Sunday, November 17, 2024
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राहुल गाँधी ने पूछा- यहाँ कौन-कौन पीता है शराब? सिद्धू ने कहा – हर कोई पीता है

कॉन्ग्रेस का सदस्य बनना है तो स्वीकृति देनी होगी - (i) शराब और मादक पदार्थों से दूरी (ii) नियमित रूप से खादी धारण (iii) कानूनी सीमा से अधिक संपत्ति नहीं... ऐसी ही 7 और बातों को मानना होगा।

जवाहरलाल नेहरू जवानी में शराब पीते थे, PM बनने के बाद कभी-कभी वाइन ले लिया करते थे। उनकी बेटी की बहू सोनिया गाँधी ने कॉन्ग्रेस पार्टी की एक बैठक बुलाई थी मंगलवार (26 अक्टूबर) को। बैठक में आने वाले विधानसभा चुनावों पर चर्चा करनी थी। सोनिया गाँधी के बेटे राहुल गाँधी ने यहाँ शराब की चर्चा कर दी। अब कॉन्ग्रेस में खलबली है।

कॉन्ग्रेस की बैठक में प्रदेश अध्यक्षों, प्रभारियों और सचिवों को बुलाया गया था। ये लोग कार्यकर्ता से थोड़ा ऊपर होते हैं और अध्यक्ष से तो खैर सब ही नीचे। फिर भी अध्यक्ष-पुत्र राहुल गाँधी की शराब वाली बात पर लोगों ने मन की बात कही। नवजोत सिंह सिद्धू ने तो दिल की ही बात कह दी।

पंजाब कॉन्ग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने राहुल गाँधी के सवाल पर कहा कि उनके राज्य में अधिकांश लोग शराब पीते हैं। साथ ही यह भी जोड़ा कि अगर कॉन्ग्रेस पार्टी में सदस्यता के लिए “शराब से तौबा” वाली बात की गई तो ऐसी स्थिति में खुद पार्टी में ही इस नियम का पालन शायद हो पाए?

सिद्धू वे ऐसी बात क्यों की? क्योंकि इसी बैठक में कॉन्ग्रेस के दो महासचिवों ने कबूल किया कि वे शराब पीते हैं। फिर क्या… “शराब से तौबा तब सदस्यता” वाला मुद्दा मीटिंग से गायब हो गया। लोग यह चर्चा करने लगे कि पार्टी का सदस्य बनने के लिए शराब छोड़ने वाला नियम कितना तार्किक है।

पहला पैराग्राफ पढ़िए। कॉन्ग्रेस की इस बैठक में चर्चा होनी थी आने वाले विधानसभा चुनावों की। चर्चा होने लगी शराब पिया जाए या नहीं! बैठक में नवजोत सिंह सिद्धू के बाद बाकी नेता भी इस मुद्दे पर अपनी-अपनी राय देने लगे। अंत में राहुल गाँधी को इस चर्चा को रोकना पड़ा।

शराब, ड्रग्स और कॉन्ग्रेस

कॉन्ग्रेस पार्टी 1 नवंबर से सदस्यता अभियान शुरू करने जा रही है। अगर आपको या किसी को भी कॉन्ग्रेस का सदस्य बनना है तो यह घोषणा करनी पड़ेगी कि आप या वह शराब या किसी भी तरह के नशे से दूर रहेंगे/रहेगा। वैसे तो सभी साहसी नहीं होते हैं लेकिन जवाहरलाल नेहरू सिगरेट पीते थे, PM थे तब भी। प्रणब मुखर्जी भी कॉन्ग्रेसी थे, पाइप (सिगरेट से भी ज्यादा धुआँ छोड़ता है) पीते थे।

कॉन्ग्रेस की सदस्यता अभियान के लिए एक आवेदन-पत्र तैयार किया गया है। इसमें 10 बिंदुओं का उल्लेख किया गया है। इन सभी बिंदुओं पर सदस्य बनने के इच्छुक लोगों को अपनी स्वीकृति देनी होगी। इनमें मुख्य हैं – (i) शराब और मादक पदार्थों से दूरी (ii) नियमित रूप से खादी धारण (iii) पार्टी की नीतियों-कार्यक्रमों की आलोचना नहीं (iv) कानूनी सीमा से अधिक संपत्ति नहीं (v) शारीरिक श्रम और जमीनी मेहनत से हिचकिचाना नहीं

14 साल पहले कॉन्ग्रेस में शराब-खादी पर बवाल

कॉन्ग्रेस में ऐसी खलबली 2007 में भी मची थी। तब भी राहुल गाँधी ही इस वजह की केंद्र थे। अपनी ही सरकार के अध्यादेश को फाड़ने वाले राहुल गाँधी में तब बहुत जोश (युवा टाइप वाला) हुआ करता था। कॉन्ग्रेस वर्किंग कमिटी की मीटिंग थी। यहीं पर राहुल गाँधी ने कॉन्ग्रेस के सीनियर नेताओं को लगभग साँप सूँघा दिया था। उन्होंने कहा था:

“गाँधीजी ने कहा था कि कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए। बावजूद कॉन्ग्रेस में शामिल होते ही हम में से अधिकतर की जिंदगी झूठ के साथ शुरू होती है।”

राहुल गाँधी ने यह बात शराब से दूरी, खादी से दोस्ती और कॉन्ग्रेस पेपर संदेश का साथ – इन तीन चीजों पर चर्चा करते हुए कही थी। मंच पर से उन्होंने लगभग सभी कॉन्ग्रेसियों को झूठा करार दे दिया था। ऐसा इसलिए क्योंकि सन्नाटा छा गया था। ऐसा इसलिए भी क्योंकि भले ही तब G-23 या G-22 जैसा कुछ नहीं था लेकिन सोनिया गाँधी सीनियर नेताओं की सुनती थीं… और इसी कारण से राहुल गाँधी को इस मीटिंग के हफ्ते भर के भीतर ही सफाई देनी पड़ी थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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