देश से संबंधित रक्षा मामलों की संसदीय समिति की मीटिंग थी। समिति के अध्यक्ष जुएल उराँव के साथ CDS जनरल बिपिन रावत भी आ गए थे। लेकिन इस समिति के एक सदस्य मीटिंग में लेट से आए। इस सदस्य का नाम है – राहुल गाँधी, जो कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भी रहे हैं।
रक्षा मामलों की संसदीय समिति की मीटिंग का एजेंडा था – थल सेना, नौसेना और वायुसेना कर्मियों के रैंक, स्ट्रक्चर, वर्दी, स्टार व बैज के मुद्दे पर चर्चा। यह एजेंडा पहले से फिक्स था। लेकिन राहुल गाँधी संसदीय समिति से ऊपर की चीज हैं, उन्होंने खुद के लिए ऐसा सोचा होगा।
राहुल गाँधी इसी सोच के साथ मीटिंग में लेट से घुसने के बावजूद समिति पर सेना के रैंक, स्ट्रक्चर, वर्दी, स्टार व बैज के मुद्दे पर चर्चा को समय की बर्बादी बता दी। कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के अनुसार समिति को सिर्फ सैनिकों को बेहतर उपकरण, चीन मुद्दे आदि पर बात करनी चाहिए।
रक्षा मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष जुएल उराँव ने सदस्य राहुल गाँधी को एजेंडे से इतर बात करने से मना कर दिया। इस बात से राहुल गाँधी आहत हो गए। बैठक छोड़ कर चल दिए। बैठक में शामिल कॉन्ग्रेसी सांसद राजीव सातव और रेवंत रेड्डी भी राहुल गाँधी से साथ ही बाहर चले गए।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राहुल गाँधी का कहना था कि वर्दी आदि पर फैसला सेना से जुड़े लोगों को लेना चाहिए। नेताओं को इसकी बजाय राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए।
संसद में राहुल गाँधी कितने एक्टिव
16 वीं लोकसभा कार्यकाल के दौरान सदन में राहुल गाँधी की उपस्थिति 52% रही है। यही नहीं राहुल ने सदन के अंदर महज 14 चर्चाओं में ही हिस्सा लिया है। और तो और, राहुल गाँधी सदन के अंदर एक भी प्राइवेट मेंबर बिल लेकर नहीं आए।
राहुल गाँधी की कॉन्ग्रेस पार्टी के सहयोगी NCP के लीडर शरद पवार भी इस ‘युवा’ नेता को लेकर संसद में उनके परफॉर्मेंस की ही लाइन पर सोचते हैं। महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार में भी दोनों दल शामिल हैं। फिर भी राकांपा प्रमुख शरद पवार समय-समय पर कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाते रहते हैं। कुछ दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि राहुल गाँधी में एक राष्ट्रीय नेता के रूप में कुछ हद तक ‘निरंतरता’ की कमी लगती है।