समान नागरिक संहिता (UCC) पर उत्तराखंड सरकार विधानसभा में बिल लाने वाली है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जल्द ही इस संबंध में कानून लागू करने की बात कही है। शुक्रवार (2 फरवरी 2024) को जस्टिस रंजना देसाई की कमेटी ने इसका ड्राफ्ट मुख्यमंत्री को सौंपा। इसके बाद राज्य में सियासी पारा चढ़ गया है। देहरादून के शहर काजी ने धमकी देते हुए इस पर आपत्ति जताई है। वहीं कॉन्ग्रेस भी तुष्टिकरण की राजनीति में जुट गई है।
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार देहरादून के शहर काजी मोहम्मद अहमद कासमी ने यूसीसी लागू किए जाने पर नुकसान की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि सरकार जो चाहे वह फैसला ले सकती है। उनके हाथ में प्रदेश की बागडोर है। लेकिन, इस फैसले को लागू किए जाने के बाद आगे जो भी नुकसान होगा, उसकी भी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
वहीं इस्लामी तुष्टिकरण की अपनी लाइन पर चलते हुए कॉन्ग्रेस भी इस फैसले पर सवाल उठा रही है। राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए पार्टी ने कहा है कि इस तरह की नीति से उत्तराखंड को कोई फायदा नहीं होने वाला। भाजपा सिर्फ लोकसभा चुनाव में फायदा उठाने की कोशिश के लिए ऐसे काम कर रही है।
कॉन्ग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने बीजेपी पर ध्रुवीकरण के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने यूसीसी पर किन लोगों की राय ली है, वो बताए। सिविल लॉ के किन प्रावधानों को बदले जाने की जरूरत महसूस हुई, सरकार वो भी सामने रखे। धस्माना ने कहा कि हमें यूसीसी से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इससे उत्तराखंड में किसी भी तबके को कोई लाभ नहीं होने वाला है।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सारा ठीकरा तो केंद्र सरकार पर फोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने यूसीसी के मुद्दे पर राज्य सरकार को मोहरा बनाया है। हरीश रावत ने कहा कि पहले तो केंद्र सरकार को ही यूसीसी लाने की जरूरत है, इसके बाद ये काम राज्य सरकारों पर छोड़ा जाए।
बता दें कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत जस्टिस जस्टिस रंजना देसाई की अगुवाई में बनाई गई कमिटी ने ड्राफ्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया है। माना जा रहा है कि धामी सरकार 6 फरवरी 2024 को समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक विधानसभा में पेश कर सकती है। सरकार ने 5 से 8 फरवरी तक विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है।
इस विधेयक को विधानसभा में पेश करने से पहले शनिवार (3 फरवरी 2024) को होने वाली पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी जाएगी। विधानसभा से मंजूरी दिए जाने के बाद इस विधेयक को राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। राज्यपाल की मंजूरी के बाद उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा।
कमिटी द्वारा ड्राफ्ट सौंपे जाने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “हम सभी लंबे समय से ड्राफ्ट का इंतजार कर रहे थे। आज हमें ड्राफ्ट मिल गया है। UCC कमिटी ने अपनी रिपोर्ट हमें सौंप दी है। अब हम इस मामले में आगे बढ़ेंगे। मसौदे का परीक्षण करेंगे और सभी औपचारिकताएँ पूरी करने के बाद इसे विधानसभा के दौरान रखेंगे। इस पर आगे चर्चा की जाएगी।”