Saturday, December 21, 2024
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श्रमिक ट्रेन में कोई किराया नहीं, कोई चार्ज नहीं… लेकिन सोनिया गाँधी की कॉन्ग्रेस देगी पैसे, आखिर किसे और कैसे?

रेलवे श्रमिकों को घर भेजने के लिए स्पेशल ट्रेनें चला रही। सोनिया गाँधी की कॉन्ग्रेस ने उन मजदूरों का किराया वहन करने की घोषणा की है। जब राज्य और केंद्र सरकारें पहले से ही ये कर रही हैं तो पार्टी किसका किराया वहन करेगी? गरीब-मजदूरों के नाम पर राजनीति करने की कॉन्ग्रेसी मानसिकता गई नहीं है अभी तक!

कॉन्ग्रेस ने अब श्रमिक स्पेशल ट्रेनों पर राजनीति शुरू कर दी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के बाद भारतीय रेलवे ने सभी राज्यों में फँसे श्रमिकों और छात्रों को उनके गृह राज्य में वापस भेजने के लिए स्पेशल ट्रेनों की व्यवस्था की। कॉन्ग्रेस का कहना है कि पार्टी उन श्रमिकों का रेलवे किराया वहन करेगी। वो किराया, जो पहले से ही मुफ्त है। सोनिया गाँधी ने अपने बयान में इसका जिक्र किया है।

कॉन्ग्रेस पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से बताया गया है कि प्रदेश कॉन्ग्रेस कमिटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी व इस बारे जरूरी कदम उठाएगी। कॉन्ग्रेस ने ये भी दावा किया है कि सरकार इन मेहनतकश मजूदरों से किराया वसूल रही है। पार्टी ने इसकी तुलना 1947 के देश विभाजन से कर दी और कहा कि पैदल घर लौट रहे मजदूरों को देख कर यही लगता है कि वैसी ही स्थिति आ गई है।

सरकार द्वारा श्रमिकों के लिए ट्रेनें चलाने की घोषणा के बाद पत्रकार रोहिणी सिंह और वामपंथी नेता सीताराम येचुरी सहित रवीश कुमार जैसों ने किराया वसूले जाने की अफवाह फैलाई थी, जिसका आधार ‘द हिन्दू’ की एक ख़बर को बनाया गया था, जो भ्रामक और झूठी थी। शुरुआत में ज़रूर कुछ संशय था लेकिन जब शिवराज सिंह चौहान सहित अन्य मुख्यमंत्रियों ने इस पर स्पष्टीकरण दिया कि राज्य सरकारें ख़र्च वहन करेंगी, तो भी इनका प्रोपेगेंडा चलता रहा। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तो पूछ दिया कि मजदूरों का किराया राज्यों पर क्यों थोपा जा रहा है? कॉन्ग्रेस का इस पर क्या कहना है?

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार (मई 3, 2020) को ही स्पष्ट कर दिया था कि श्रमिकों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि दूसरे राज्यों से स्पेशल ट्रेन से उन्हें वापस लाने के लिए तैयार है। और इस संबंध में राज्य व केंद्र सरकार, रेल मंत्रालय के साथ मिलकर प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने जानकारी दी थी कि किराया भी प्रदेश सरकार वहन करेगी। बावजूद इसके कॉन्ग्रेस पार्टी किराया वहन करने की बात कर रही है।

रेलवे के नीचे संलग्न किए गए ट्वीट को देखिए। इसमें स्पष्ट लिखा है कि किसी को टिकट ख़रीदने के लिए स्टेशन आने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि वही लोग यात्रा कर सकेंगे, जिन्हें राज्य सरकारों ने चुना है। साथ ही उनके पूरा किराया और भोजन-पानी के लिए भी राज्य सरकारें ही ख़र्च कर रही हैं। टिकट बिक्री चालू ही नहीं है तो मजदूरों से किराया वसूले जाने की बात कहाँ से आई? रेलवे ने उन यात्रियों को स्टेशन आने से भी मना किया है, जिन्हें राज्य सरकारें नहीं ला रही हैं।

राहुल गाँधी ने भी ऐसा ही झूठ फैलाया। उन्होंने दावा किया कि एक तरफ रेलवे दूसरे राज्यों में फँसे मजदूरों से टिकट का भाड़ा वसूल रही है, वहीं दूसरी तरफ रेल मंत्रालय पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रुपए का चंदा दे रहा है। रेलवे ने देशहित में कोरोना से लड़ने के लिए वित्तीय मदद दी तो ये तो अच्छी बात है। रेलवे ने वो रुपए कहाँ से दिए थे? केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल और राज्यमंत्री सुरेश अंगाडी ने एक-एक महीने की सैलरी डोनेट की, जबकि 13 लाख रेलवे पीएसयू कर्मचारियों ने अपनी-अपनी एक दिन की सैलरी डोनेट की। ये सब मिला कर 151 करोड़ रुपए हुए।

क्या राहुल गाँधी चाहते हैं कि रेलवे के कर्मचारी अपने रुपयों से वो सब करें जो कॉन्ग्रेस पार्टी चाहती है? उन्होंने रेलवे कर्मचारियों पर ही सवाल खड़ा कर दिया कि उन्होंने पीएम केयर्स में दान क्यों दिया। इस तरह से राहुल गाँधी ने दो झूठ एक साथ फैलाए- एक श्रमिकों को लेकर और दूसरा रेलवे द्वारा पीएम केयर्स में दान देने को लेकर। कॉन्ग्रेस ने पूरे दिशा-निर्देशों और फ़ैसले का इन्तजार किए बिना हंगामा शुरू कर दिया था।

रेलवे द्वारा जारी गाइडलाइन्स के अनुसार, जिस स्टेशन से ट्रेन चलेगी, वहाँ की राज्य सरकार की तरफ से यात्रियों को खाने के पैकेट और पानी मुहैया कराया जाएगा। यदि यात्रा 12 घंटे से अधिक के लिए होगी तो एक समय का खाना रेलवे की ओर से दिया जाएगा। साथ ही राज्य सरकारों के द्वारा यात्रियों को आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। प्रत्येक ट्रेन लगभग 1,200 यात्रियों को ले जा सकती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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