राजस्थान में अशोक गहलोत की अगुआई वाली कॉन्ग्रेस सरकार ने कोरोना का हवाला देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को दशहरे के मौके पर पथ संचलन करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। यह फैसला जयपुर पुलिस कमिश्नरेट ने लिया है। इस पर बीजेपी ने कड़ा विरोध जताया है।
ऐसे में अब बड़े आयोजनों की जगह कम संख्या में विजयदशमी का उत्सव मनाया जाएगा। शाखाओं में 200 से भी कम लोगों को शामिल किया जाएगा। जयपुर महानगर के चार भाग और 29 नगर हैं। नगर की योजना के आधार पर शाम को 31 स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे।
उल्लेखनीय है कि आरएसएस की स्थापना होने के बाद से ही विजयदशमी पर संघ शस्त्र पूजन और पथ संचलन करता आ रहा है। लेकिन प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं मिलने के बाद अब यह छोटे स्तर पर होगा।
बीजेपी ने राज्य सरकार का किया विरोध
अशोक गहलोत सरकार के फैसले का विरोध करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ अरुण चतुर्वेदी ने सरकार को पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इसी जयपुर में पिछले दिनों कई प्रदर्शन हुए थे। उसमें खुद मुख्यमंत्री भी शामिल हुए थे। ऐसे उदाहरण देकर भाजपा ने पूछा कि क्या उन मौकों पर कोरोना गाइडलाइंस की धज्जियाँ नहीं उड़ीं थीं?
बीजेपी नेता ने ये भी कहा कि करीब एक साल पहले जयपुर में ही कोरोना की पहली लहर के दौरान भी सीएए को लेकर प्रदर्शन हुए थे। विजयदशमी को देश में विजय दिवस के रूप में मनाने की परंपरा सदियों से रही है। लेकिन कॉन्ग्रेस सरकार का अनमति देने से इनकार करना उसकी राजनीतिक सोच को दिखाता है।
गौरतलब है कि इससे पहले इसी साल अप्रैल में धौलपुर में भाजपा विधायक सुखराम खोली ने हनुमान जी की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अखंड रामायण का पाठ कराया था। इसमें 500 से अधिक लोग जुटे थे। इस बात को लेकर सीएम गहलोत ने एक बैठक में यहाँ के DM-SP को सबके सामने फटकार लगा डाली थी। आपको शायद यह सही लगे लेकिन जैसलमेर में ‘सरहद का सुल्तान’ गाजी फकीर के जनाजे में उमड़ी भीड़ की तरफ जब इन्हीं CM साहब की प्रशासन आँख मूँद लेती है तो फर्क समझ में आ जाएगा। गाजी फकीर के बेटे मोहम्मद सालेह राजस्थान सरकार में वक्फ और अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री हैं।