जिस नेता ने एक पार्टी को अपना पाँच दशक दे दिया और हमेशा चट्टान की तरह उसके साथ खड़े रहे, आज उसी पार्टी का नेतृत्व उस नेता से दूरी बना रहा है। प्रणब मुखर्जी हमेशा कॉन्ग्रेस के लिए संकटमोचक बने रहे। हर अच्छी-बुरी स्थिति में पार्टी के लिए निरंतर कार्य करते रहे। हाँ, उन्होंने राजीव गाँधी काल में 5 वर्षों के लिए अलग पार्टी ज़रूर बनाई लेकिन बाद में अपनी पार्टी का कॉन्ग्रेस के साथ विलय कर दिया। देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुँचे और राष्ट्रपति के रूप में भी उनका कार्यकाल यादगार रहा। उससे पहले यूपीए सरकार में उन्होंने रक्षा, वित्त और विदेश जैसे कई अहम मंत्रालय संभाले।
जैसा कि मीडिया में कल गुरुवार (अगस्त 8, 2019) को पूरे दिन छाया रहा- पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, असम के गायक भूपेन हजारिका और आरएसएस के सामाजिक कार्यकर्ता नानाजी देशमुख को भी भारत रत्न से नवाजा गया। हजारिका और देशमुख को यह सम्मान मरणोपरांत मिला। प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत रत्न से सम्मानित किया। कार्यक्रम में कई हस्तियाँ मौजूद थीं लेकिन गाँधी परिवार का कोई भी सदस्य नहीं दिखा। ऐसे में सवाल यह उठता है कि यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाँधी या पूर्व कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी इस समारोह से नदारद क्यों थे?
Sonia and Rahul’s no show at Pranab Mukherjee’s #BharatRatna event pic.twitter.com/sGOipTysxt
— editorji (@editorji) August 9, 2019
83 वर्षीय प्रणब मुखर्जी देश के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक हैं। दशकों से कई नेताओं द्वारा उनकी योग्यता और संविधान को लेकर उनके ज्ञान की प्रशंसा की जा चुकी है। जून 2018 में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक कार्यक्रम में शिरकत की थी, जिसके बाद उनकी अपनी ही पार्टी कुछ लोगों ने उनकी आलोचना भी की। आपको बता दें कि राहुल गाँधी ने प्रणब मुखर्जी को बधाई देने के लिए यहाँ तक कि एक ट्वीट भी नहीं किया है। हाल ही में एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार को मैगसेसे अवॉर्ड मिला था, तब राहुल ने उन्हें ट्वीट कर बधाई दी थी।
To all Congress supporters
— Dr. K.Subash Mallya (@MallyaSubash) August 9, 2019
Can you show me 1 congratulatory message to Pranab Mukherjee for being awarded Bharath Ratna from @RahulGandhi ,mom or sister
Sorry
But they have all the time in the world for sending congratulatory message to Ravish kumar
Priorities ??
सोनिया-राहुल ने उस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया जिसमें प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। राहुल गाँधी को कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए आमंत्रित भी किया गया था। सवाल तो यह भी पूछा जाएगा कि क्या कॉन्ग्रेस का शीर्ष नेतृत्व आज प्रणब मुखर्जी के योगदानों को भूल गया है? यह भी कहा जाता है कि सोनिया गाँधी को राजनीति में लाने व उनका मागर्दर्शन करने वाले प्रणब मुखर्जी ही थे। कई दलों में मुखर्जी की पैठ व नेताओं से उनके प्रगाढ़ संबंधों का फायदा कॉन्ग्रेस को हमेशा मिला।