मुगल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के परपोते याकूब हबीबुद्दीन तुसी (Yakub Habeebuddin Tucy) उर्फ, प्रिंस तुसी ने समाचार चैनल ‘News X’ के साथ एक इंटरव्यू में AIMIM नेता ओवैसी को जोकर बताते हुए कहा कि उनके परिवार की अयोध्या में बने राम मंदिर को देखने की इच्छा है।
अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन का स्वागत करते हुए, प्रिंस तुसी ने कहा कि उनके परिवार इस बात से उत्साहित हैं कि मीर बाक़ी द्वारा किए गए ऐतिहासिक गलत काम को समाप्त किया जाएगा।
तुसी ने इस बात पर भी जोर दिया कि यह उनके पूर्वज, मुगल सम्राट बाबर नहीं थे, बल्कि उनके सहयोगी मीर बाकी थे, जिन्होंने अयोध्या में 15वीं शताब्दी में निर्मित मंदिर को नष्ट कर दिया था।
जब प्रिंस तुसी से असदुद्दीन ओवैसी और अन्य विपक्षी नेताओं जैसे आलोचकों, जिन्होंने अयोध्या में समारोह के लिए प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा पर सवाल उठाए थे, के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वह एक जोकर है और पीएम मोदी की यात्रा पर उसकी आपत्ति पर विचार नहीं किया जाना चाहिए।
प्रिंस तुसी ने आगे कहा, “पीएम मोदी सभी समुदायों के प्रधानमंत्री हैं। पिछली बार, उन्होंने बोहरा समुदाय के कार्यक्रम का दौरा किया। इस बार वह हिंदुओं के एक समारोह में शामिल होंगे। जैसा कि मैंने पहले कहा था कि असदुद्दीन ओवैसी एक जोकर है। वह पंडित वंश के हैं, जो इस्लाम में परिवर्तित हो गए। ओवैसी केवल अपने विरोध प्रदर्शनों के साथ सस्ते पब्लिसिटी की कोशिश कर रहे हैं।”
बता दें कि खुद को बहादुर शाह जफर का वंशज कहने वाले याकूब हबीबुद्दीन तुसी अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए 1.8 करोड़ रुपए की सोने की ईंट भी दान कर रहे हैं। अपने दान के बारे में बात करते हुए, तुसी ने कहा कि वह यह दान बहुलवाद और भाईचारे को लेकर धर्मनिरपेक्षता का संदेश देने के लिए कर रहे हैं।
तुसी ने कहा, “इस्लाम हमें सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाता है। बाबर को लेकर एक खेल खेला गया था और उसकी कोई गलती नहीं थी। उसने मंदिर को ध्वस्त नहीं किया। मेरे सहित सभी मुगल धर्मनिरपेक्ष थे। मैं क्रॉस-कम्युनिटी एकता और भाईचारे के संदेश के रूप में एक सोने की ईंट भेज रहा हूँ।”
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या विवाद पर सुनाए गए फैसले का याकूब हबीबुद्दीन उर्फ़ प्रिंस तुसी ने भी स्वागत किया था। इसके साथ ही, उन्होंने कहा था कि मंदिर निर्माण के लिए वे सोने की ईंट भी ट्रस्ट को देंगे।
प्रिंस तुसी ने फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा था कि जिस तरह से देश में 26 जनवरी और 15 अगस्त को खुशियाँ मनाई जाती है, उसी तरह से आज के दिन को भी राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस फैसले को सभी हिन्दू और समुदाय के भाइयों को कबूल करना चाहिए।