31 अगस्त 2023 को मुंबई में 26 विपक्षी दलों के गुट I.N.D.I.A. की बैठक होनी है। शरद पवार इस गुट के बड़े नेताओं में से एक हैं। लेकिन बैठक से पहले उन्होंने साथियों का टेंशन बढ़ाने वाला बयान दिया है। साथ ही इससे उन अटकलों को भी बल मिलता है, जिनमें दावा किया जाता है कि शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार की लड़ाई ‘फिक्स’ है।
शरद पवार ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में अजित पवार के साथ मतभेदों को खारिज किया है। उनकी बगावत को ‘लोकतांत्रिक’ बताया है। शरद पवार ने कहा है, “इसमें कोई मतभेद नहीं है कि अजित पवार हमारे नेता हैं। एनसीपी में कोई विभाजन नहीं है। किसी पार्टी में फूट कैसे पड़ती है? ऐसा तब होता है जब राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा समूह पार्टी से अलग हो जाता है, लेकिन आज एनसीपी में ऐसी कोई स्थिति नहीं है। हाँ, कुछ नेताओं ने अलग रुख अपनाया है। लेकिन इसे फूट नहीं कहा जा सकता। वे लोकतंत्र में ऐसा कर सकते हैं।”
Maharashtra | There is no conflict that he (Ajit Pawar) is our leader, there is no split in NCP. How does a split happen in a party? It happens when a big group separates from the party at the national level. But there is no such situation in NCP today. Yes, some leaders took a… pic.twitter.com/iTAYEJ9Mub
— ANI (@ANI) August 25, 2023
शरद पवार अपनी सांसद बेटी सुप्रिया सुले के बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। सुप्रिया ने भी पार्टी में फूट से इनकार करते हुए कहा था कि अजित दादा हमारे नेता हैं। बता दें कि अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी नेताओं का एक धड़ा बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा बन चुका है। 2 जुलाई 2023 को अजित पवार नेमहाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उनके साथ एनसीपी के 8 अन्य विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी। एनसीपी पर कब्जे की चाचा-भतीजे की लड़ाई चुनाव आयोग भी पहुँच चुकी है। दोनों गुटों ने अपने विधायकों के समर्थन के साथ पार्टी के चिन्ह ‘घड़ी’ और नाम ‘राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी’ पर अपना-अपना दावा ठोंक रखा है।
बावजूद इसके कई लोगों का मानना है कि एनसीपी की लड़ाई फिक्स है। उनका दावा है कि शरद पवार की सहमति से ही अजित ने अलग रास्ता पकड़ा है। दोनों के बीच 12 अगस्त को पुणे में सीक्रेट मीटिंग की खबर मीडिया में आई थी।
इस मीटिंग के बाद एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार और उनकी सांसद बेटी सुप्रिया सुले को केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री बनने का ऑफर दिया था। इस ऑफर का दावा कॉन्ग्रेस के एक पूर्व मुख्यमंत्री के हवाले से किया गया था। लेकिन रिपोर्ट में इस नेता की पहचान नहीं बताई गई थी।
रिपोर्ट में अनाम पूर्व मुख्यमंत्री के हवाले से कहा गया था, “अजीत ने अपने चाचा से कहा था कि उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में कृषि मंत्री या नीति आयोग उपाध्यक्ष का पद दिया जाएगा। वहीं सुप्रिया सुले और जयंत पाटिल को क्रमशः केंद्र और राज्य सरकार में शामिल किया जाएगा।” पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया था कि शरद पवार ने भतीजे के इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही कहा है कि वह किसी भी तरह से भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेंगे।