बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमय मौत की चल रही जाँच के बीच शिवसेना ने रविवार (अगस्त 9, 2020) को अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी पर हमला किया।
सुशांत मामले में रिपब्लिक ने अपनी रिपोर्टिंग के जरिए कई गंभीर खुलासे किए। इनसे मुंबई पुलिस की जॉंच पर सवाल खड़े हुए। शिवसेना ने रिपब्लिक टीवी के कवरेज के पीछे बीजेपी का हाथ बताते हुए इसे स्टंट बताया था।
अब सामना में आरोप लगाया है कि उद्धव ठाकरे सरकार को भाजपा शर्मसार करने की कोशिश कर रही है। शिवसेना सांसद और सामना के संपादक संजय राउत ने दावा किया है कि राकांपा सुप्रीमो शरद पवार ने रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के हेड अर्नब गोस्वामी द्वारा सवाल उठाए जाने के बाद उन्हें फोन किया था।
राउत ने दावा किया कि शरद पवार ने अर्नब गोस्वामी की शिकायत करते हुए कहा कि राज्य के सीएम के खिलाफ ‘अपमानजनक भाषा’ का इस्तेमाल करने से अच्छा संदेश नहीं जाएगा। उन्होंने पूछा कि ‘सरकार क्या कर रही है।’ साथ ही राउत ने आरोप लगाया कि सुशांत के मामले के टीवी कवरेज के पीछे का मकसद उद्धव ठाकरे सरकार को बदनाम करना है।
सामना में लिखा गया है, “अर्नब गोस्वामी राजनीतिक नेताओं को, मुख्यमंत्रियों को सीधे अशिष्ट भाषा में संबोधित करते हैं, बदनाम करनेवाले शब्दों का प्रयोग करते हैं, धमकियाँ देते हैं। सोनिया गाँधी के मामले में उन्होंने यही किया और अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अशिष्ट भाषा में संबोधित करके चुनौती देने वाली बातें करते हुए भी उन्हें लोगों ने देखा। ये सब देखने के बाद शरद पवार ने मुझे फोन किया कि एक समाचार चैनल पर उद्धव ठाकरे का उल्लेख अशिष्ट भाषा में किया जाता है, ये सही नहीं है। वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री सिर्फ कोई एक व्यक्ति नहीं होता है, बल्कि एक संस्था होती है।”
मामले में शिवसेना ने बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे के रिपब्लिक टीवी को दिए इंटरव्यू भी पर सवाल खड़े किए हैं। शिवसेना ने कहा है कि बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे का इंटरव्यू पुलिस बल के अनुशासन का उल्लंघन है और मुंबई पुलिस की प्रतिष्ठा को खराब करने के लिए किया गया है।
आगे उन्होंने कहा कि सुशांत की मौत के मामले में बिहार पुलिस का ‘हस्तक्षेप’ अनावश्यक था। शिवसेना के लेख में यह भी कहा गया है कि सुशांत की मौत का ‘राजनीतिकरण’ हुआ है और उन्होंने इसे ‘स्पष्ट आत्महत्या का मामला’ कहा है।
राउत के अनुसार संवेदनशीलता और भावनाओं को ध्यान दिए बिना मामले को उजागर किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि सुशांत केस में संबंधित तीन महिलाओं – दिशा सलियन, अंकिता लोखंडे, रिया चक्रवर्ती की उपस्थिति के कारण मीडिया इसे कवर कर रही है।
सामना के लेख में राउत ने यह भी दावा किया था कि सुशांत के अपने परिवार के साथ अच्छे संबंध नहीं थे। वह अपने पिता की दूसरी शादी से खुश नहीं थे। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा राज्य में शिवसेना की सरकार को गिरा नहीं पा रही है, इसीलिए पार्टी ने समाचार चैनलों के साथ मिल कर ‘गॉसिपिंग’ कर इसे बड़ा मुद्दा बना दिया है ताकि सरकार को बदनाम किया जा सके। उन्होंने लिखा कि सुशांत सिंह राजपूत का बिहार से कोई संबंध नहीं था और वो पूरी तरह मुंबईकर बन गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि संघर्ष के दिनों में बिहार उनके साथ नहीं था, उन्हें सारा वैभव मुंबई ने दिया।