Sunday, December 22, 2024
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‘भारत माता की हत्या की, हनुमान ने नहीं जलाई लंका’: लोकसभा में बोले राहुल गाँधी – आज मैं दिमाग से नहीं बोलूँगा

उन्होंने कहा कि वो हिंदुस्तान को अहंकार से देखने निकले थे, लेकिन वो गायब हो गया। उन्होंने कहा कि उन्हें डर लगता था कि वो कल चल पाएँगे या नहीं, लेकिन जब-जब उन्हें डर लगता था तब कोई न कोई शक्ति उनकी मदद करती थी।

कॉन्ग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी की लोकसभा में वापसी हुई है। मोदी सरनेम पर आपत्तिजनक टिप्पणी के कारण सूरत की अदालत ने उन्हें 2 साल की सज़ा सुनाई थी और गुजरात हाईकोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया। इससे उनकी संसद सदस्यता जो चली गई थी, वो बहाल हो गई। उन्हें बँगला भी अलॉट हो गया। अब मॉनसून सत्र में जब विपक्षी गठबंधन ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है, राहुल गाँधी दूसरे दिन इस पर बोलने के लिए उठे।

राहुल गाँधी ने इस दौरान कहा कि आज जो उनके भाजपा के मित्र हैं, उन्हें डरने की ज़रूरत नहीं है। इस दौरान कॉन्ग्रेस नेताओं ने ‘डरो मत, डरो मत’ का नारा भी लगाया। राहुल गाँधी ने कहा कि आज घबराने की ज़रूरत नहीं है, आज वो अपने भाषण को अडानी पर नहीं रखेंगे और इसीलिए भाजपा के लोग शांत रह सकते हैं। राहुल गाँधी ने कहा कि उनका भाषण आज दूसरी दिशा में जाएगा। इस दौरान उन्होंने रूमी को उद्धृत किया – जो शब्द दिल से आते हैं, वो शब्द दिल में जाते हैं।

उन्होंने कहा कि वो दिमाग नहीं बल्कि दिल से बोलना चाहते हैं। उन्होंने भाषण की शुरुआत में कहा कि वो आज एक-दो गोले ही मारेंगे, उतना ज़्यादा आक्रमण नहीं करेंगे। उन्होंने बताया कि उन्होंने 130 दिनों में भारत के एक कोने से दूसरे कोने तक बहुत सारे लोगों के साथ यात्रा की। उन्होंने कहा कि वो समुद्र के तट से कश्मीर की बर्फीली पहाड़ी तक चले। उन्होंने कहा कि यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है, ये जारी है। उन्होंने कहा कि काफी लोगों ने उनसे यात्रा के दौरान और इसके बाद पूछा कि आखिर वो क्यों चलें, उनका लक्ष्य क्या है।

उनसे पूछा गया कि वो कन्याकुमारी से कश्मीर तक क्यों गए? राहुल गाँधी ने कहा कि शुरू में उनसे जवाब देते नहीं बनता था, शायद उन्हें नहीं मालूम था कि जवाब क्या दें। उन्हें पता था कि वो लोगों के बीच जाना चाहते हैं, लेकिन गहराई से उन्हें बाद में समझ आया। बकौल राहुल गाँधी, जिस चीज के लिए वो मरने को तैयार हैं और मोदीजी की जेलों में जाने के लिए तैयार हैं और उन्होंने 10 साल अनवरत गाली खाई है, उस चीज को वो समझना चाहते हैं कि ये है क्या।

उन्होंने कहा कि उनके दिमाग में था कि अगर वो 10 किलोमीटर दौड़ सकते हैं तो 25 किलोमीटर चलने में क्या बात है। उन्होंने कहा कि पहले ये अहंकार की भावना थी कि वो ये कर सकते हैं, लेकिन भारत ने अहंकार को एक सेकेण्ड में मिटा दिया। उन्होंने बताया कि 2-3 दिन में उनके घुटने में जबरदस्त दर्द शुरू हो गया, रोज सुबह उठने पर और हर कदम पर उन्हें दर्द होता था। बकौल राहुल गाँधी, पहले ये अहंकार था और जो भेड़िया निकला था वो चींटी बन गया।

उन्होंने कहा कि वो हिंदुस्तान को अहंकार से देखने निकले थे, लेकिन वो गायब हो गया। उन्होंने कहा कि उन्हें डर लगता था कि वो कल चल पाएँगे या नहीं, लेकिन जब-जब उन्हें डर लगता था तब कोई न कोई शक्ति उनकी मदद करती थी। इस दौरान 8 साल की एक लड़की की चिट्ठी का भी जिक्र किया, जिससे उन्हें शक्ति मिली। राहुल गाँधी ने कहा कि पहले वो किसानों को समझाते थे, लेकिन बाद में वो बोल नहीं सके। वो दूसरों की आवाजें सुनने लगे।

उन्होंने बताया कि उन्हें एक किसान ने एक रुई का टुकड़ा देते हुए कहा कि उसके पास यही बचा है। बकौल राहुल गाँधी, उक्त किसान ने बताया कि उसे बीमा का पैसा नहीं मिला और हिंदुस्तान के बड़े उद्योगपतियों ने उससे ये छीन लिया। राहुल गाँधी की मानें तो उस किसान के दिल का दर्द और बीवी से बात करते वक्त उसकी आँखों की शर्म उनकी आँखों में आई। उन्होंने कहा कि उसकी भूख राहुल गाँधी को समझ आई और उसके बाद यात्रा बिलकुल ही बदल गई और उन्हें भीड़ की आवाज नहीं सुनाई देती थी।

राहुल गाँधी ने कहा कि ये देश सिर्फ एक आवाज़ है, जाति-भाषा-धर्म-धातु नहीं है, देश के लोगों की दुःख और कठिनाइयाँ हैं। उन्होंने कहा कि देश की आवाज को सुनने के लिए अहंकार और सपनों को परे करना पड़ेगा, तब हिंदुस्तान की आवाज सुनाई देगी। उन्होंने मणिपुर में ‘हिंदुस्तान की हत्या’ का भी आरोप लगाया। उन्होंने भाजपा से कहा कि आप भारत माता के रखवाले नहीं हो, आप भारत माता के हत्यारे हो। उन्होंने कहा कि वो मणिपुर में अपनी माँ की हत्या की बात कर रहे हैं, उनकी माँ की मणिपुर में हत्या की गई है।

राहुल गाँधी ने कहा, “जब तक आप हिंसा को बंद नहीं करोगे, तब तक आप मेरी माँ की हत्या कर रहे हो। हिंदुस्तान की सेना मणिपुर में एक दिन में हिंसा बंद कर सकती है, लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। नरेंद्र मोदी हिंदुस्तान के दिल की आवाज नहीं सुनते हैं, सिर्फ 2 लोगों की आवाज सुनते हैं। अडानी के लिए मोदीजी ने क्या काम किया है, ये देखिए। रावण 2 लोगों की सुनता था – मेघनाद और कुम्भकरण।मोदी भी 2 लोगों की सुनते हैं – अमित शाह और अडानी। “

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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