कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। दावा किया जा रहा है कि उन्होंने काठमांडू के एक नाइटक्लब में पार्टी की। वीडियो में उनके साथ एक महिला भी नजर आ रही हैं। दावा किया जा रहा है कि विदेशी महिला नेपाल में चीन की राजदूत होउ यांकी हैं। वैसे यह पहली बार नहीं है जब कॉन्ग्रेस और उसके नेता पर इस तरह किसी चीनी अधिकारी से मिलने या चीन के सुर में बात करने के आरोप लगे हैं।
राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस चाटुकार, समर्थक पहले भी चीनी प्रोपेगेंडा को हवा देने की कोशिश कर चुके हैं। पिछले दिनों भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया था कि राहुल गाँधी ने चीन के उस दावे को सहमति दे दी, जिसमें उसने अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताया था। इसके अलावा राहुल गाँधी अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाके में चीन द्वारा गाँव बसाने के दावे वाली खबर को शेयर करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने का प्रयास किया था, लेकिन उनका खेल उलटा पड़ गया था। बीजेपी चीफ जेपी नड्डा ने बताया था कि जिन लोकेशन्स का वह जिक्र कर रहे थे उन पर चीन ने कॉन्ग्रेस के शासन काल में कब्जा कर लिया था।
इसी तरह चीनी प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाते हुए राहुल गाँधी ने जवानों के खाने पर भेदभाव को लेकर सवाल किया था, वह भी तब जब चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के मुख्य संपादक ने ट्विटर पर भारत को इसी मुद्दे के ऊपर घेरना चाहा था। इससे पहले भी चीन ने मोदी सरकार के ख़िलाफ़ टिप्पणी करने के लिए कॉन्ग्रेस के आरोपों को ही आधार बनाया था।
इसके अलावा जून 2020 में सीमा विवाद शुरू होने के बाद कॉन्ग्रेस और चीन के बीच हुए कई गुप्त समझौतों का खुलासा हुआ था। इनमें मालूम चला था कि 7 अगस्त 2008 को सोनिया गाँधी की अगुवाई वाली कॉन्ग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच एक समझौता हुआ था। उस समझौता ज्ञापन को राहुल गाँधी ने सोनिया गाँधी की उपस्थिति में साइन किया था। डोकलाम विवाद के बीच में भी राहुल गाँधी के चीनी अधिकारियों से मिलने की बात सामने आई थी।
इसके अलावा 2005-06 में राजीव गाँधी फाउंडेशन को चीनी दूतावास और चीन की ओर से 3 लाख डॉलर बतौर चंदे के रूप में मिले थे। चीनी दूतावास पर उपलब्ध एक दस्तावेज़ के अनुसार, वर्ष 2006 में भारत में तत्कालीन चीनी राजदूत सुन युक्सी ने राजीव गाँधी फाउंडेशन को 10 लाख रुपए दान दिए थे, जो कॉन्ग्रेस पार्टी से जुड़ा हुआ है और कॉन्ग्रेस नेताओं द्वारा चलाया जाता है। मोदी सरकार को घेरने के लिए भी कॉन्ग्रेस चीन का सहारा लेती रही है। एक बार चीनी FDI का फर्जी डाटा शेयर करते हुए भी पार्टी पकड़ी जा चुकी है।