28 फरवरी, 2023 को राहुल गाँधी ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने के चक्कर में लगातार देश विरोधी बयान देते रहे। इस दौरान राहुल गाँधी ने वो सब भी कहा जो खालिस्तान की माँग करने वाले देश विरोधी तत्व कहा करते हैं। अपने भाषण के दौरान राहुल गाँधी ने सभा में बैठे एक सिख की तरफ इशारा करते हुए कहा कि सिखों को भारत में दोयम दर्जे का नागरिक (second class citizen) बना दिया गया है।
राहुल गाँधी के यूट्यूब चैनल पर उनका यह भाषण अपलोड किया गया है। इसमें 53:40 मिनट से राहुल को सिखों और मुस्लिमों के बारे में कहते सुना जा सकता है। राहुल कह रहे हैं कि पीएम मोदी भारत पर एक ऐसा विचार थोप रहे हैं जिसे भारत कभी स्वीकार नहीं कर सकता। भारत राज्यों का एक संघ है। यदि एक यूनियन पर आप कोई विचार थोपने का प्रयास करेंगे तो उसकी प्रतिक्रिया होगी।
ऐसे समय में जब अलगाववादी सिख नौजवानों के मन में खालिस्तान के नाम पर अलगाववाद पनपाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे समय में राहुल गाँधी वैश्विक मंच से उनके समर्थन में बातें कर रहे हैं। राहुल गाँधी पीएम मोदी पर अल्पसंख्यकों को दूसरे दर्जे का नागरिक समझने का आरोप लगाते हुए कहते हैं, “यहाँ मेरे सामने एक सिख बैठे हैं। वो भारत से आते हैं। क्या में सही हूँ? राहुल बोलना जारी रखते हैं, “भारत में मुस्लिम हैं, ईसाई भी हैं और सभी भारतीय हैं। लेकिन नरेंद्र मोदी ऐसा नहीं मानते। नरेंद्र मोदी उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक मानते हैं। मैं उनसे सहमत नहीं हूँ।
कॉन्ग्रेस और खालिस्तान आंदोलन
राहुल गाँधी के इन भ्रामक बयानों ने उन खालिस्तानी अलगाववादियों का हौसला बढ़ाया है जो देश तोड़कर खालिस्तान बनाने के अपने दावों को वैध साबित करने की कोशिश में हैं। पंजाब में खालिस्तान आंदोलन ने 1980 के दशक में जोर पकड़ा। इस आंदोलन का नेता हुआ जरनैल सिंह भिंडरावाला जिसे पहले इंदिरा गाँधी और कॉन्ग्रेस द्वारा संरक्षण प्राप्त हुआ और बाद में जब वह भस्मासुर साबित होने लगा तो उसका सफाया कर दिया गया।
कुछ सालों में राज्य में पाकिस्तान समर्थित खालिस्तानी उग्रवाद को दबा दिया गया। खालिस्तान आंदोलन खत्म हो गया। आंदोलन से जुड़ा कोई भी बड़ा चरमपंथी अब देश में नहीं है। केंद्र द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ कॉन्ग्रेस समर्थित आंदोलन में भी खालिस्तानियों ने अपना हित साधने की कोशिश की थी। रेफरेंडम 2020 के नाम पर खालिस्तान आंदोलन को पुनर्जिवित करने की कोशिश हुई। ऑपइंडिया ने विस्तार से अपने रिपोर्टों में दिखाया था कि कैसे आंदोलन के लिए लगाए गए शिविर खालिस्तानी चरमपंथियों के लिए प्रजनन स्थल बन गए थे।
कृषि विरोधी कानून आंदोलन की सफलता से उत्साहित खालिस्तान समर्थकों ने राज्य में अराजकता और अशांति पैदा करना शुरू कर दिया। हिंदुओं पर हमले किए गए। ऐसे समय में जब पंजाब की कानून व्यवस्था अमृतपाल सिंह जैसे खालिस्तानी नेताओं को काबू करने में नाकाम साबित हो रही है। राहुल गाँधी सिखों को भड़का कर देश के खिलाफ उकसाने की कोशिश कर रहे हैं।
राहुल ने मुस्लिमों को भी बताया दोयम दर्जे का नागरिक
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में अपने संबोधन के दौरान राहुल गाँधी ने दावा किया कि पीएम मोदी सिखों के साथ-साथ मुस्लिमों को भी दोयम दर्जे का नागरिक समझते हैं। राहुल गाँधी ऐसा करते हुए उन इस्लामवादियों के दावों का समर्थन कर रहे थे जो कहते फिरते हैं कि मुस्लिम भारत में सुरक्षित नहीं हैं। 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद इन बातों को बढ़ा-चढ़ा कर प्रचारित किया जा रहा है।
असम में नागरिकों के एनआरसी और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) जैसी पहलों के बारे में बड़े पैमाने पर झूठ फैलाए जाने के बाद शुरू हुए आंदोलन और आंदोलन के नाम पर हिंसा और अगजनी पूरी दुनिया ने देखी। किस तरह वर्ष 2020 में दिल्ली में आंदोलन की आड़ में हिंदू विरोधी दंगे भड़काए गए यह किसी से छिपा नहीं है। दिल्ली के अलावा देश के कई हिस्सों में आंदोलन के नाम पर सड़के जाम कर अराजकता फैलाने की कोशिश हुई। आज के समय में देश के बहुसंख्यक हिंदू कट्टर इस्लामवादियों के हमले झेल रहे हैं। राहुल को संयम बरतते हुए दुनिया के सामने देश की गलत छवि परोसने से बचना चाहिए था।