Saturday, November 2, 2024
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धर्मांतरण कर हो गए ईसाई, कागज पर बने हुए हैं दलित: पंजाब के एक बड़े समूह का हाल, उठा रहे योजनाओं का लाभ भी

अनौपचारिक रूप से धर्मांतरण करा चुके दलित समुदाय के कई लोग अपनी जाति की पहचान और मिल रहे लाभ से वंचित होने के डर से अपना रजिस्ट्रेशन ईसाई के रूप में नहीं कराते हैं।

पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले एक ऐसे समुदाय को लेकर चर्चा चल रही है, जो खुद को दलित भी बताता है और ईसाई भी। भारत-पाकिस्तान सीमा से लगे गुरदारसपुर जिले में ईसाइयों की संख्या अधिक बताई जाती है। आँकड़ों की मानें तो राज्य में 1.26% ईसाई है। हालाँकि, पंजाब के प्रमुख राजनीतिक दल ईसाइयों को शायद ही टिकट देते हैं। पंजाब के विधानसभा में पिछले कई वर्षों से कोई ईसाई विधायक नहीं पहुँचा है। ईसाई भी यहाँ तीन प्रमुख समूहों में बँटे हुए हैं।

इनमें सबसे पहला वर्ग वो है, जिनके पूर्वजों ने अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान ही ईसाई मजहब अपना लिया था। दूसरे गरीब और अशिक्षित समाज से आते हैं, जिन पर डेरों का अच्छा-खासा प्रभाव है। अब तीसरा सबसे बड़ा समूह जो है, वो ‘दलितों’ का है। इन्होंने आधिकारिक रूप से तो ईसाई धर्मांतरण नहीं किया है, लेकिन वो ईसाई मजहब के हिसाब से ही चलते हैं। राज्य में की ऐसा ईसाई नेता या फिर चर्चा नहीं है, जिसका पंजाब के सभी ईसाइयों में प्रभाव हो।

दलितों के नाम पर राजनीति करने वाली मायावती की ‘बहुजन समाज पार्टी (BSP)’ के महासचिव रहे रोहित खोखर का कहना है कि ईसाई समुदाय के 98% लोग दलित बैकग्राउंड से ही आते हैं। अब रोहित खोखर ‘आम आदमी पार्टी (AAP)’ का हिस्सा हैं। उनका कहना है कि भले ही इन्होंने ईसाई मजहब अपना लिया हो, लेकिन जाति व्यवस्था से वो पीछे नहीं छूटे हैं। उनका दावा है कि सिख हों या ईसाई, जाति हर मजहब में बनी रहती है। उन्होंने ऐसे समूहों को आरक्षण देने की भी वकालत की।

रोहित खोखर ने कहा कि ये वर्ग आधिकारिक रूप से धर्मांतरण भी नहीं कराना चाहता है। यहाँ तक कि वो मतदान के वक्त ही तय करते हैं कि किस मुद्दे के आधार पर वोट देना है। बकौल रोहित खोखर, अगर धार्मिक उत्पीड़न मुद्दा है तो वो एक ईसाई के रूप में मतदान करेंगे। वहीं अगर मुद्दा दलित अधिकार से जुड़ा है, तब वो दलित के रूप में वोट करेंगे। रोहन जोसफ गुरदासपुर में कॉन्ग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष हुआ करते थे, लेकिन अब वो अकाली दल में शामिल हो चुके हैं।

उनका दावा है कि ईसाई समुदाय अब धीरे-धीरे कॉन्ग्रेस से दूर होता चला जा रहा है। जबकि रोहित खोखर का कहना है कि 2020 में अनवर मसीह के विरुद्ध दर्ज किए गए मामले के बाद ईसाई समुदाय अकालियों की तरफ से विश्वासघात महसूस कर रहे हैं। बता दें कि अनवर मसीह अकाली दल के दिग्गज नेता और मंत्री रहे बिक्रम सिंह मजीठिया के करीबी हैं। उन्हें 2014 में ‘अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड’ में नियुक्त किया गया था। 2020 में उनकी इमारत से 197 किलोग्राम हेरोइन बरामद की गई।

रोहित खोखर का दावा है कि पंजाब में AAP की लहर चल रही है, लेकिन कॉन्ग्रेस द्वारा दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी के चेहरे पर दाँव खेलने के कारण अरविंद केजरीवाल की पार्टी को नुकसान हो सकता है। उनका आकलन है कि इससे AAP के पक्ष में मतदान का मन बनाए दलितों का एक समूह अपना वोट कॉन्ग्रेस को दे सकता है। पंजाब विधानसभा चुनाव में कई ईसाई नेता निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। डोमिनिक मट्टू भी उनमें से एक हैं। उनका कहना है कि AAP और भाजपा गठबंधन का हिस्सा पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई पार्टी ‘पंजाब लोक कॉन्ग्रेस’ ने उन्हें टिकट नहीं दिया।

इसी तरह अजनाला से सोनू जाफर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि राजनीतिक दलों ने उन्हें भी टिकट नहीं दिया। अनौपचारिक रूप से धर्मांतरण करा चुके दलित समुदाय के कई लोग अपनी जाति की पहचान और मिल रहे लाभ से वंचित होने के डर से अपना रजिस्ट्रेशन ईसाई के रूप में नहीं कराते हैं। ईसाई नेताओं का कहना है कि इससे सरकारी आँकड़ों में ईसाइयों की जनसंख्या कम होती है और इसीलिए इस समाज को टिकट राजनीतिक दलों से नहीं मिलता।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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