राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार ने समुदाय विशेष को आरक्षण देने के लिए एक विशेष सर्वे शुरू किया है। राज्य की गहलोत सरकार गुर्जरों के कोटे से समुदाय विशेष को आरक्षण देना चाहती है। फिलहाल मुस्लिम पिछड़ा वर्ग के कोटे से आरक्षण का फायदा उठा रहे थे। लेकिन, अब उन्हें विशेष पिछड़ा वर्ग में शामिल कर इस कोटे से लाभ देने की योजना सरकार ने बनाई है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अपने कदम का बचाव करते हुए सरकार का कहना है कि राजस्थान में समुदाय विशेष की आर्थिक हालत खराब है। प्रदेश सरकार के आदेश के बाद सभी जिलों में डीएम ने इस सम्बन्ध में सर्वे कराने के आदेश जारी कर दिए हैं।
बता दें कि प्रदेश सरकार के इस फैसले के बाद मुस्लिमों को विशेष पिछड़ा वर्ग कोटे में शामिल कर लिया जाएगा। इस फैसले पर गुर्जरों ने कड़ी आपत्ति जताई है। आरक्षण की लड़ाई लड़ रहे गुर्जरों ने साफ़ कर दिया कि एमबीसी (मोस्ट बैकवर्ड कास्ट) कोटे में किसी भी अन्य जाति या समुदाय को आरक्षण देने का सवाल ही नहीं पैदा होता।
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प्रदेश की कॉन्ग्रेस सरकार पर गुर्जर समाज के एक नेता हिम्मत सिंह ने हमला बोलते हुए कहा है कि किसी भी परिस्थिति में गुर्जर कोटे से किसी अन्य को हिस्सेदारी नहीं दी जा सकती, ऐसा करना गुर्जर समाज के साथ अन्याय होगा।
एक रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार के इस फैसले के तहत मुस्लिमों के अलावा मांगणियार, ढाढ़ी, लंगा, दमामी, मीर, नगारची, राणा, बायती, बारोटा आदि जातियों को भी विशेष पिछड़ा वर्ग में शामिल किया जाएगा। मौजूदा वक़्त में यह सारी जातियाँ ओबीसी में आती हैं।
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इस मुद्दे पर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक ने किरोड़ी सिंह बैंसला कहा “आरक्षण का हक लेने के लिए हमारे समाज ने काफी संघर्ष किया। 73 लोगों ने अपनी जान गँवा दी थी। हम किसी भी हाल में दूसरी जातियों को इसमें (विशेष पिछड़ा वर्ग) आरक्षण नहीं लेने देंगे।” उन्होंने कहा कि यदि सरकार उन्हें आरक्षण देना ही चाहती है तो ओबीसी में से ही वर्गीकरण करे। लेकिन एमबीसी कोटे से आरक्षण देना कतई संभव नहीं।