पंजाब से कॉन्ग्रेस के लिए बुरी ख़बर आई है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह विदेश दौरे पर थे। विधायकों की नाराजगी की ख़बर मिलते ही वो भागे-भागे दिल्ली पहुँचे। उन्हें चंडीगढ़ जाना था लेकिन ख़राब मौसम के कारण ऐसा संभव नहीं हो सका। बुधवार को कैप्टन अपने गृह जिले पटियाला के 4 विधायकों से मुलाक़ात कर स्थिति संभालने की कोशिश करेंगे। अफसरशाही के रवैए से नाराज़ होकर कई विधायक बागी हो उठे हैं और उन्होंने शिकायत की है कि राज्य को कैप्टन नहीं, अधिकारी चला रहे हैं।
विधायकों ने सार्वजनिक रूप से ब्यूरोक्रेसी पर निशाना साधते हुए कहा कि लोगों के काम रुके पड़े हैं और अफसरशाही विधायकों के काम में अड़ंगा डाल रही है। पार्टी हाईकमान तक ये मामला पहुँचा। इसी कारण मुख्यमंत्री को अपना इंग्लैंड दौरा बीच में ही छोड़ कर वापस पंजाब लौटना पड़ा। चारों बागी विधायक मुख्यमंत्री के गृह जिले के हैं। इन्हें कैप्टन के खेमे का भी माना जाता है। ऐसे में इनकी बगावत ने पार्टी की चिंताएं बढ़ा दी है। राज्य के अन्य हिस्सों और अन्य खेमों के विधायकों की नाराजगी को लेकर भी पार्टी सशंकित है।
विधायकों को मनाने के लिए सांसद परनीत कौर को भी लगाया गया। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की मुश्किलें केवल यही नहीं हैं। उन्हें 27 नवंबर को कोर्ट में भी पेश होना है। सिटी सेंटर घोटाला मामले में सरकारी और आरोपित पक्ष की बहस पूरी होने के बाद कैप्टन को कोर्ट में हाजिरी लगाने के आदेश दिए गए हैं। विजिलेंस ब्यूरो ने मुख्यमंत्री सहित 7 आरोपितों के ख़िलाफ़ क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की हुई है। ये मामला 2006 का है। तब भी राज्य में अमरिंदर सिंह ही सीएम थे। अकाली सरकार आने के बाद 2007 में उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था।
इस मामले में 36 आरोपितों पर केस दर्ज किया गया था। इनमें से 4 आरोपितों की मृत्यु हो चुकी है। अब तक 152 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। 130 पन्नों की चार्जशीट में आरोपितों पर आरोप तय किया गया था। अदालत इस मामले में कभी भी फ़ैसला सुना कती है। लुधियाना के जिस सिटी सेंटर को लेकर ये मामला चल रहा है, वो अब एक खंडहर का रूप ले चुका है। आरोप है कि इस प्रोजेक्ट के बजट में से 100 करोड़ रुपए कॉन्ग्रेस पार्टी को दिए गए। तब भाजपा में रहे नवजोत सिंह सिद्धू सहित कई नेताओं ने कैप्टन के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला था।