Monday, March 17, 2025
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गुरुद्वारा रकाब गंज में PM मोदी: गुरु तेग बहादुर को दी श्रद्धांजलि, जिन्हें औरंगजेब ने मरवा दिया था

गुरु तेग बहादुर ने धर्म के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया था। औरंगजेब के आदेश पर उनकी हत्या की गई थी। गुरु तेग बहादुर ने धर्म से जुड़े मुद्दों पर विमर्श के लिए हमेशा वेदों और उपनिषदों का हवाला देते थे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज रविवार (20 दिसंबर 2020) की सुबह राजधानी दिल्ली स्थित गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब का दौरा किया। इसके बाद उन्होंने गुरु तेग बहादुर को उनके सर्वोच्च बलिदानों के लिए श्रद्धांजलि अर्पित की। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा पहले से फिक्स नहीं था। 

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी सुबह के वक्त ही गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब आए थे। यहाँ उन्होंने गुरु तेग बहादुर के बलिदानों को याद किया। दिल्ली की सीमाओं पर लगातार 25वें दिन जारी ‘किसान’ आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गुरुद्वारा रकाब गंज दौरा बेहद अहम माना जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि ‘किसान’ आंदोलन में पंजाब और हरियाणा के किसानों की अहम भूमिका है। दौरे की कोई सूचना नहीं होने के चलते प्रधानमंत्री मोदी के पहुँचने पर न तो कोई पुलिस व्यवस्था थी और न ही रास्तों पर किसी तरह के अवरोधक लगाए गए थे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट करते हुए इस बात की जानकारी दी। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, “आज सुबह मैंने ऐतिहासिक गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब में प्रार्थना की। जहाँ गुरु तेग बहादुर जी के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया था। मैं बेहद धन्य महसूस कर रहा हूँ, दुनिया के लाखों लोगों की तरह श्री गुरु तेग बहादुर के आशीर्वाद से प्रेरित महसूस कर रहा हूँ।”

इसके पहले भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरु तेग बहादुर के ‘शहीद दिवस’ के मौके पर ट्वीट करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। ट्वीट में उनका कहना था कि श्री गुरु तेग बहादुर का जीवन साहस और करुणा का प्रतीक है, महान श्री गुरु तेग बहादुर के शहीद दिवस पर मैं उन्हें नमन करता हूँ और एक समावेशी समाज के लिए उनके द्वारा दिए गए दृष्टिकोण को याद करता हूँ।” 

सिखों के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर ने धर्म के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया था। उनका जन्म 1621 में हुआ था और 1675 में वह बलिदान (औरंगजेब के आदेश पर उनकी हत्या की गई थी) हुए थे। 17वीं शताब्दी के दौरान उन्होंने सिख धर्म की रक्षा के अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया था। वह सिखों के दसवें गुरु ‘गुरु गोविंद सिंह’ के पिता भी थे। गुरु तेग बहादुर ने धर्म से जुड़े मुद्दों पर विमर्श के लिए हमेशा वेदों और उपनिषदों का हवाला देते थे। गुरु तेग बहादुर इन समस्त शास्त्र-पुराणों में पारंगत थे और साथ ही मानवता को परम धर्म मानते थे। 

उन्होंने मुग़ल साम्राज्य के अत्याचारों के विरुद्ध लंबी लड़ाई लड़ी और धर्म की रक्षा के लिए प्राणों का बलिदान कर दिया इसलिए उन्हें ‘हिन्द दी चादर’ भी कहा जाता है। राजधानी दिल्ली स्थित गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब गुरु तेग बहादुर के सर्वोच्च बलिदान के प्रतीक स्थल हैं। गुरु तेग बहादुर की याद में उनके शहीद स्थल पर जो गुरुद्वारा बनाया गया है, उसे गुरुद्वारा शीश गंज साहिब नाम से जाना जाता है। इसके अलावा गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब में गुरु तेग बहादुर का अंतिम संस्कार किया गया था।    

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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