पंजाब कॉन्ग्रेस में चल रहे घमासान के बीच कुछ विधायकों की नाराजगी को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने नया रास्ता अपनाया है। कुछ विधायकों की नाराजगी को दूर करने के लिए उनके बेटों को डीएसपी, तहसीलदार जैसे पदों से नवाजा जा रहा है। विभागीय सचिवों के ऐतराज के बाद अब बीच का रास्ता निकाला जा रहा है।
पंजाब मंत्रिमंडल ने दो विधायकों के बेटों को अफसर बनाने के प्रस्ताव को तीन मिनट में मंजूरी दे दी। सांसद प्रताप सिंह बाजवा के भतीजे और विधायक फतेहजंग बाजवा के बेटे अर्जुन प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर (ग्रेड-2) और विधायक राकेश पांडे के बेटे भीष्म पांडे को राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार नियुक्त किया गया। इस प्रस्ताव को विपक्षी दलों के कड़े विरोध के बावजूद मंत्रिमंडल ने सिर्फ तीन मिनट में पारित कर दिया।
मंत्रिमंडल ने प्रस्ताव को पारित करने के लिए अनुकंपा आधार पर नौकरी देने संबंधी नियमों में भी संशोधन किया, क्योंकि दोनों को अनुकंपा के आधार पर ही नौकरी दी गई है। इन दोनों के दादा पूर्व मंत्री सतनाम सिंह बाजवा और जोगिंद्र पाल पांडे की पंजाब में आतंकवाद के समय आतंकियों ने हत्या की थी। दोनों की नियुक्ति को अनुकंपा के आधार पर नियुक्तियों संबंधी पॉलिसी, 2002 में एक बार छूट देकर विशेष केस के तौर पर माना गया है। हालाँकि, इसे प्रथा के तौर पर नहीं विचारा जाएगा। विपक्षी दलों-शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध भी किया।
अपनी कुर्सी बचाने के लिए विधायकों के बच्चों को नौकरी दे रहे कैप्टन: सुखबीर
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा अपनी कुर्सी बचाने के लिए कॉन्ग्रेस विधायकों के बच्चों को नौकरी देने के फैसले को निंदनीय बताया। उन्होंने कहा कि 2022 में राज्य में शिअद-बसपा गठबंधन सरकार बनते ही ऐसी सभी अवैध नियुक्तियों को रद्द कर दिया जाएगा।
अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जहाँ गरीब और मेधावी छात्र नौकरियों का इंतजार कर रहे हैं, कॉन्ग्रेस सरकार ने घर-घर नौकरी योजना को बदल कर केवल कॉन्ग्रेस घर नौकरी में बदल दिया है। पहले अनुकंपा के आधार पर पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते को डीएसपी नियुक्त किया गया था। अब कॉन्ग्रेसी विधायक फतेहजंग सिंह तथा राकेश पांडे को इंस्पेक्टर और नायब तहसीलदार के पद पर झूठे अनुकंपा के आधार पर नई नौकरियाँ पैदा कर नियुक्त किया गया है।
सुखबीर ने नियुक्तियों को अवैध बताते हुए कहा कि उनके दादाओं की कथित कुर्बानी के बदले विधायकों के बच्चों को नौकरियाँ नहीं दी जा सकती हैं। यह निंदनीय है कि मुख्यमंत्री ने पंजाब कॉन्ग्रेस पार्टी में चल रही तकरार में अपनी कुर्सी बचाने के उद्देश्य से ऐसा कर अधिनियम को झूठा आधार दिया है। मुख्यमंत्री को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि 1987 में पूर्व मंत्री सतनाम सिंह बाजवा को गोली मारने पर केस दर्ज किया गया था।
एफआईआर में कहा गया था कि सतनाम सिंह बाजवा को व्यक्तिगत मतभेद के आधार पर गोली मारी गई थी। इस मामले में बलिदान का तो सवाल ही पैदा नहीं होता, जिसके आधार पर बाजवा के पोते को उनके दादा की मौत के 33 साल बाद सरकारी नौकरी देकर पुरस्कृत किया जा रहा है।