राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार (26 नवंबर, 2023) को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘संविधान दिवस’ के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया, जिसमें देश के मुख्य न्यायाधीश DY चंद्रचूड़ भी मौजूद रहे। इस दौरान उन्होंने कहा कि देश की व्यवस्था से गुलामी की निशानियों को मिटाने का कार्य चल रहा है। उन्होंने सभी क्षेत्रों में गुलामी की निशानियों को सजगता से मिटाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश की सारी व्यवस्थाओं को नागरिकों पर केंद्रित बनाना होगा, ताकि न्याय तक सभी पहुँच संभव हो सके।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हमारी व्यवस्थाएँ समय का उत्पाद हैं, या यूँ कहें कि गुलामी काल से निकली हैं। इस दौरान उन्होंने ‘बेंच एन्ड बार’ में भारत की विशेष विविधताओं के प्रतिनिधित्व की भी वकालत करते हुए कहा कि इससे न्याय के कार्य को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने ऐसी विविधतापूर्ण प्रक्रिया का एक विकल्प सुझाते हुए कहा कि एक ऐसा सिस्टम बनाया जाए जिसमें विभिन्न पृष्ठभूमियों से जजों की नियुक्ति हो, प्रक्रिया मेरिट पर आधारित हो, प्रतियोगी हो और पारदर्शी हो।
उन्होंने कहा, “एक ‘ऑल इंडियन जुडिशल सर्विस’ की व्यवस्था बनाई जा सकती है, जिसके तहत प्रतिभावान युवाओं को चुना जाए, उन्हें निचले स्तर से ऊपर तक लाने के लिए तैयार किया जाए। जो बेंच में सेवा देना चाहते हैं, उन्हें देश भर से चुना जाए, ताकि प्रतिभाशाली युवाओं का एक समूह तैयार हो। ऐसी व्यवस्था से उन सामाजिक समुदायों को भी मौका मिलेगा, जिनका प्रतिनिधित्व कम है। न्याय तक सबकी पहुँच हो, तो इससे बराबरी का सिद्धांत भी मजबूत होता है।”
In 2015, as the nation celebrated the 125th birth anniversary of the key architect of the Constitution, Dr. Babasaheb Ambedkar, the Government of India declared 26th November as Constitution Day. The twin aims were to help spread awareness about the Constitution as well as about… pic.twitter.com/oN426Wvlrt
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 26, 2023
इस दौरान राष्ट्रति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान में वर्णित न्याय, स्वाधीनता, बराबरी और भाईचारे की भावना पर बल देते हुए कहा कि इन्होंने देश की आज़ादी की लड़ाई में भी बड़ी भूमिका निभाई थी और इसीलिए इन्हें संविधान के प्रस्तावना में भी विशेष स्थान मिला। उन्होंने कहा कि न्याय के रास्ते में आम लोगों के आड़े पैसा और भाषा जैसी चीजें आ जाती हैं। उन्होंने कहा कि संविधान सिर्फ एक लिखित दस्तावेज है, उसे अमल में लाया जाए तभी ये जीवित होता है। बता दें कि मोदी सरकार ने 2015 में संविधान को स्वीकृत करने वाले दिन हर साल 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया था।