प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (दिसंबर 27, 2020) को ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम के जरिए देश की जनता को सम्बोधित किया। इस साल के आखिरी मन की बात में उन्होंने कहा कि आतताइयों और अत्याचारियों से देश की हजारों साल पुरानी संस्कृति, सभ्यता, रीति-रिवाज को बचाने के लिए जो बड़े बलिदान दिए गए हैं, आज उन्हें याद करने का भी दिन है। उन्होंने याद किया कि आज के ही दिन गुरु गोविंद जी के पुत्रों, जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था।
उन्होंने याद दिलाया कि कैसे अत्याचारी चाहते थे कि साहिबजादे अपनी आस्था छोड़ दें। महान गुरु परंपरा की सीख छोड़ दें। लेकिन, हमारे साहिबजादों ने इतनी कम उम्र में भी गजब का साहस और इच्छाशक्ति दिखाई। उन्होंने याद किया कि दीवार में चुने जाते समय, पत्थर लगते रहे, दीवार ऊँची होती रही, मौत सामने मँडरा रही थी, लेकिन, फिर भी वो टस-से-मस नहीं हुए। आज ही के दिन गुरु गोविंद सिंह जी की माता जी– माता गुजरी ने भी बलिदान दिया था।
प्रधानमंत्री ने देश की जनता को याद दिलाया कि करीब एक सप्ताह पहले, श्री गुरु तेग बहादुर जी के भी बलिदान का दिन था। पीएम ने बताया कि उन्हें दिल्ली में गुरुद्वारा रकाबगंज जाकर गुरु तेग बहादुर जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करने का, मत्था टेकने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि इसी महीने, श्री गुरु गोविंद सिंह जी से प्रेरित अनेक लोग जमीन पर सोते हैं और लोग श्री गुरु गोविंद सिंह जी के परिवार के लोगों के द्वारा दिए गए बलिदान को बड़ी भावपूर्ण अवस्था में याद करते हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि इस बलिदान ने संपूर्ण मानवता को, देश को, नई सीख दी। इस बलिदान ने हमारी सभ्यता को सुरक्षित रखने का महान कार्य किया। उन्होंने कहा कि हम सब इस शहादत के कर्जदार हैं।
आगे पर्यावरण की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने जानकारी दी कि भारत में ‘Leopards’, यानी तेंदुओं की संख्या में, 2014 से 2018 के बीच, 60% से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। 2014 में देश में तेंदुओं की संख्या लगभग 7900 थी, वहीं 2019 में इनकी संख्या बढ़कर 12,852 हो गई।
उन्होंने कहा कि ये वही तेंदुए हैं जिनके बारे में जिम कॉर्बेट ने कहा था, “जिन लोगों ने तेंदुओं को प्रकृति में स्वछन्द रूप से घूमते नहीं देखा, वो उसकी खूबसूरती की कल्पना ही नहीं कर सकते। उसके रंगों की सुन्दरता और उसकी चाल की मोहकता का अंदाज नहीं लगा सकते।” साथ ही पीएम ने ये भी बताया कि देश के अधिकतर राज्यों में, विशेषकर मध्य भारत में, तेंदुओं की संख्या बढ़ी है। तेंदुए की सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र सबसे ऊपर हैं। उन्होंने इसे एक बड़ी उपलब्धि करार दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि तेंदुए, पूरी दुनिया में वर्षों से खतरों का सामना करते आ रहे हैं, दुनिया भर में उनके विचरण को नुकसान हुआ है। उन्होंने इस बात पर ख़ुशी जताई कि ऐसे समय में, भारत ने तेंदुए की आबादी में लगातार बढ़ोतरी कर पूरे विश्व को एक रास्ता दिखाया है। उन्होंने जानकारी दी कि पिछले कुछ सालों में, भारत में शेरों की आबादी बढ़ी है, बाघों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, साथ ही, भारतीय वनक्षेत्र में भी इजाफा हुआ है।
उन्होंने सरकार के साथ-साथ बहुत से लोगों, सिविल सोसायटी, कई संस्थाओं के पेड़-पौधों और वन्यजीवों के संरक्षण में जुटने को कारण बताया और उन्हें बधाई दी। पीएम ने ये भी जानकरी दी कि कोयंबटूर की एक बेटी गायत्री ने, अपने पिता के साथ, एक पीड़ित कुत्ते के लिए व्हीलचेयर बना दी। उन्होंने कहा कि ये संवेदनशीलता, प्रेरणा देने वाली है और ये तभी हो सकता है, जब व्यक्ति हर जीव के प्रति, दया और करुणा से भरा हुआ हो।
उन्होंने कहा कि दिल्ली NCR और देश के दूसरे शहरों में ठिठुरती ठण्ड के बीच बेघर पशुओं की देखभाल के लिए कई लोग, बहुत कुछ कर रहे हैं | वे उन पशुओं के खाने-पीने और उनके लिए स्वेटर और बिस्तर तक का इंतजाम करते हैं। कुछ लोग तो ऐसे हैं, जो रोजाना सैकड़ों की संख्या में ऐसे पशुओं के लिए भोजन का इंतजाम करते हैं। ऐसे प्रयास की सराहना होनी चाहिए। कुछ इसी प्रकार के नेक प्रयास, उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी में भी किए जा रहे हैं। वहाँ जेल में बंद कैदी, गायों को ठण्ड से बचाने के लिए, पुराने और फटे कम्बलों से कवर बना रहे हैं। इन कम्बलों को कौशाम्बी समेत दूसरे ज़िलों की जेलों से एकत्र किया जाता है, और फिर उन्हें सिलकर गौ-शाला भेज दिया जाता है।
From Gurugram to Karnataka, there are people whose passion towards a cleaner environment is outstanding.
— PMO India (@PMOIndia) December 27, 2020
Their efforts are both innovating and inspiring. #MannKiBaat pic.twitter.com/Ie67MyXsXY
पीएम मोदी ने युवाओं के एक समूह द्वारा कर्नाटक में श्रीरंगपट्न के पास स्थित वीरभद्र स्वामी नामक प्राचीन शिवमंदिर के कायाकल्प कर देने का भी जिक्र किया। उन्होंने तमिलनाडु के एक शिक्षक हेमलता एनके के बारे में बताया, जो विडुपुरम के एक स्कूल में दुनिया की सबसे पुरानी भाषा तमिल पढ़ाती हैं। कोविड 19 महामारी भी उनके अध्यापन के काम में आड़े नहीं आ पाई।
उन्होंने, कोर्स के सभी 53 चैप्टर्स को रिकॉर्ड किया, एनिमेटेड वीडियो तैयार किए और इन्हें एक पेन ड्राइव में लेकर अपने छात्रों को बाँट दिए। इसके बाद उन्होंने झारखण्ड की कोरवा जनजाति के हीरामन की चर्चा की, जो गढ़वा जिले के सिंजो गाँव में रहते हैं। कोरवा जनजाति की आबादी महज़ 6,000 है, जो शहरों से दूर पहाड़ों और जंगलों में निवास करती है। अपने समुदाय की संस्कृति और पहचान को बचाने के लिए हीरामन ने एक बीड़ा उठाया है।
उन्होंने 12 साल के अथक परिश्रम के बाद विलुप्त होती, कोरवा भाषा का शब्दकोष तैयार किया है। उन्होंने इस शब्दकोष में, घर-गृहस्थी में प्रयोग होने वाले शब्दों से लेकर दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाले कोरवा भाषा के ढेर सारे शब्दों को अर्थ के साथ लिखा है। पीएम ने कहा कि कोरवा समुदाय के लिए हीरामन ने जो कर दिखाया है, वह देश के लिए एक मिसाल है। प्रधानमंत्री ने अकबर के दरबार में रहे अबुल फजल का जिक्र किया, जिन्होंने एक बार कश्मीर की यात्रा के बाद कहा था कि कश्मीर में एक ऐसा नजारा है, जिसे देखकर चिड़चिड़े और गुस्सैल लोग भी खुशी से झूम उठेंगे।
पीएम ने बताया कि दरअसल, वे कश्मीर में केसर के खेतों का उल्लेख कर थे। केसर, सदियों से कश्मीर से जुड़ा हुआ है। कश्मीरी केसर मुख्य रूप से पुलवामा, बडगाम और किश्तवाड़ जैसी जगहों पर उगाया जाता है। उन्होंने बताया कि इसी साल मई में, कश्मीरी केसर को ‘Geographical Indication Tag’ (GI Tag) दिया गया। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार कश्मीरी केसर को एक वैश्विक रूप से लोकप्रिय उत्पाद बनाना चाहती है।
पीएम मोदी ने गीता जयंती का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि गीता हमें हमारे जीवन के हर सन्दर्भ में प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि गीता इतनी अद्भुत ग्रन्थ इसलिए है, क्योंकि ये स्वयं भगवान श्रीकृष्ण की ही वाणी है। उन्होंने आगे कहा कि गीता की विशिष्टता ये भी है कि ये जानने की जिज्ञासा से शुरू होती है। प्रश्न से शुरू होती है। अर्जुन ने भगवान से प्रश्न किया, जिज्ञासा की, तभी तो गीता का ज्ञान संसार को मिला। ‘मन की बात’ में पीएम मोदी ने कहा:
“गीता की ही तरह, हमारी संस्कृति में जितना भी ज्ञान है, सब, जिज्ञासा से ही शुरू होता है। वेदांत का तो पहला मंत्र ही है– ‘अथातो ब्रह्म जिज्ञासा’ अर्थात, आओ हम ब्रह्म की जिज्ञासा करें। इसीलिए तो हमारे यहाँ ब्रह्म के भी अन्वेषण की बात कही जाती है। जिज्ञासा की ताकत ही ऐसी है। जिज्ञासा आपको लगातार नए के लिए प्रेरित करती है। बचपन में हम इसीलिए तो सीखते हैं क्योंकि हमारे अन्दर जिज्ञासा होती है। यानी जब तक जिज्ञासा है, तब तक जीवन है। जब तक जिज्ञासा है, तब तक नया सीखने का क्रम जारी है। इसमें कोई उम्र, कोई परिस्थिति, मायने ही नहीं रखती। जिज्ञासा की ऐसी ही उर्जा का एक उदाहरण मुझे पता चला, तमिलनाडु के बुजुर्ग श्री टी श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी के बारे में! श्री टी श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी 92 साल के हैं और वो इस उम्र में भी कम्प्यूटर पर अपनी किताब लिख रहे हैं, वो भी, खुद ही टाइप करके। उनके मन में जिज्ञासा और आत्मविश्वास अभी भी उतना ही है जितना अपनी युवावस्था में था। श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी संस्कृत और तमिल के विद्वान हैं। वो अब तक करीब 16 आध्यात्मिक ग्रन्थ भी लिख चुके हैं।”
We pay tributes to the brave Chaar Sahibzaade, we remember Mata Gujri, we recall the greatness of Sri Guru Tegh Bahadur Ji, Sri Guru Gobind Singh Ji.
— PMO India (@PMOIndia) December 27, 2020
We remain indebted to these greats for their sacrifices and their spirit of compassion. #MannKiBaat pic.twitter.com/p6jFejyBtl
स्वच्छता की बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमें ये भी सोचना है कि ये कचरा भारत के समुद्र तटों पर स्थित बीचों पर, इन पहाड़ों पर, पहुँचता कैसे है? उन्होंने याद दिलाया कि आखिर हम में से ही कोई लोग ये कचरा वहाँ छोड़कर आते हैं। बकौल पीएम मोदी, हमें सफाई अभियान चलाने के साथ-साथ हमें ये संकल्प भी लेना चाहिए कि हम, कचरा फैलाएँगे ही नहीं। उन्होंने सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग को ख़त्म करने की भी बात की।