राजस्थान के उदयपुर (Udaipur, Rajasthan) में हुए कॉन्ग्रेस के चिंतन शिविर को लेकर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) तंज कसा है। उन्होंने कहा कि इस चिंतन से कॉन्ग्रेस (Congress) को कोई फायदा नहीं होने वाला है। उन्होंने कहा कि गुजरात (Gujarat) और हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में होने वाले विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) में कॉन्ग्रेस की हार होने वाली है।
प्रशांत किशोर ने कॉन्ग्रेस के चिंतन शिविर पर शुक्रवार (20 मई 2022) को ट्वीट कर कहा, “मेरे विचार से यह (चिंतन शिविर) यथास्थिति को लम्बा खींचने और कम-से-कम गुजरात और हिमाचल में आगामी चुनावी हार तक #कॉन्ग्रेस नेतृत्व को और समय देने के अलावा कुछ भी सार्थक हासिल करने में विफल रहा!”
I’ve been repeatedly asked to comment on the outcome of #UdaipurChintanShivir
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) May 20, 2022
In my view, it failed to achieve anything meaningful other than prolonging the status-quo and giving some time to the #Congress leadership, at least till the impending electoral rout in Gujarat and HP!
बता दें कि उदयपुर चिंतन शिविर कॉन्ग्रेस नेताओं ने पार्टी में व्यापक बदलाव को लेकर सहमति दी है। इसमें राहुल गाँधी को एक बार फिर पार्टी का नेतृत्व सौंपने की माँग उठी। बताया जा रहा है कि जो नेता पहले उनके अध्यक्ष बनाए जाने के खिलाफ थे, वे भी अब समर्थन राहुल गाँधी कर कर रहे हैं। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि दो राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव राहुल गाँधी के नेतृत्व में ही कॉन्ग्रेस लड़ सकती है।
ऐसे में प्रशांत किशोर का यह बयान बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इसके पहले राहुल गाँधी के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस पार्टी को कई चुनावों में हार का मुँह देखना पड़ा है। बता दें कि प्रशांत किशोर ने कुछ समय पहले पार्टी की कायाकल्प की योजना पेश की थी, लेकिन कॉन्ग्रेस ने उनकी को पूरी योजना को अमल में लाने से इनकार कर दिया था। कह भी कहा जाता है कि कॉन्ग्रेस ने उन्हें पार्टी से जुड़ने का आमंत्रण दिया था और पार्टी में बेहतर पद नहीं मिलने के कारण प्रशांत किशोर उसे ठुकरा दिया था।
प्रशांत किशोर ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था, “मैं कॉन्ग्रेस के नेताओं में एक समस्या देखता हूँ। वे मानते हैं कि हमने देश में लंबे समय तक शासन किया है और जब लोग नाराज होंगे तो अपने आप वर्तमान सरकार को उखाड़ फेंकेंगे और फिर हम सत्ता में वापस आ जाएँगे। वे कहते हैं कि आप क्या जानते हैं, हम सब कुछ जानते हैं और लंबे समय तक सरकार में रहे हैं।”
बता दें कि प्रशांत किशोर ने 2 मई अपने सुराज अभियान को लेकर ट्विटर पर लिखा था, “लोकतंत्र का एक सार्थक भागीदार बनने और जन-समर्थक नीतियों को आकार देने में मदद करने की मेरी खोज ने बीते 10 सालों में उतार-चढ़ाव देखे हैं। अब मैं नया पन्ना पलटने जा रहा हूँ। अब मुद्दों और जन सुराज के मार्ग को बेहतर ढंग से समझने के लिए ‘रियल मास्टर्स’ यानी जनता के पास जाने का समय आ गया है, शुरुआत बिहार से होगी।”
इसके साथ ही 5 मई को उन्होंने कहा था कि वह बिहार के लोगों के साथ पहले 3-4 महीने संवाद स्थापित करेंगे और फिर 2 अक्टूबर से पश्चिम चंपारण से पदयात्रा शुरू करेंगे। उन्होंने कहा था कि इस दौरान वे समाज के विभिन्न तबके के लोगों से मुलाकात स्थिति को समझने का प्रयास करेंगे। इसके बाद राजनीतिक पार्टी बनाने पर विचार किया जाएगा।