राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के दो दिन के दौरे पर जाने वाले हैं। इस साल वह लद्दाख के द्रास इलाके में जवानों के साथ दशहरा मनाएँगे। यानी इस बार राष्ट्रपति दिल्ली में होने वाले दशहरा समारोह में भाग नहीं लेंगे। वहीं, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की अरुणाचल प्रदेश की हालिया यात्रा पर चीन ने आपत्ति जताई है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजयान ने कहा, “सीमा मुद्दे पर चीन की स्थिति सुसंगत और स्पष्ट है। चीनी सरकार कभी भी भारतीय पक्ष द्वारा एकतरफा और अवैध रूप से स्थापित तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं देती है। वह भारतीय नेताओं की यात्राओं का कड़ा विरोध करती है।” इस पर भारत ने चीन को करारा जबाव देते हुए पलटवार किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बुधवार (13,अक्टूबर 2021) को कहा, ”हम चीन की बेतुकी टिप्पणियों को खारिज करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है। भारतीय नेता नियमित रूप से राज्य की यात्रा करते हैं, जैसा कि वे भारत के किसी अन्य राज्य में करते हैं।”
रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रपति 14 अक्टूबर को लेह में सिंधु घाट पर सिंधु दर्शन पूजा में शामिल होंगे। गुरुवार (15 अक्टूबर) की शाम वह उधमपुर में सेना के जवानों से मुलाकात करेंगे। दशहरे के मौके पर राष्ट्रपति द्रास में स्थित कारगिल वॉर मेमोरियल जाएँगे और श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इस दौरान राष्ट्रपति सेना के अधिकारियों और जवानों से भी बातचीत करेंगे।
President Ram Nath Kovind will visit Ladakh and Jammu & Kashmir on Oct 14 & 15.
— ANI (@ANI) October 13, 2021
On 14th Oct, he will perform Sindhu Darshan puja at Sindhu Ghat, Leh & also interact with troops at Udhampur. On Oct 15, he will pay tributes at the Kargil War Memorial in Drass: Rashtrapati Bhawan pic.twitter.com/QlbjOvKC0r
बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों में घाटी में आतंकी गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है। आतंकियों ने अल्पसंख्यक समुदाय के कई लोगों की हत्या भी कर दी है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति की यात्रा जवानों के लिए बूस्टर साबित हो सकती है।
गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू 9 अक्टूबर को अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने राज्य विधानसभा के स्पेशल सत्र को संबोधित करते हुए अरुणाचल प्रदेश की विरासत पर विस्तार से चर्चा की थी। उन्होंने कहा था कि यहाँ अब हाल के वर्षों में परिवर्तन की दिशा और विकास की गति में तेजी से परिवर्तन देखने को मिल रहा है। इसको लेकर चीन बुरी तरह बिफर गया और कहा उसने अरुणाचल प्रदेश को कभी भी राज्य के तौर पर मान्यता नहीं दी है।