कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी ने लॉकडाउन की स्थिति और कोरोना वायरस को लेकर आज प्रेस वार्ता में कई ऐसी बातें कहीं, जिनसे उनके बेबसी और निर्णय ना ले पाने की असमर्थता का पता चलता है।
राहुल गाँधी ने ना सिर्फ महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस को शिवसेना से अलग बताया बल्कि यह भी कहा कि उन्हें इजाजत नहीं मिलती वरना वो प्रवासियों के बैग अपने कंधों पर लेकर निकल रहे होते। साथ ही राहुल गाँधी ने चीन से चल रहे विवाद पर केंद्र सरकार को स्पष्ट बातचीत करने का आग्रह भी किया।
LIVE: Special Congress Party briefing by Shri @RahulGandhi via video conferencing. #RahulGandhiVoiceOfIndia https://t.co/L3m5XFYFPE
— Congress (@INCIndia) May 26, 2020
प्रेस वार्ता में कॉन्ग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी के बेटे राहुल गाँधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वो कोरोना से 21 दिनों की जंग लड़ने जा रहे हैं जबकि आज 60 दिन हो गए हैं।
राहुल गाँधी ने कहा कि भारत ऐसा देश है, जहाँ वायरस तेजी से बढ़ रहा है। कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन फेल हुआ है और जो लक्ष्य पीएम नरेंद्र मोदी का था, वह पूरा नहीं है।
प्रेस वार्ता में राहुल गाँधी ने महाराष्ट्र राज्य में कोरोना वायरस के प्रकोप के लिए कॉन्ग्रेस को उत्तरदायी बताने से पीछे हटते हुए कहा कि कॉन्ग्रेस महाराष्ट्र में निर्णय लेने की भूमिका में नहीं है।
राहुल गाँधी ने कहा कि सरकार चलाने और राज्य में सरकार का समर्थन करने के बीच अंतर है। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस को पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों में निर्णय लेने वाली भूमिका में माना जा सकता है, लेकिन महाराष्ट्र में नहीं।
राहुल गाँधी ने यह बयान प्रवासी श्रमिकों से लेकर कोरोना वायरस तक के मामले में महाराष्ट्र सरकार की विफलता वाले प्रश्न पर दिया। यही नहीं, शिवसेना के बचाव में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को कोरोना वायरस महामारी से लड़ने में महाराष्ट्र राज्य की हर संभव मदद करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र इस समय एक कठिन लड़ाई लड़ रहा है।
लॉकडाउन के बीच अपनी भूमिका के बारे में राहुल गाँधी ने कहा- “हमारा काम बस अपोजिशन का है। हमारा काम सरकार पर प्रेशर डालने का है। अगर सरकार कुछ नहीं देख रही या इग्नोर कर रही है तो उसको हाईलाइट करना हमारा काम है। मैंने जो फरवरी में किया था, वही मैं आज भी कर रहा हूँ… मैंने अपनी पोजिशन नहीं बदली है।”
वहीं ट्रांसपोर्टेशन के सवाल पर राहुल गाँधी ने कहा कि मैं एक्सपर्ट नहीं हूँ। हाल ही में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के एक बयान पर पत्रकारों के सवाल पर राहुल गाँधी ने कहा – “अगर वह मुझे परमिशन दें तो मैं एक का नहीं 10-15 लोगों का बैग उठाकर ले जाऊं, लेकिन मेरा लक्ष्य है कि जो उन मजदूरों के दिल में है वह बात हिन्दुस्तान के दिल में पहुँचे।”
उन्होंने कहा- “मैंने डॉक्यूमेंट्री इसलिए बनाई ताकि हिन्दुस्तान इनका दुख समझे, इसका बड़ा प्रभाव पड़ता है। अगर वित्त मंत्री को लगता है कि मैं ड्रामा कर रहा हूँ तो ठीक है, मुझे परमिशन दें और मैं उत्तर प्रदेश जाउँगा। जितने लोगों की मदद कर पाउँगा करूँगा।
विवादित Zoom ऐप से एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस
राहुल गाँधी लॉकडाउन के दौरान प्रेस वार्ता के लिए ज़ूम ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि राहुल गाँधी और उनके समर्थक इन्टरनेट पर लगातार आरोग्य सेतु ऐप की गोपनीयता नीतियों को लेकर भ्रामक दावे कर लोगों को गुमराह करते देखे गए हैं, जबकि Zoom ऐप की प्राइवेसी लगातार चर्चा और विवाद का विषय रही है।
अमेरिकी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप ‘जूम’ को भारत में प्रतिबंधित करने की माँग की एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया करते हुए केंद्र से चार हफ्ते के भीतर मामले पर जवाब माँगा था और साथ ही, जूम को भी सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस भेजा था।
इस याचिका में कहा गया था कि ज़ूम ऐप के इस्तेमाल से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इसके अलावा इस अमेरिकी ऐप के जरिए अलग-अलग तरह के साइबर अपराधों को भी बढ़ावा मिल सकता है।
Zoom ऐप की विश्वसनीयता पर संदेह के कारण ही गृह मंत्रालय ने भी निर्देश जारी करते हुए कहा था कि वीडियो मीटिंग के लिए या सरकार के अधिकारियों और कार्यालयों द्वारा किसी भी उद्देश्य के लिए जूम प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
Home Ministry directs that Zoom meeting platform should not be used by govt officials and offices for any purpose. pic.twitter.com/SZ5d8bhcL4
— All India Radio News (@airnewsalerts) April 16, 2020
वहीं, राहुल गाँधी कई बार जूम ऐप की मदद से वीडियो कांफ्रेंसिंग करते हुए देखा गया है, जो कि बेहद संवेदनशील विषय हो सकता है।