिस ने मुंबई पुलिस पर जाँच में सहयोग न करने का आरोप लगाया है।   

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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